Budget Expectations 2025: ग्लोबल स्तर पर कई चुनौतियों के बावजूद भारतीय इकोनॉमी ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 7.6% की जीडीपी ग्रोथ के साथ अपनी मजबूती दिखाई। डेलॉयट इंडिया ने बजट से पहले जारी अपनी एक प्री-बजट रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। इस रिपोर्ट को डेलॉयट इंडिया के पार्टनर और फाइनेंशियल सर्विसेज लीडर, हिमानीश चौधरी ने तैयार किया है। इस दौरान सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं भारतीय शेयर बाजार ने लगभग सभी इमर्जिंग देशों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया।
हालांकि डेलॉयट की रिपोर्ट को मुताबिक, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत के फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर को करीब 20 गुना तक बढ़ने की जरूरत है। डेलॉयट ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक 5-सूत्रीय एजेंडा तैयार किया है और कहा कि बजट में उसे इन ऐलानों की उम्मीद रहेगी। इसमें गिफ्ट सिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और भारत की ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में पहुंच को बढ़ावा देने की रणनीतियां शामिल हैं।
डेलॉयट ने फाइनेंशियल सेक्टर को नई उड़ान देने के लिए बजट में इन 5 रणनीतियों पर फोकस करने का सुझाव दिया है-
1. IFSC गिफ्ट सिटी को ग्लोबल हब बनाना
गिफ्ट सिटी (IFSC) भारत को ग्लोबल फाइनेंशियल हब बनाने की महत्वाकांक्षा का केंद्र है। लेकिन इसके विकास में अच्छे टैलेंट की कमी और नियामक बाधाएं बड़ी चुनौतियां हैं। इसे दूर करने के लिए रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं-
- कर्मचारियों के लिए कर छूट और नियोक्ताओं के लिए वेटेड टैक्स कटौती।
- नॉन-बैंकिंग इकाइयों के लिए टैक्स इंसेंटिव्स को बैंकिंग इकाइयों के बराबर करना।
- टैक्स हॉलिडे की अवधि मार्च 2025 से आगे बढ़ाकर पांच साल और करना।
- टैक्स हॉलिडे के बाद 15% आयकर दर लागू करना।
- आईएफएससी ऑपरेशंस के लिए अलग इनकम टैक्स फ्रेमवर्क तैयार करना।
2. इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा देना
विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास सबसे अहम है। सॉवरेन वेल्थ फंड (SWF) और विदेशी पेंशन फंड (FPF) इस परियोजनाओं की फंडिंग में में अहम भूमिका निभाते हैं।
सुझाव:
- SWF और FPF के निवेश पर टैक्स छूट की सीमा को मार्च 2025 से आगे बढ़ाकर तीन साल और करना।
- नॉटिफाइड SWF और FPF को भुगतान पर विदहोल्डिंग टैक्स खत्म करना।
- डबल टैक्सेशन रोकने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में दोबारा निवेश किए गए डिविडेंड्स पर टैक्स छूट।
- SWF और FPF के पास रखे गैर-सूचीबद्ध बॉन्ड और डिबेंचर पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को खत्म करना।
3. भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का ग्लोबल विस्तार
भारत के म्यूचुअल फंड उद्योग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। रिपोर्ट में भारतीय म्यूचुअल फंड को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश दिलाने में मदद करने के लिए कई कदम सुझाए गए हैं-
- विदेशी निवेश को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए $7 अरब डॉलर की इंडस्ट्री कैप और व्यक्तिगत फंड हाउस की लिमिट्स को बढ़ाना।
- भारतीय म्यूचुअल फंड्स को सीधे विदेशी सिक्योरिटीज में निवेश करने की इजाजत देना।
- ग्लोबल पासपोर्टिंग मानक स्थापित करना।
4. फंड मैनेजमेंट हब के रूप में भारत की स्थिति मजबूत करना
डेलॉयट की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में टैक्स से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण ग्लोबल फंड मैनेजर्स को आकर्षित करना कठिन रहा है। इसे दूर करने के लिए उसने कई सुझाव दिए हैं-
- टैक्स उद्देश्यों के लिए कैरिड इंटरेस्ट को कैपिटल गेन के रूप में माना जाना चाहिए।
- कैरिड इंटरेस्ट पर GST से छूट देना।
- ब्रोकर-डीलरों और रीइंश्योरेंस कंपनियों जैसे विदेशी फाइनेंशियल कंपनियों को आकर्षित करने के लिए IFSC गिफ्ट सिटी जैसे प्रतिस्पर्धी नियामकीय ढांचे को भारत में लागू करना।
5. फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिरता बढ़ाना
लंबी अवधि की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रिपोर्ट में कई कदम सुझाए गए हैं:
- सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को गति देना।
- डेटा सिक्योरिटी और साइबर रिस्क मैनेजमेंट के लिए एक इंटीग्रेटेड गाइडलाइंस जारी करना।
- उभरते कैटेगरीज को शामिल करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सब-सेक्टर्स की मास्टर लिस्ट को नियमित रूप से अपडेट करना।
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