Friday, August 2, 2024

SEBI के एफएंडओ ट्रेडिंग पर अंकुश लगाने से डब्बा ट्रेडिंग का रुख कर सकते हैं रिटेल इनवेस्टर्स

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में रिटेल ट्रेडर्स के पार्टिसिपेशन पर अंकुश लगाने की सेबी की कोशिशों का गलत असर पड़ सकता है। रिटेल इनवेस्टर्स डब्बा ट्रेडिंग या गैंबलिंग साइट्स का रुख कर सकते हैं। डब्बा ट्रेडिंग अवैध है। डब्बा ट्रेडिंग में शेयरों की खरीदफरोख्त के लिए स्टॉक एक्सचेंज का इस्तेमाल नहीं होता है। सौदों का निपटारा डब्बा ट्रेडिंग की सुविधा देने वाला व्यक्ति के जरिए होता है। कोई व्यक्ति बगैर डीमैट अकाउंट या केवायसी शेयरों या सूचकांकों पर दांव लगा सकता है।

डब्बा ट्रेडिंग का मतलब क्या है?

डब्बा ऑपरेटर्स (Dabba Operators) बुकीज की तरह काम करते हैं। इसमें शेयरों की दिशा क्या होगी, इस पर सट्टा लगाया जाता है। इसमें अपफ्रंट मार्जिन जैसी कोई चीज नहीं होती है। प्रॉफिट पर टैक्स भी नहीं चुकाना पड़ता है। कुछ ट्रेडर्स का कहना है कि डब्बा ट्रेडिंग का आकार काफी बड़ा हो गाय है। इसकी वजह स्टॉक मार्केट में पिछले कई महीनों से जारी तेजी है। बिगुल के सीईओ अतुल पारेख ने कहा कि सेबी ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाने का प्लान बनाया है। इससे डेरिवेटिव मार्केट में रिटेल इनवेस्टर्स का पार्टिसिपेशन घटेगा। लेकिन, इससे डब्बा ट्रेडिंग में वॉल्यूम बढ़ सकता है। रिटेल इनवेस्टर्स मुनाफे के लिए डब्बा ट्रेडिंग का रुख कर सकते हैं।

 

सेबी के कुछ प्रस्तावों को लेकर चिंता

उन्होंने कहा, "मैं यह मानता हूं कि सेबी के कुछ प्रस्ताव अच्छे हैं। लेकिन सभी प्रस्तावों को लागू करना चिंताजनक है।" दिग्गज निवेशक अजय बग्गा का मानना है कि ज्यादा मार्जिन और टैक्स की वजह से इनफॉर्मल चैनल को बढ़ने का मौका मिलेगा। इनमें टैक्स नहीं देना पड़ता है और ट्रेडिंग मार्जिन भी कम है। उन्होंने कहा कि पहले से ही बड़ी संख्या में FX ट्रेडिंग ऐप्स हैं, जो निवेशकों को धोखा देते हैं।

अवैध ट्रेडिंग चैनल का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं इनवेस्टर्स

उन्होंने कहा कि छोटे निवेशक नॉन-रेगुलेटेड एफएंडओ ट्रेडिंग के चैनल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में कई निवेशकों का पूरा पैसा तक डूब सकता है। आईपीओ मार्केट जैसे क्लीन और एफिशियंट मार्केट में इनवेस्टर्स अच्छी लिस्टिंग गेंस की उम्मीद में दिलचस्पी दिखाते हैं। एजुकेशन और रेगुलेटरी उपायों से निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स जैसे लंबी अवधि के निवेश के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निवेशकों की आदत बदलना मुश्किल काम है।

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90 फीसदी रिटेल ट्रेडर्स को लॉस चिंता की बात

मशहूर टेक्निकल एक्सपर्ट दिनेश नागपाल ने कहा कि सेबी के उपायों का व्यापक असर पड़ेगा, क्योंकि डेरिवेटिव में ट्रेडिंग की कॉस्ट कम होती है। रिटेल इनवेस्टर्स की एफएंडओ में एक्टिविटी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि फ्री इकोनॉमी में स्पेकुलेशन की इजाजत है लेकिन अगर 90 फीसदी लोगों को लॉस हो रहा है तो इसका मतलब है कि यह गैंबलिंग हो चुका है।



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