ITR Filing 2025: असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की डेडलाइन तकनीकी तैयारियों के चलते पहले ही 15 सितंबर तक बढ़ाई जा चुकी है। लेकिन अब एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement - AIS) में तकनीकी खामियों और डेटा मिसमैच के मामलों ने टैक्सपेयर्स के लिए नई चिंता खड़ी कर दी है। यह परेशानी खासकर ITR-1 फाइल करने वाले छोटे निवेशकों को हो रही है।
गलत ब्याज रिपोर्टिंग बनी मुख्य समस्या
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी (BCAS) की कोषाध्यक्ष और सीए किंजल भुट्टा ने बताया कि इस बार ब्याज आय से जुड़ी गलतियों में तेजी आई है। उन्होंने कहा, “पोस्ट ऑफिस और बैंक ब्याज की मिस-क्लासिफिकेशन, जॉइंट खातों में डुप्लीकेशन और ब्याज की अधिक गणना जैसे मुद्दे आम हैं। यह अक्सर गलत SFT रिपोर्टिंग या विभागीय तकनीकी गड़बड़ियों के कारण हो रहा है।”
मिसमैच से ऑटोमैटिक नोटिस की आशंका
AKM ग्लोबल में टैक्स पार्टनर संदीप सहगल ने बताया कि AIS और ITR के बीच अगर कोई अंतर मिलता है, तो यह आयकर विभाग के सिस्टम में ऑटो-जेनरेटेड नोटिस का कारण बन सकता है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, "ऐसे मामलों में छोटे टैक्सपेयर्स पर गैरजरूरी अनुपालन बोझ बढ़ सकता है।"
एक्सपर्ट की सलाह: AIS डेटा क्रॉस-चेक करें
टैक्स एक्सपर्ट ने आगाह किया है कि AIS पर पूरी तरह निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। कई बार छूट प्राप्त आय (जैसे बचत खाते का ब्याज या करमुक्त ब्याज) और बिना TDS वाली आमदनी AIS में दिखाई नहीं देती। अगर टैक्सपेयर्स ने बिना सत्यापन के AIS के आधार पर रिटर्न फाइल किया, तो गलती की गुंजाइश बढ़ जाती है।
किंजल भुट्टा ने कहा, “टैक्सपेयर्स को अपने बैंक स्टेटमेंट के अनुसार सही आय रिपोर्ट करनी चाहिए। किसी भी अंतर को स्पष्ट करने के लिए जरूरी दस्तावेज संभालकर रखने चाहिए।”
सहगल ने बताया कि आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर मौजूद कम्प्लायंस सेक्शन में टैक्सपेयर्स AIS की गलतियों को फ्लैग कर सकते हैं और मैनुअल सुधार दर्ज कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “टाइम से फीडबैक देना और मैन्युअल री-कंसिलिएशन बेहद जरूरी है, वरना वैध कटौतियों का नुकसान या नोटिस मिल सकता है।”
डुप्लीकेट एंट्री की संख्या बढ़ी
एक्सपर्ट के अनुसार, इस बार AIS डेटाबेस में डुप्लीकेट और गलत एंट्री की संख्या पहले से अधिक है। किंजल ने कहा, “रिपोर्टिंग स्तर पर खामियों के कारण एक ही ब्याज आय कई बार दिख रही है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को सभी इनकम सोर्सेज को सावधानी से मिलान करना चाहिए और दस्तावेज तैयार रखने चाहिए।”
समय रहते सुधार जरूरी
रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख में अभी लगभग दो महीने का समय बचा है। एक्सपर्ट का मानना है कि टैक्सपेयर्स को इस समय का उपयोग कर सभी प्री-फिल्ड डेटा की जांच करनी चाहिए। साथ ही, AIS पोर्टल पर लॉग इन कर संभावित त्रुटियों को फीडबैक के जरिए दुरुस्त करना चाहिए। अपनी ओर से सभी स्पष्टीकरणों के लिए भी तैयारी रखनी चाहिए।
अगर ऐसा नहीं किया गया, तो रिफंड में देरी, टैक्स नोटिस और वैध कटौतियों के नुकसान की आशंका बनी रहेगी।
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