Jane Street case : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने इस बात का खंडन किया है कि मार्केट रेग्युलेटर ने जेन स्ट्रीट मामले में कार्रवाई करने में देरी की। 8 जुलाई को जारी एक प्रेस स्टेटमेंट में बुच ने कहा कि सेबी ने 3 जुलाई के अंतरिम आदेश से एक वर्ष से भी अधिक समय पहले मामले की जांच शुरू कर दी थी। उन्होंने मीडिया के एक वर्ग पर रेग्यूलेटरी विफलता की "झूठी कहानी" फैलाने का आरोप लगाया।
बुच ने कहा, "अंतरिम आदेश में घटनाओं के क्रम को स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया है," उन्होंने 105 नंबर पेज के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें ग्लोबल क्वांट फर्म जेन स्ट्रीट पर इंडेक्स डेरिवेटिव्स में एक्सपायरी-डे हेरफेर का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सेबी की जांच अप्रैल 2024 में शुरू हुई और इसमें जेन स्ट्रीट के ट्रेडिंग स्ट्रक्चर और पैटर्न की जांच करने के लिए एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम शामिल थी।
बुच ने आगे कहा कि अप्रैल 2024 और फरवरी 2025 के बीच सेबी ने इस इंडेक्स हेरफेर की पहचान की, पॉलिसी सर्कुलर जारी किए और यहां तक कि सार्वजनिक आदेश से महीनों पहले फरवरी 2025 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को निर्देश दिया कि वह जेन स्ट्रीट को एक सीज और डिसिस्ट लेटर भेजे।
उन्होंने कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया का एक वर्ग इन तथ्यों को अनदेखा कर रहा है और यह कहकर गलत बयानबाजी करने की कोशिश कर रहा है कि सेबी की ओर से रेग्युलेटरी विफलता हुई है।" "सेबी द्वारा पास किया गया आदेश अपने आप में सब कुछ बयां करता है।"
बता दें कि 3 जुलाई के आदेश में जेन स्ट्रीट और उसकी भारतीय इकाई, जेएसआई इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को भारतीय प्रतिभूति बाजार में कारोबार करने से रोक दिया गया है और 4,840 करोड़ रुपये ($560 मिलियन) की अवैध कमाई वापस करने का निर्देश दिया है। इस आदेश में यह भी बताया गया है कि कैसे जेन स्ट्रीट ने अपनी भारत स्थित इकाई का इस्तेमाल कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेड करने के लिए किया।
माधबी पुरी बुच ने कहा, "यह निष्क्रियता का मामला नहीं है।" "सेबी ने अप्रैल 2024 से ही इस मामले को अपने हाथ में ले लिया था और आदेश जारी करने से पहले बेहद जटिल स्ट्रक्चर की जांच करने और डेटा को सत्यापित करने के लिए कई कदम उठाए थे।"
जेन स्ट्रीट मामला सेबी के इतिहास में सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक बन गया है और इससे भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग और एल्गो ट्रेडिंग रेग्युलेशन पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
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