Monday, July 14, 2025

ITR Filing 2025: टैक्सपेयर्स सावधान! AIS डेटा मिसमैच की बढ़ी समस्या, नोटिस का खतरा; एक्सपर्ट से जानें बचाव का तरीका

ITR Filing 2025: असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की डेडलाइन तकनीकी तैयारियों के चलते पहले ही 15 सितंबर तक बढ़ाई जा चुकी है। लेकिन अब एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement - AIS) में तकनीकी खामियों और डेटा मिसमैच के मामलों ने टैक्सपेयर्स के लिए नई चिंता खड़ी कर दी है। यह परेशानी खासकर ITR-1 फाइल करने वाले छोटे निवेशकों को हो रही है।

गलत ब्याज रिपोर्टिंग बनी मुख्य समस्या

बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी (BCAS) की कोषाध्यक्ष और सीए किंजल भुट्टा ने बताया कि इस बार ब्याज आय से जुड़ी गलतियों में तेजी आई है। उन्होंने कहा, “पोस्ट ऑफिस और बैंक ब्याज की मिस-क्लासिफिकेशन, जॉइंट खातों में डुप्लीकेशन और ब्याज की अधिक गणना जैसे मुद्दे आम हैं। यह अक्सर गलत SFT रिपोर्टिंग या विभागीय तकनीकी गड़बड़ियों के कारण हो रहा है।”

मिसमैच से ऑटोमैटिक नोटिस की आशंका

AKM ग्लोबल में टैक्स पार्टनर संदीप सहगल ने बताया कि AIS और ITR के बीच अगर कोई अंतर मिलता है, तो यह आयकर विभाग के सिस्टम में ऑटो-जेनरेटेड नोटिस का कारण बन सकता है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, "ऐसे मामलों में छोटे टैक्सपेयर्स पर गैरजरूरी अनुपालन बोझ बढ़ सकता है।"

एक्सपर्ट की सलाह: AIS डेटा क्रॉस-चेक करें

टैक्स एक्सपर्ट ने आगाह किया है कि AIS पर पूरी तरह निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। कई बार छूट प्राप्त आय (जैसे बचत खाते का ब्याज या करमुक्त ब्याज) और बिना TDS वाली आमदनी AIS में दिखाई नहीं देती। अगर टैक्सपेयर्स ने बिना सत्यापन के AIS के आधार पर रिटर्न फाइल किया, तो गलती की गुंजाइश बढ़ जाती है।

किंजल भुट्टा ने कहा, “टैक्सपेयर्स को अपने बैंक स्टेटमेंट के अनुसार सही आय रिपोर्ट करनी चाहिए। किसी भी अंतर को स्पष्ट करने के लिए जरूरी दस्तावेज संभालकर रखने चाहिए।”

सहगल ने बताया कि आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर मौजूद कम्प्लायंस सेक्शन में टैक्सपेयर्स AIS की गलतियों को फ्लैग कर सकते हैं और मैनुअल सुधार दर्ज कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “टाइम से फीडबैक देना और मैन्युअल री-कंसिलिएशन बेहद जरूरी है, वरना वैध कटौतियों का नुकसान या नोटिस मिल सकता है।”

डुप्लीकेट एंट्री की संख्या बढ़ी

एक्सपर्ट के अनुसार, इस बार AIS डेटाबेस में डुप्लीकेट और गलत एंट्री की संख्या पहले से अधिक है। किंजल ने कहा, “रिपोर्टिंग स्तर पर खामियों के कारण एक ही ब्याज आय कई बार दिख रही है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को सभी इनकम सोर्सेज को सावधानी से मिलान करना चाहिए और दस्तावेज तैयार रखने चाहिए।”

समय रहते सुधार जरूरी

रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख में अभी लगभग दो महीने का समय बचा है। एक्सपर्ट का मानना है कि टैक्सपेयर्स को इस समय का उपयोग कर सभी प्री-फिल्ड डेटा की जांच करनी चाहिए। साथ ही, AIS पोर्टल पर लॉग इन कर संभावित त्रुटियों को फीडबैक के जरिए दुरुस्त करना चाहिए। अपनी ओर से सभी स्पष्टीकरणों के लिए भी तैयारी रखनी चाहिए।

अगर ऐसा नहीं किया गया, तो रिफंड में देरी, टैक्स नोटिस और वैध कटौतियों के नुकसान की आशंका बनी रहेगी।

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Sunday, July 13, 2025

75 बार मिला रिजेक्शन फ‍िर भी नहीं मानी हार, खड़ी कर दी 6,700 करोड़ रुपये की कंपनी, कमाल की है ये कहानी

आईआईटी से पढ़ाई करके बाहर निकले युवाओं की सफलता की कहानियां अक्सर चर्चा में रहती हैं। वहीं आईआईटी से पढ़ाई करने वाले पवन गुंटुपल्ली की कहानी भी काफी खास है। पवन गुंटुपल्ली ने कहानी इसलिए भी खास है कि क्योंकि उन्होंने एक दो बार नहीं बल्कि 75 बार रिजेक्शन का सामना किया, लेकिन कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी और खुद पर भरोसा बनाए रखा। दस साल से भी कम समय में उन्होंने 6,700 करोड़ रुपये की ब्रांड वैल्यू वाला बिज़नेस खड़ा कर दिया।

पवन गुंटुपल्ली, रैपिडो बाइक टैक्सी सेवा के सह-संस्थापक हैं। एक नए और उपयोगी आइडिया पर काम करने के बाद उन्हें अच्छी फंडिंग मिली और आज रैपिडो देश के 100 से ज़्यादा शहरों में सेवा दे रहा है। अब तक इस ऐप को 5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।

75 बार मिला रिजेक्शन फिर भी नहीं मानी हार

बता दें कि पवन गुंटुपल्ली तेलंगाना के रहने वाले हैं और उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद आईआईटी-जेईई पास कर आईआईटी खड़गपुर से बीटेक की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सैमसंग में नौकरी शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर "दकैरियर" नाम से एक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप शुरू किया। हालांकि यह स्टार्टअप सफल नहीं हो पाया और बंद हो गया। इस असफलता से उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद उन्होंने रैपिडो नाम की एक बाइक-टैक्सी सेवा शुरू की, ताकि लोगों को सस्ती और तेज़ यात्रा का विकल्प मिल सके। लेकिन शुरुआत आसान नहीं थी निवेशकों को उनका आइडिया समझाना मुश्किल था। करीब 75 निवेशकों ने यह सोचकर मना कर दिया कि रैपिडो कैसे ओला और उबर जैसी बड़ी कंपनियों का मुकाबला करेगी। फिर भी पवन ने हार नहीं मानी और आज रैपिडो देशभर में कामयाबी के साथ चल रही है।

काम आया ये शानदार आइडिया

गुंटुपल्ली की किस्मत तब बदली जब हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजाल ने उनके आइडिया में संभावनाएँ देखीं और रैपिडो को आर्थिक मदद दी। इसके बाद दूसरे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा और 2016 में रैपिडो को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया। ओला और उबर जैसी बड़ी कंपनियाँ जहाँ सिर्फ बड़े शहरों पर ध्यान दे रही थीं, वहीं पवन और उनकी टीम ने छोटे और मध्यम शहरों को चुना, जहाँ रोज़मर्रा की यात्रा एक बड़ी चुनौती थी। रैपिडो ने शुरुआत में बेहद किफायती मॉडल अपनाया—15 रुपये का बेस किराया और 3 रुपये प्रति किलोमीटर। यह आम लोगों के लिए सुविधाजनक था, लेकिन इससे कंपनी को मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया। फिर भी, यह कदम रैपिडो की पहचान बनाने में मददगार साबित हुआ।

खड़ी कर दी 6,700 करोड़ की कंपनी

कई मुश्किलों के बावजूद रैपिडो ने कभी हार नहीं मानी और आज यह देशभर के 100 से ज़्यादा शहरों में अपनी सेवाएँ दे रहा है। इस ऐप के करीब 7 लाख सक्रिय यूज़र्स हैं और 50,000 से अधिक राइडर्स की एक टीम इसके साथ जुड़ी है, जिन्हें कंपनी "कैप्टन" कहती है। रैपिडो का मौजूदा ब्रांड वैल्यू करीब 6,700 करोड़ रुपये है। फ़ूड डिलीवरी कंपनी स्विगी इसके बड़े निवेशकों में शामिल है। आज रैपिडो हर साल 1,370 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर रहा है।



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NEET UG 2025 का काउंसलिंग शेड्यूल हुआ जारी, यहां जान लें डेट्स और जरूरी डॉक्यूमेंट्स

NEET UG 2025: मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) ने नीट यूजी काउंसलिंग में एडमिशन को लेकर बड़ा अपडेट शेयर किया है। मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए नीट यूजी काउंसलिंग का शेड्यूल जारी कर दिया है। नीट यूजी की काउंसलिंग प्रक्रिया 21 जुलाई 2025 से शुरू होगी। NEET UG 2025 परीक्षा में पास हुए छात्र आधिकारिक वेबसाइट mcc.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।

एमसीसी की ओर से जारी शेड्यूल में रजिस्ट्रेशन, चॉइस फिलिंग, सीट अलॉटमेंट, रिजल्ट जारी होने और कॉलेज में रिपोर्टिंग की सभी जरूरी तारीखें दी गई हैं। उम्मीदवारों को एमसीसी की ओर से जारी शेड्यूल को ध्यान से पढ़ने की सलाह दी गई है।

कब शुरू होगी काउंसलिंग

NEET UG 2025 काउंसलिंग का पहला राउंड 21 से 28 जुलाई तक होगा। इस दौरान रजिस्ट्रेशन, फीस भुगतान और कॉलेज ऑप्शन भरना होगा। फीस जमा करने की आखिरी तारीख 28 जुलाई दोपहर 3 बजे और चॉइस लॉकिंग का समय उसी दिन शाम 4 बजे से रात 11:55 बजे तक है। सीट अलॉटमेंट 29-30 जुलाई को होगा और रिजल्ट 31 जुलाई को आएगा। चयनित उम्मीदवारों को 1 से 6 अगस्त तक कॉलेज में रिपोर्ट करना होगा और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन 7-8 अगस्त को किया जाएगा।

देश भर के मेडिकल कॉलेज में होगा एडमिशन

NEET UG 2025 पास करने वाले उम्मीदवार ही काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। एमसीसी काउंसलिंग के जरिए देशभर के राज्यों की मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में MBBS और BDS सीटों पर दाखिला दिया जाएगा। इसमें AIIMS, JIPMER, BHU, AMU, ESIC और अन्य केंद्रीय व डीम्ड यूनिवर्सिटीज की सीटें भी शामिल हैं।

काउंसलिंग में शामिल होने वाले छात्रों को दी ये सलाह

NEET UG 2025 काउंसलिंग में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को MCC की वेबसाइट पर समय पर रजिस्ट्रेशन, डॉक्यूमेंट अपलोड, फीस जमा और कॉलेड ऑप्शन लॉक करना जरूरी होगा। समयसीमा न मानने पर वे उस राउंड से बाहर हो सकते हैं। एमसीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी शनिवार, रविवार और सरकारी छुट्टियां भी कार्य दिवस मानी जाएंगी, ताकि कोई देरी न हो। काउंसलिंग के अगले चरणों का शेड्यूल भी जल्द जारी किया जाएगा इसलिए उम्मीदवारों को सलाह है कि वे mcc.nic.in पर नियमित रूप से अपडेट चेक करते रहें।

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Saturday, July 12, 2025

एयर कंडीशनर, फूड आइटम हो सकते हैं सस्ते! GST काउंसिल की बैठक में मिडिल क्लास को बड़ी राहत देने की तैयारी

GST Council Meet: आम आदमी के लिए महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत भरी खबर आ सकती है। जीएसटी काउंसिल (GST Council) की आगामी बैठक में घरेलू इस्तेमाल वाली कई जरूरी चीजों पर टैक्स दरें घटाने पर विचार किया जा सकता है। इससे मिडिल क्लास और लोअर इनकम क्लासग के लोगों को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार 8 साल पुराने गुड्स एंज सर्विसेज टैक्स (GST) ढांचे की समीक्षा कर रही है और 12% टैक्स स्लैब में शामिल कंज्यूमर गुड्स पर टैक्स घटाने पर जोर दिया जा रहा है।

किन चीजों पर सस्ता हो सकता है टैक्स?

12% टैक्स स्लैब में कई रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजें आती हैं। इनमें मक्खन, घी, अचार, जैम, चटनी, फलों का जूस, नारियल पानी, मोबाइल फोन, प्रोसेस्ड फूड, साइकिल, छाता, कपड़े और जूते, टूथपेस्ट समेत दूसरे दैनिक इस्तेमाल की वस्तुएं शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इन पर टैक्स दर घटाने से इन उत्पादों की मांग में तेजी आएगी और इससे इकोनॉमी को बल मिलेगा।

AC जैसे महंगे प्रोडक्ट्स पर भी राहत संभव

एयर कंडीशनर जैसे महंगे उत्पादों पर भी GST दर घटाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। यह फैसला मिडिल क्लास के लिए राहत बन सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो गर्मियों में AC खरीदने की योजना बनाते हैं लेकिन कीमतों के कारण रुक जाते हैं।

बीमा पर भी टैक्स कटौती की संभावना

प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान्स पर फिलहाल 18% GST लगता है। सरकार इसे 12% करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स कम करने की संभावना है, जिससे आम उपभोक्ता को बड़ी राहत मिल सकती है।

नया सेस और टैक्स स्लैब में बदलाव की तैयारी

GST लागू होने से राज्यों को नुकसान की भरपाई के लिए जो, मुआवजा सेस (Compensation Cess) लगाया गया था, वह मार्च 2026 में समाप्त होने वाला है। इसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार तंबाकू जैसे 'सिन गुड्स' पर नया सेस लगाने की योजना बना रही है। वहीं, सरकार 12% टैक्स स्लैब को पूरी तरह खत्म करने पर भी विचार कर रही है। इसके बदले, बिजनेस यूज वाली वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है ताकि राजस्व घाटे की भरपाई की जा सके।

टैक्स घटेगा तो मांग बढ़ेगी

एक सीनियर अधिकारी ने बताया, “रेवेन्यू सिर्फ आंकड़ों से नहीं आंकना चाहिए। जब टैक्स दरें घटेंगी तो कंज्मप्शन बढ़ेगा, जिससे लंबे समय में सरकार को लाभ मिलेगा।” इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को राहत देना और बाजार में मांग को बढ़ाना है।

राजनीतिक सहमति एक बड़ी चुनौती

हालांकि, इन सुधारों को लागू करने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है। कई राज्य रेवेन्यू में संभावित कमी के कारण टैक्स कटौती के प्रस्तावों का विरोध कर सकते हैं। इससे पहले भी ऐसे कई प्रस्तावों को राज्यों ने समर्थन नहीं दिया था।

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डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।



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कमाल की सेविंग सीक्रेट! बिना किसी हाईप्रोफाइल नौकरी और बिजनेस के शख्स ने सैलरी से जोड़े 4.7 करोड़

घर के बड़े-बुजुर्ग अक्सर ये सलाह देते हैं कि जीवन में पैसा कमाना जितना जरूरी है, पैसा बचाना उससे ज्यादा जरूरी है। क्योंकि पैसों की जरूरत कब पड़ा जाए ये किसी को भी पता नहीं रहता। वहीं पैसे के बचत के लिए सही समय और लिए गए सही फैसले, हमेशा सही नतीजे देकर जाते हैं। सोशल मीडिया पर पैसों की बचत की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। ये कहानी आपको जरूर चौंकाने वाली लग सकती है पर इससे आप सही इन्वेस्टमेंट के बारे में जरूर कुछ सीख सकते है।

45 की उम्र में बना ली 4.7 करोड़ की संपत्ति

बता दें कि हाल ही में एक वायरल रेडिट पोस्ट ने लोगों का ध्यान खींचा है, जिसमें एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताई गई है जिसने न तो कोई बड़ी नौकरी की, न ही कोई साइड बिज़नेस, फिर भी 45 साल की उम्र तक ₹4.7 करोड़ की संपत्ति बना ली और रिटायर हो गए। रेडिट यूजर ने लिखा कि यह उनके चाचा की कहानी है, जिन्होंने बेहद सादा और साधारण जीवन जिया। वे 30 साल तक एक ही 2BHK फ्लैट में रहे, स्कूटर चलाते थे और शायद ही कभी छुट्टियों पर जाते थे।

उनके पास कोई व्यापार नहीं था, न ही उन्होंने शेयर बाजार में पैसे लगाए या पैसे से कोई दिखावा किया। उनकी कमाई सिर्फ नॉर्मल नौकरी से होती थी, लेकिन उन्होंने पैसे को सोच-समझकर खर्च किया और बचत व निवेश के जरिए यह संपत्ति खड़ी की। इस पोस्ट ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सादगी, अनुशासन और समझदारी से की गई बचत भी लंबी अवधि में बड़ी संपत्ति बना सकती है।

ऐसे किया समझदारी भरा निवेश 

अपनी पोस्ट में यूजर ने बताया कि उनके चाचा को बचत और निवेश करने की आदत थी। साल 1998 में उन्होंने म्यूचुअल फंड में ₹10,000 का शुरुआती निवेश किया। इसके बाद उन्होंने ₹500 की SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) शुरू की। जैसे-जैसे उनका वेतन बढ़ा, उन्होंने निवेश की राशि भी बढ़ाई पहले ₹1,000, फिर ₹2,000 और बाद में ₹5,000 तक। यूजर ने बताया कि, "जब वे 45 की उम्र में रिटायर हुए, तो मैंने उनसे पूछा कि आपने ये सब कैसे किया। उन्होंने मुझे अपनी पासबुक और CAMS से प्रिंट की हुई एक शीट दिखाई। उस पर कुल राशि थी: ₹4.7 करोड़।" रेडिट पर यह पोस्ट 9,000 से ज़्यादा लाइक और ढेर सारी कमेंट बटोर चुकी है, जहां लोग इस कहानी से प्रेरित होकर अपने निवेश के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं।



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Friday, July 11, 2025

पिता की प्रॉपर्टी में बेटियों का भी बराबर हक, लेकिन इन स्थितियों में हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकतीं

पिता की संपत्ति में अब बेटियों का भी बराबर का हक है। सरकार ने इस बारे में 2005 में कानून में संशोधन किया था। इसके बावजूद इस बारे में लोगों को काफी उलझन है। लड़कियां समाज में आम तौर पर पिता की प्रॉपर्टी में दावा करने से संकोच करती हैं। इससे कानून में संसोधन के बावजूद उन्हें अपना हक नहीं मिल पाता है। आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहता है कानून।

2005 में सरकार ने किया था कानून में संशोधन

सरकार ने समाज की बदलती आर्थिक-सामाजिक स्थितियों को देखते हुए 2005 में एक बड़ा कदम उठाया था। तब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में संशोधन किया गया था। यह नियम कहता है कि पिता की संपत्ति पर जितना हक बेटों का है, उतना ही हक बेटियों का है। दूसरा यह है कि बेटी विवाहित हो या अविवाहित उसका पिता की संपत्ति में अपने भाई जितना हक होगा। कानून में इस संशोधन से यह उम्मीद थी कि दशकों से चली आ रही सोच में बदलाव आएगा।

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पुश्तैनी संपत्ति में भी बेटियों का बराबर हक 

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन के बाद बेटी का हक न सिर्फ सेल्फ-एक्वायर्ड एसेट्स में है बल्कि एनसेस्टरल प्रॉपर्टी में भी है। इसका मतलब है कि पिता ने अपनी कमाई से जो प्रॉपर्टी खरीदी है, उसमें बेटे के जितना बेटी का भी हक होगा। साथ ही अगर पिता को विरासत में कोई संपत्ति मिली है तो उसमें भी बेटी का हक होगा। यह हक उतना ही होगा जितना उस संपत्ति में बेटों का होगा। 2005 में संशोधन से पहले विरासत में मिली संपत्ति में विवाहित बेटियों का सीमित या ना के बराबर हक होता था। 2005 में इस फर्क को खत्म कर दिया गया।

पिता वसीयत में बेटी को सपंत्ति देने से इनकार कर सकता है

अगर पिता ने मौत से पहले वसीयत बनाई थी तो मामला कुछ अलग हो जाता है। पिता के वसीयत में अपनी मर्जी के मुताबिक संपत्ति का बंटवारा करने का हक है। अगर वसीयत में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पिता की मौत के बाद संपत्ति पर सिर्फ बेटों का हक होगा तो बेटियां इसे चैलेंज नहीं कर सकतीं। हालांकि, यह ध्यान में रखने वाली बात है कि यह पुश्तैनी यानी वसीयत में मिली प्रॉपर्टी पर लागू नहीं होगा। 2005 में कानून में संशोधन के बाद वसीयत में मिली संपत्ति में बेटों और बेटियों का बराबर हक होता है।



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Thursday, July 10, 2025

जीरे की कीमतों में रिकवरी, जुलाई वायदा 20000 के करीब पहुंचा, जानें क्या कीमतों में आगे दिखेगी तेजी

NCDEX पर जीरे में हल्की रिकवरी दिख रही है । लगातार कीमतों में तीसरे दिन तेजी देखने को मिल रही है। जुलाई वायदा 20000 के करीब पहुंचा। लेकिन तेजी का बाद भी लगातार चौथे महीने कीमतों में दबाव कायम है। 4 महीने में जीरे के दाम 12% से ज्यादा गिरे है। 2025 में अब तक भाव 19% गिरे चुके हैं । अप्रैल में 25000 के करीब दाम पहुंचे थे।

NCDEX पर जीरे की चाल पर नजर डालें तो 1 हफ्ते में जीरे में 1 फीसदी की तेजी देखने को मिली। वहीं 1 महीने में 1 फीसदी टूटा। जनवरी 2025 में अब तक जीरे की कीमतों में 19 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। वहीं 1 साल में जीरे के दाम 25 फीसदी लुढ़के हैं।

राजगोर स्पाइसेस के ओनर धनंजय राजगोर का कहना है कि जीरे की डिमांड में बढ़त देखने को मिल रहा है। नए कॉर्प को बाजार में आए 6 महीने हो चुके है। फेस्टिव के चलते बाजार को जीरे में अच्छा सपोर्ट मिलने की उम्मीद है। जीरे में हमेशा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है जिसका मुख्य कारण डिमांड से ज्यादा सप्लाई है। इसलिए अगर जीरे की डिमांड बढ़ेगी तो ही कीमतों में तेजी आएगी।

एक्सपोर्ट स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जून में जीरे का एक्सपोर्ट अच्छा था। बाजार में जीरे को बढ़ाना होगा तो डिमांड लानी होगी। उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्यप्रदेश से जीरे की डिमांड काफी अच्छी है। बारिश जल्द आने के कारण जीरे की खरीदारी में थोड़ी बांधा आई है, लेकिन फेस्टिव सीजन में एफएमसीजी कंपनियां, लोकल स्टोर से डिमांड बढ़ने की उम्मीद है।

बीते 2-3 सालों से बाजार में सप्लाई ज्यादा होने के बाद भी डिमांड में कमी के चलते जीरे की चाल में ज्यादा उछाल नजर नहीं आया।

MCX पर लॉन्च हुआ इलेक्ट्रिसिटी वायदा, बाजार में पार्टिसिपेशन को लेकर जानें क्या कहा MCX के ऋषि नथानी

Gold Price: सोने में तेजी, गोल्ड ETF में बढ़ी खरीदारी, जानें सोने की कीमतों में आगे भी जारी रहेगी तेजी



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