Sunday, July 27, 2025

स्टॉक मार्केट ऊंचाई पर हो तो क्या बंद कर देनी चाहिए SIP? एक्सपर्ट से जानिए जवाब

SIP Investment Advice: जब शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंचता है, तो कई निवेशकों के मन में ये सवाल आता है कि क्या अब सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) रोक देना चाहिए? उन्हें लगता है कि ऊंचे स्तर पर निवेश करने से रिटर्न कम मिल सकता है या घाटा हो सकता है। हालांकि, इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट की राय इसके ठीक उलट है। उनका कहना है कि ऐसा सोचना निवेश की मूल रणनीति के खिलाफ है और इससे लंबे समय में नुकसान हो सकता है।

SIP और डिप-बायिंग को साथ चलाना समझदारी

4Thoughts Finance की फाउंडर और CEO स्वाति सक्सेना कहती हैं कि SIP को रोकने की बजाय उसे जारी रखना चाहिए और अगर आपके पास अतिरिक्त रकम है, तो बाजार में गिरावट के दौरान उसमें लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करना बेहतर रहता है। उनके मुताबिक, "मासिक बचत SIP के जरिए होनी चाहिए और अगर बाजार गिरता है, तो उसमें अतिरिक्त निवेश किया जा सकता है। इससे लॉन्ग टर्म में फायदा मिलता है।"

हालांकि, वो यह भी मानती हैं कि बाजार कब गिरेगा, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है। स्वाति का कहना है, “डिप्स को पहचानना मुश्किल होता है, इसलिए निवेशकों के लिए बेहतर रणनीति यह हो सकती है कि वो लंप सम राशि को SIP और डिप-बायिंग दोनों के लिए अलग-अलग हिस्सों में निवेश करें।”

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2025 में अब तक 1.12 करोड़ SIP बंद

AMFI (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 की शुरुआत से लेकर अब तक करीब 1.12 करोड़ SIP अकाउंट बंद हो चुके हैं। इसका मतलब है कि बहुत से निवेशकों ने बाजार की ऊंचाई देखकर अपनी SIP रोक दी है और बाजार गिरने पर दोबारा शुरू करने की सोच रहे हैं।

FinEdge के को-फाउंडर और CEO हर्ष गहलोत मानते हैं कि SIP को रोकना गलत कदम है। उनके मुताबिक, “जब बाजार ऊंचा होता है, तो SIP रोकना सही लग सकता है। लेकिन,लेकिन ये कदम आपके फाइनेंशियल गोल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। SIP का फायदा यही है कि ये आपको समय पर और बिना भावनाओं के निवेश करने में मदद करता है।”

गहलोत कहते हैं, “भारतीय बाजार ने पिछले 10 सालों में कई बार नई ऊंचाइयां देखी हैं और हर बार वह और ऊपर गया है। अगर लोग हर बार SIP रोकते, तो वे बड़े फायदे से चूक जाते।”

उलटी सोच हो सकती है SIP रोकना

Centricity WealthTech के फाउंडिंग पार्टनर और चीफ इन्वेस्टमेंट काउंसलर ईशकरण छाबड़ा SIP को रोकने के फैसले को ‘काउंटरइंट्यूटिव’ यानी आम समझ के खिलाफ मानते हैं। उनका कहना है कि “इतिहास यही बताता है कि जो निवेशक लगातार निवेश करते हैं, वो ज्यादा फायदा कमाते हैं। बार-बार एग्जिट और एंट्री करने से फायदा नहीं होता।”

स्वाति सक्सेना भी इससे सहमत हैं। वो कहती हैं, “SIP का मकसद ये है कि आपकी हर महीने की बचत बाजार में लगती रहे। अगर इसे नियमित और अनुशासित तरीके से किया जाए तो कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है। लेकिन कई बार लोग बाजार के मूवमेंट को देखकर SIP बदलने लगते हैं, जो सही नहीं है।”

डिप-बायिंग और SIP का सही तालमेल जरूरी

स्वाति कहती हैं कि लंप सम निवेश को एक बार में लगाने की बजाय उसे कुछ हिस्सों में SIP जैसे तरीके से भी निवेश किया जा सकता है। वो कहती हैं, “अगर आप SIP और डिप-बायिंग दोनों को संतुलन के साथ अपनाते हैं, तो आपको बाजार की तेजी और गिरावट दोनों से फायदा मिल सकता है।”

स्वाति यह भी चेतावनी देती हैं कि निवेशक कई बार बिना सोच-समझ के SIP पोर्टफोलियो में बार-बार बदलाव करते हैं या ETF को बार-बार बदलते हैं, जिससे उनका रिटर्न प्रभावित होता है। उनका कहना है, “स्थिति की जानकारी जरूर रखें, लेकिन घबराकर बार-बार बदलाव न करें। बेहतर होगा कि आप किसी प्रोफेशनल फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें और उनके सुझावों पर भरोसा करें।”

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