ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री को सरकार से बड़ा तोहफा मिल सकता है। सरकार 13,000 करोड़ रुपये के इनसेंटिव पैकेज पर विचार कर रही है। दरअसल, सरकार ऑटो पार्ट्स के इंपोर्ट पर निर्भरता घटाना चाहती है। इसके लिए वह देश में ऑटो पार्ट्स का उत्पादन बढ़ाना चाहती है। यह नई स्कीम पहले से मौजूद प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से अलग होगी। इसका फोकस पूरी वैल्यू सप्लाई चेन पर होगा। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने यह बताया।
पीएमओ को सौंपा गया है डिटेल प्रजेंटेशन
इस स्कीम के बारे में डिटेल प्रजेंटेशन प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (PMO) के अधिकारियों को सौंपी गई है। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान मिनिस्ट्री ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज और नीति आयोग के अधिकारी भी मौजूद थे। अब इस स्कीम के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह जिम्मेदारी भारी उद्योग मंत्रालय को दी गई है। इस स्कीम का फ्रेमवर्क नीति आयोग की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया जा रहा है। इस रिपोर्ट में घरेलू ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है।
स्कीम में दो तरह से मदद दी जा सकती है
सूत्रों ने बताया कि इस प्रस्तावित स्कीम के तहत सरकार ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए दो तरह से सब्सिडी दे सकती है। पहला फिस्कल और दूसरा नॉन-फिस्कल। फिस्कल इनसेंटिव के चार कंपोनेंट्स हो सकते हैं। पहला ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर सपोर्ट होगा। इससे कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकेंगी। इसके लिए कंपनियों को टूलिंग, डाइज और इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूंजीगत खर्च करना होगा।
इन चीजों पर होगा स्कीम का फोकस
दूसरे कंपोनेंट के तहत स्किल डेवलपमेंट पर फोकस होगा, जिसमें सरकार टैलेंट पाइपलाइन तैयार करने के लिए इनसेंटिव देगी। तीसरे कंपोनेंट के तहत रिसर्च, डेवलपमेंट और इंटरनेशनल ब्रांडिंग पर फोकस होगाो। चौथे के तहत आरएंडडी और टेस्टिंग सेंटर्स जैसे कॉमन फैसिलिटीज के तहत सहयोग बढ़ाने पर फोकस होगा। फिस्कल इनसेंटिव के अलावा नॉन-फिस्कल इंटरवेंशन के तहत भी तीन कंपोनेंट पर स्कीम का फोकस होगा।
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ग्लोबल ऑटो कंपोनेंट्स मार्केट में बढ़ेगी हिस्सेदारी
बताया जाता है कि इस स्कीम के जरिए सरकार ग्लोबल ऑटो कंपोनेंट मार्केट में इंडिया की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है। साथ ही ग्लोबल ऑटो कंपोनेंट वैल्यू सप्लाई चेन में भी इंडिया की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस है। यह अभी 3 फीसदी है। 2030 तक इसे बढ़ाकर 8 फीसदी तक करने का प्लान है। ऑटो कंपोनेंट सेक्टर में कई ऐसी कंपनियां हैं, जो सरकार की मदद मिलते ही दुनियाभर में अपने ब्रांड की मजबूत पहचान बना सकती हैं।
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