Wednesday, April 10, 2024

'उस द्वीप पर कोई रहता है क्या?' कच्चातिवु आइसलैंड को लेकर क्या बोल गए दिग्विजय सिंह

Katchatheevu issue: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने कच्चातिवु द्वीप (Katchatheevu Island) मुद्दा फिर से उठाने के लिए बुधवार (10 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए विवादित बयान दे दिया। दिग्विजय सिंह ने पूछा कि उस द्वीप पर कोई रहता है क्या? बता दें कि पीएम मोदी ने बुधवार सुबह तमिलनाडु में एक चुनावी रैली में कच्चातिवु विवाद उठाते हुए कहा कि कांग्रेस और DMK ने इस मुद्दे पर राज्य को कई सालों तक अंधेरे में रखा। कांग्रेस (Congress) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर राजनीतिक लाभ के लिए 50 साल पहले हल किए जा चुके कच्चातिवु द्वीप मुद्दे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

बता दें कि तमिलनाडु की राजनीति में यह मुद्दा गर्माया हुआ है। पीएम मोदी ने दावा किया कि तत्कालीन DMK सरकार के संज्ञान में बातें रखे जाने के बाद इस द्वीप को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच समझौता हो सका था। प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, "मैं पूछना चाहता हूं कि क्या उस द्वीप पर कोई रहता है।"

क्या है पूरा मामला?

पीएम मोदी कांग्रेस और उसकी सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) पर 1970 के दशक के मध्य में कच्चातिवु द्वीप के श्रीलंका को कब्जे में लेने के मामले में राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए निशाना साध रहे हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी दावा किया था कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर उदासीनता दिखाई जैसे उन्हें कोई परवाह नहीं हो और भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छोड़ दिया जबकि कानूनी राय इसके खिलाफ थी।

कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने 'छोटी चट्टान' बताया था

जयशंकर ने 1 अप्रैल को कहा था कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु को एक 'छोटा द्वीप' और 'छोटी चट्टान' बताया था। उन्होंने कहा था कि यह मुद्दा अचानक सामने नहीं आया है, बल्कि यह हमेशा से एक जीवंत मुद्दा रहा है।

जयशंकर ने कहा था कि इसके रिकॉर्ड मौजूद हैं कि तत्कालीन विदेश सचिव ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं DMK के नेता एम करुणानिधि को दोनों देशों के बीच हुई बातचीत की पूरी जानकारी दी थी। उन्होंने क्षेत्रीय दल द्रमुक पर कांग्रेस के साथ 1974 में और उसके बाद एक ऐसी स्थिति उत्पन्न करने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया था जो "बड़ी चिंता" का कारण है।

RTI से हुआ खुलासा

सूचना के अधिकार (RTI) के जरिए अब सार्वजनिक हुए दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें (दस्तावेज में) बताया गया है कि 1973 के बाद से तत्कालीन केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर तमिलनाडु सरकार एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के साथ व्यक्तिगत रूप से निरंतर और डिटेल्स सलाह किया था।

DMK के तमिलों और मछुआरों के हितैषी होने के दावों पर कटाक्ष करते हुए जयशंकर ने दावा किया कि वास्तव में उसकी स्थिति यह थी, 'ठीक है, हम इन सभी से सहमत हैं, लेकिन आप जानते हैं, सार्वजनिक रूप से हम इसका समर्थन नहीं करेंगे। इसलिए, सार्वजनिक रूप से, हम कुछ और कहेंगे, लेकिन वास्तव में हम इस पर आपके साथ हैं।"

उन्होंने कहा कि इसके रिकॉर्ड मौजूद हैं कि तत्कालीन विदेश सचिव ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के नेता एम करुणानिधि को दोनों देशों के बीच हुई बातचीत की पूरी जानकारी दी थी। उन्होंने क्षेत्रीय दल पर कांग्रेस के साथ 1974 में और उसके बाद एक ऐसी स्थिति उत्पन्न करने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया जो "बड़ी चिंता" का कारण है।

ये भी पढ़ें- BJP की नई लिस्ट जारी! चंडीगढ़ से किरण खेर का कटा टिकट, आसनसोल में शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ एसएस अहलूवालिया लड़ेंगे चुनाव



from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/6v8UPF0
via

No comments:

Post a Comment