Wednesday, April 17, 2024

DPIIT सेक्रेटरी ने कहा-उम्मीद है कि Tesla की इंडिया में एंट्री सिर्फ कारों तक सीमित नहीं रहेगी

डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इनटर्नल ट्रेड (DPIIT) में सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इंडिया में टेस्ला की एंट्री सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों तक सीमित नहीं रहेगी। मनीकंट्रोल से बातचीत में सिंह ने इंडिया की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी और एलॉन मस्क की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होने वाली बातचीत के बारे में कई अहम बातें बताईं। उन्होंने कि एलॉन मस्क की इंडिया में एंट्री इलेक्ट्रिक कारों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसमें स्टारलिंक और बैटरी टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रोजेक्ट्स भी शामिल होंगे। अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी से एलॉन मस्क की संभावित मुलाकात के बारे में सिंह ने कहा कि टेस्ला के प्रमुख इंडिया में सभी तरह के इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स लाएंगे।

सिंह ने कहा कि कम लोअर ड्यूटी वाली सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी सिर्फ टेस्ला को ध्यान में रख नहीं बनाई गई है। इसका फायदा इंडियन बाजार में दिलचस्पी रखने वाली कोई कंपनी उठा सकती है। उन्होंने कहा कि ईवी पॉलिसी में टैक्स में दी गई छूट को रियायत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ज्यादातर देशों में 15 फीसदी स्टैंडर्ड टैक्स है। मस्क की मुलाकात पीएम मोदी से 22 अप्रैल को होने की संभावना है। इसके बाद इंडिया में टेस्ला की एंट्री का औपचारिक ऐलान हो सकता है।

क्या ईवी पॉलिसी विदेशी ऑटो कंपनियों के लिए ज्यादा फायदेमंद है? इसके जवाब में सिंह ने कहा कि ईवी पॉलिसी को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इसका विरोध नहीं हुआ है। कोई यह नहीं कह रहा है कि इससे लोकल मैन्युफैक्चरर्स को दिक्कत होगी, क्योंकि ग्लोबल व्हीकल कंपनियों को कम ड्यूटी पर जिस प्राइस की गाड़ियां इंडिया में इंपोर्ट करने की इजाजत दी गई है, उस प्राइस पर लोकल ऑटो कंपनियों की व्हीकल्स उपलब्ध नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि लोकल मैन्युफैक्चरर्स उस प्राइस पर अगले एक या दो साल में गाड़ियां लॉन्च कर सकते हैं। इसलिए उन्हें ग्लोबल मैन्युफैक्चरर्स से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में होना चाहिए। मैं इसे कम ड्यूटी वाली पॉलिसी भी नहीं कहूंगा क्योंकि ज्यादातर देशों में 15 फीसदी एक स्टैंडर्ड ड्यूटी रेट है। यह सही है कि हम जितनी ड्यूटी लगाते थे उसके मुकाबले यह काफी कम है। हमने यह पॉलिसी इस तरह से बनाई है, जिससे ग्राहकों को विकल्प मिल सके। हम पारंपरिक ईंधन पर निर्धनता घटाना चाहते हैं। वायु प्रदूषण में कमी लाना चाहते हैं।



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