GST Council Meet: आम आदमी के लिए महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत भरी खबर आ सकती है। जीएसटी काउंसिल (GST Council) की आगामी बैठक में घरेलू इस्तेमाल वाली कई जरूरी चीजों पर टैक्स दरें घटाने पर विचार किया जा सकता है। इससे मिडिल क्लास और लोअर इनकम क्लासग के लोगों को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार 8 साल पुराने गुड्स एंज सर्विसेज टैक्स (GST) ढांचे की समीक्षा कर रही है और 12% टैक्स स्लैब में शामिल कंज्यूमर गुड्स पर टैक्स घटाने पर जोर दिया जा रहा है।
किन चीजों पर सस्ता हो सकता है टैक्स?
12% टैक्स स्लैब में कई रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजें आती हैं। इनमें मक्खन, घी, अचार, जैम, चटनी, फलों का जूस, नारियल पानी, मोबाइल फोन, प्रोसेस्ड फूड, साइकिल, छाता, कपड़े और जूते, टूथपेस्ट समेत दूसरे दैनिक इस्तेमाल की वस्तुएं शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इन पर टैक्स दर घटाने से इन उत्पादों की मांग में तेजी आएगी और इससे इकोनॉमी को बल मिलेगा।
AC जैसे महंगे प्रोडक्ट्स पर भी राहत संभव
एयर कंडीशनर जैसे महंगे उत्पादों पर भी GST दर घटाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। यह फैसला मिडिल क्लास के लिए राहत बन सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो गर्मियों में AC खरीदने की योजना बनाते हैं लेकिन कीमतों के कारण रुक जाते हैं।
बीमा पर भी टैक्स कटौती की संभावना
प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान्स पर फिलहाल 18% GST लगता है। सरकार इसे 12% करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स कम करने की संभावना है, जिससे आम उपभोक्ता को बड़ी राहत मिल सकती है।
नया सेस और टैक्स स्लैब में बदलाव की तैयारी
GST लागू होने से राज्यों को नुकसान की भरपाई के लिए जो, मुआवजा सेस (Compensation Cess) लगाया गया था, वह मार्च 2026 में समाप्त होने वाला है। इसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार तंबाकू जैसे 'सिन गुड्स' पर नया सेस लगाने की योजना बना रही है। वहीं, सरकार 12% टैक्स स्लैब को पूरी तरह खत्म करने पर भी विचार कर रही है। इसके बदले, बिजनेस यूज वाली वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है ताकि राजस्व घाटे की भरपाई की जा सके।
टैक्स घटेगा तो मांग बढ़ेगी
एक सीनियर अधिकारी ने बताया, “रेवेन्यू सिर्फ आंकड़ों से नहीं आंकना चाहिए। जब टैक्स दरें घटेंगी तो कंज्मप्शन बढ़ेगा, जिससे लंबे समय में सरकार को लाभ मिलेगा।” इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को राहत देना और बाजार में मांग को बढ़ाना है।
राजनीतिक सहमति एक बड़ी चुनौती
हालांकि, इन सुधारों को लागू करने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है। कई राज्य रेवेन्यू में संभावित कमी के कारण टैक्स कटौती के प्रस्तावों का विरोध कर सकते हैं। इससे पहले भी ऐसे कई प्रस्तावों को राज्यों ने समर्थन नहीं दिया था।
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