जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत ने हाल में परिवार और उसकी विरासत को जारी रखने के बारे में अपनी सोच बताई। उन्होंने अपने पॉडकास्ट 'डब्ल्यूटीएफ' में बताया कि अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का पिता बनने में उनकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। इस अरबपति आंत्रप्रेन्योर ने कहा कि वह सिर्फ इसलिए बच्चों को संभालने पर अपने दो दशक नहीं बिताना चाहते कि उनके बूढ़े होने पर बच्चे उनकी देखभाल करेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे नहीं होने की एक वजह यह भी है।
कामत ने बताई यह वजह
कामत (Nikhil Kamath) ने कहा, "मैं बच्चे की देखभाल पर 18-20 साल बिता दूं और अगर भाग्य मेरा साथ देता है तो बाद में जाकर बच्चा मेरी देखभाल करेगा। क्या होगा अगर 18 साल के होने पर बच्चे को यह सब ठीक नहीं लगे और वह इसे छोड़ने का फैसला कर लें।" अपनी विरासत छोड़ने के एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि इस सोच में उनका भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा, "हम जितना महत्वपूर्ण हैं खुद को उससे ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं... आप जन्म लेते हैं और किसी दूसरे प्राणी की तरह मर जाते हैं। आपके जाने के बाद आपको कोई याद नहीं करता।"
कामत ने गिविंग प्लेज के बारे में कही यह बात
कामत ने कहा कि मौत के बाद याद किए जाने के लिए बच्चे होने का मतलब मुझे समझ में नहीं आता। मौते के बाद याद किए जाने की क्यों जरूरत है। मेरा मानना है कि आपको अच्छी तरह से रहना चाहिए। आप जिंदगी में जितने लोगों से मिलते हैं उनके साथ आपको अच्छा व्यवहार करना चाहिए। पिछले साल कामत 'गिविंग प्लेज का' का हिस्सा बनने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बने थे। उन्होंने अपनी ज्यादातर संपत्ति परोपकार के लिए दान कर दी थी। उन्होंने कहा कि वह इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन निलेकणी, बायोकॉन के फाउंडर किरण मजूमदार शॉ और विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी जैसे बेंगलुरु के दूसरे आंत्रप्रेन्योर से प्रेरित थे।
चार लोगों पर बेंगलुरु के लोगों को गर्व
बिजनेस टुडे ने कामत के हवाले से लिखा है, "इंडिया में ऐसे चार लोग हैं, जिन्होंने गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए हैं- बाकी तीन मेरे वास्तव में अच्छे दोस्त हैं। और बेंगलुरु के लोगों को यह बात गौरवान्वित करेगी कि इनमें से सभी बेंगलुरु के हैं। हम सभी दोस्त हैं। मैं और किरण एक ही अपार्टमेंट में रहते हैं...हम हर महीने एक बार डिनर के लिए मिलते हैं या साथ में ट्रैवल करते हैं।"
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बैंक में रखने की जगह पैसा सही जगह खर्च करना बेहतर
यह पूछने पर कि उन्होंने क्यों अपनी संपत्ति दान में दे दी और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे नहीं बचाया, जीरोधा के को-फाउंडर ने कहा कि बेंगलुरु में रहने और गिविंग प्लेज का हिस्सा बनने वाले दूसरे लोगों से प्रेरित होकर मैंने अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा दान में देने का फैसला किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह पैसे बैंकों में रखने की जगह इसे सही मकसद के लिए खर्च करना पसंद करेंगे।
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