Tuesday, December 16, 2025

SEBI बोर्ड की अहम बैठक कल, म्युचुअल फंड नियमों और स्टॉक ब्रोकर रेगुलेशन पर चर्चा संभव

मार्केट रेगुलेटर SEBI की कल अहम बोर्ड बैठक होने वाली है। इस बैठक में म्युचुअल फंड इंडस्ट्री से जुड़े कई अहम नियमों की समीक्षा की जा सकती है। इसमें टोटल एक्सपेंस रेश्यो और ब्रोकरेज पर लिमिट पर भी चर्चा हो सकती है। कल की मीटिंग में स्टॉकब्रोकर से जुड़े प्रावधानों और ICDR फ्रेमवर्क में बदलाव जैसे मुद्दों पर भी चर्चा संभव है। इसी के साथ कारोबार को आसान करना और रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने पर भी चर्चा होगी।

SEBI बोर्ड मीटिंग का एजेंडा

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक कल की बैठक के एजेंडे में म्यूचुअल फंड रेगुलेशन, स्टॉकब्रोकर रेगुलेशन और ICDR फ्रेमवर्क की पूरी समीक्षा के शामिल होने की उम्मीद है। इसका मकसद बिज़नेस करने में आसानी सुनिश्चित करना और रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ना है। बोर्ड SEBI के फुल-टाइम सदस्यों और अधिकारियों के लिए हितों के टकराव के कोड में बदलाव पर भी चर्चा कर सकता है। अन्य प्रस्तावों में पुराने फिजिकल शेयरों के डीमैटरियलाइजेशन को आसान बनाना, पब्लिक डेट इश्यू में इंसेंटिव देना, हाई-वैल्यू डेट लिस्टेड कंपनियों के लिए लिमिट बढ़ाना और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के काम का दायरा बढ़ाना शामिल हो सकता है।

TER सहित MF नियमों की व्यापक समीक्षा

सूत्रों के मुताबिक एक अहम प्रस्ताव म्यूचुअल फंड रेगुलेशन के तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के लिए ब्रोकरेज फीस की लिमिट तय करने से जुड़ा है। SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर में, कैश सेगमेंट के लिए ब्रोकरेज को मौजूदा 12 बेसिस पॉइंट्स से घटाकर 2 बेसिस पॉइंट्स और डेरिवेटिव्स के लिए मौजूदा 5 बेसिस पॉइंट्स से घटाकर 1 बेसिस पॉइंट करने का प्रस्ताव रखा है।

इंस्टीट्यूशनल ब्रोकरेज और AMC ने राहत के लिए रिक्वेस्ट की है। बोर्ड टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) को कम करने के प्रस्तावों पर भी फिर से विचार कर सकता है। कंसल्टेशन पेपर में ओपन-एंडेड स्कीम के लिए 15 बेसिस पॉइंट और क्लोज्ड-एंडेड स्कीम के लिए 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की सिफारिश की गई थी।

SEBI ने TER लिमिट से STT, GST, CTT और स्टैंप ड्यूटी जैसे वैधानिक लेवी को बाहर रखने का भी प्रस्ताव रखा था। अभी, सिर्फ़ मैनेजमेंट फीस पर GST अलग से लिया जाता है, लेकिन दूसरे लेवी TER में शामिल होते हैं। एक और प्रस्ताव AMCs को परफॉर्मेंस-लिंक्ड खर्च रेशियो शुरू करने से संबंधित है। SEBI ने कहा है कि इन उपायों का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और रेगुलेटरी लैंग्वेज को आसान बनाना है।

स्टॉकब्रोकर नियमों की समीक्षा

SEBI ने कहा है कि इन प्रस्तावों का मकसद कंप्लायंस को आसान बनाना, लागत कम करना, निवेशकों की सुरक्षा को मज़बूत करना और नियमों को कंपनी एक्ट, 2013 के साथ अलाइन करना है। पहली बार, एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग को औपचारिक रूप से किसी भी ऑटोमेटेड एग्जीक्यूशन लॉजिक का इस्तेमाल करके जेनरेट या प्लेस किए गए ऑर्डर के रूप में परिभाषित किया गया है और प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग की परिभाषा को भी साफ किया गया है।

SEBI ने स्टॉक ब्रोकर्स को सरकारी सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग के लिए नेगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम-ऑर्डर मैचिंग (NDS-OM) प्लेटफॉर्म तक एक्सेस देने और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड प्लान में ट्रांजैक्शन को आसान बनाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए एक एग्जीक्यूशन ओनली प्लेटफॉर्म (EOP) को परिभाषित करने का भी सुझाव दिया है।

मौजूदा IPO लॉक-इन से जुड़े नियम भी आसान हो सकते हैं

सेबी की कल की बोर्ड मीटिंग में IPO लॉक-इन मुद्दों को हल करने और डिस्क्लोजर को आसान बनाने के लिए संशोधनों पर विचार किया जा सकता है। SEBI प्लेज्ड प्री-इश्यू शेयरों को टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड मैकेनिज्म के ज़रिए लॉक-इन के तौर पर मार्क करने की अनुमति देने के लिए ICDR नियमों में संशोधन कर सकता है। अभी, ज़्यादातर प्री-इश्यू शेयरों को अलॉटमेंट के बाद छह महीने के लिए लॉक-इन करना होता है, डिपॉजिटरी प्लेज्ड शेयरों को लॉक-इन के तौर पर टैग नहीं कर पाते हैं, जिससे कंप्लायंस में दिक्कतें, लिस्टिंग में देरी और टाइट IPO टाइमलाइन के दौरान गैर-सहयोगी या ट्रेस न किए जा सकने वाले शेयरधारकों के साथ कोऑर्डिनेशन की समस्याएं होती हैं।

इसके अलावा, SEBI ने संक्षिप्त प्रॉस्पेक्टस को एक अलग, समझने में आसान 15-20 पेज के ऑफर डॉक्यूमेंट समरी से बदलने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें IPO की मुख्य डिटेल्स शामिल होंगी। इस प्रस्ताव पर भी कल की बैठक में चर्चा हो सकती है।

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