Wednesday, April 10, 2024

अटल भूजल योजना है देश के वॉटर मैनेजमेंट का सबसे बड़ा उदाहरण, समझें इसकी अहमियत

Atal Bhujal Yojana: गर्म होती दुनिया और बढ़ते जल संकट के बीच भारत का जल प्रबंधन (Water Management) करना लगातार अहम होता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के चलते हमारे जल संसाधनों पर असर पड़ रहा है, जिसके चलते बारिश के असमान पैटर्न से लेकर बाढ़ व सूखे और समुद्र के बढ़ते जल स्तर जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। भारत ने वॉटर मैनेजमेंट के लिए इस समय एक बहुआयामी नजरिया अपनाया हुआ है, जिसमें भूजल पर विशेष जोर दिया गया है। भूजल पर जोर देने के पीछे अहम कारण यह है कि भारत दुनिया भर में इसका सबसे बड़ा यूजर्स है। देश की 62 प्रतिशत सिंचाई भूजल से ही होती है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 85 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत पेयजल की सप्लाई भूजल से होता है।

हालांकि इसके बावजूद भारत में भूजल का टिकाऊ तरीके से इस्तेमाल और मैनेजमेंट थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसकी निकासी की प्रक्रिया भूमि अधिकारों से जुड़ी हुआ है। जो जमीन का मालिक होता है, वहीं उस जमीन से पानी की निकासी कर सकता है। इसके चलत भूजल की अनियमित निकासी होती है। हालांकि केंद्र सरकार ने एक ऐसी योजना निकाली है, जो भूजल की निकासी को नियमित बनाने और लोगों तक इसके पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही है। इसका नाम अटल भूजल योजना (ABY) है।

काउंसिल ऑफ एनर्जी, एनवारयरमेंट एंड वॉटर (CEEW) ने हाल ही में एक स्टडी के जरिए बताया कि यह योजना राजस्थान में कैसे काम करती है। राजस्थान को इसलिए चुना गया क्योंकि जलवायु में काफी बदलाव और भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण राज्य के कई इलाकों में जल संकट की स्थिति बढ़ गई है।

स्टडी के राजस्थान के 8 जिलों के 17 ग्राम पंचायतों का सर्वे किया गया। इन ग्राम पंचायतों के 'ग्रामीण जल और स्वच्छता समिति (VWSC)' के सदस्यों ने बताया कि बारिश की तीव्रता और अवधि में अनियमितता आई है और पिछले 20-30 सालों के दौरान भूजल के स्तर में काफी कमी आई है। इसके चलते सर्वे में शामिल 17 में 10 ग्राम पंचायतों में सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी में कमी आई।

अटल भूजल योजना (ABY) इन समस्याओं को दूर करने के लिए भूजल के प्रबंधन पर सबसे अधिक जोर देता है। भारत सरकार ने करीब 6,000 करोड़ रुपये की लागत से इस योजना को 2019 में लॉन्च किया था। इसके तहत देश के 7 राज्यों में 203 अत्याधिक भूजल दोहन वाले ब्लॉक (अब 229) की पहचान की गई और यहां भूजल के स्तर को सुधारने पर जोर दिया। इसके भारत के जल प्रबंधंक के उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।

जल का टिकाऊ तरीसे इस्तेमाल तभी सुनिश्चिक किया जा सकता है, जब जमीनी स्तर से नियमित आंकड़े आते रहे है। अटल भूजल योजना, दुनिया की सबसे अधिक सहभागिता वाले भूजल मैनेजमेंट कार्यक्रमों में से एक है। इसका फाइनेंशियल स्ट्रक्चर इस तरह बना हुआ है, यह सरकार के सभी स्तर पर एक समुदाय के तौर पर सहभागिता को बढ़ावा देता है। साथ ही यह ग्राम पंचायतों के स्तर पर 'लक्ष्य पूरा होने के आधार' पर फंड जारी करती है, जिससे इस योजना के अधिकतम कार्यान्वयन में मदद मिलता है।

अटल भूजल योजना के तहत पानी को बचाने के लिए नई तकनीकों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जाता है, जिसमें ड्रिप, स्प्रिंकलर और पाइपलाइन से सिंचाई आदि शामिल हैं। CEEW के स्टडी से पता चला है कि सर्वे में शामिल राजस्थान के 15 ग्राम पंचायतों में अगर पानी का सही तरीके से इस्तेमाल होता, तो 24,481 हेक्टयेर अतिरिक्त जमीन को पानी से कवर किया जा सकता था।

आगे की राह

भारत के कई इलाकों में जल संकट बढ़ रहा है। ऐसे में अटल भूजल योजना का विस्तार करने और जल-संकट से घिरे देश के 68 प्रतिशत ब्लॉक को इस योजना के दायरे में लाया जा सकता है। इनमें से अधिकतर इलाके दक्षिणी भारत और पंजाब में स्थित हैं। यह जरूरी है कि आगामी बजट सत्र में इस योजना के दायरे को बढ़ाया जाए। इसके अलावा इससे मिले आंकड़ों का इस्तेमाल दूसरी राष्ट्रीय नीतियों में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, देश के जल जीवन मिशन और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, दोनों ही अपने लक्ष्यों को पूरा करने भूजल पर निर्भर हैं। इस तरह की योजनाओं को अब उनकी जरूरत के लिए वास्तविक समय के डेटा तक पहुंच मिल सकती है।

(मनीकंट्रोल के लिए यह लेख आदित्य विक्रम जैन और एकांशा खंडूजा ने लिखा है। आदित्य एक रिसर्च एनालिस्ट हैं। वहीं खंडुजा, CEEW की प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। विचार निजी हैं।)



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