Friday, December 12, 2025

उत्तराखंड में 'धामी की धमक' चार साल में विकास, सुशासन और कड़े कानूनों से मिली नई पहचान

देवभूमि उत्तराखंड ने अपने रजत जयंती वर्ष और वर्तमान सरकार के चार साल पूरे होने पर विकास, सुशासन और जनकल्याण के कई उल्लेखनीय कदम दर्ज किए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर राज्य आंदोलन के शहीदों, आंदोलनकारियों और वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी नमन किया, जिन्होंने राज्य की मजबूत नींव रखी थी।

चार साल की विकास यात्रा: मजबूत अर्थव्यवस्था और नई ऊंचाइयां

सरकार ने दावा किया कि पिछले चार वर्षों में उत्तराखंड ने अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक संरक्षण में ऐतिहासिक प्रगति की है।

  • राज्य की अर्थव्यवस्था 26 गुना बढ़ी।
  • प्रति व्यक्ति आय 18 गुना बढ़ी है।
  • राज्य का कुल बजट अब 20 गुना से अधिक बढ़ चुका है।
  • विकास दर बढ़कर 7.83% हो गई है।
  • उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केदारनाथ और बद्रीनाथ के बाद अब मानसखंड के विकास पर भी तेजी से काम हो रहा है। 48 मंदिरों के सौंदर्यीकरण का कार्य ‘मानसखंड मंदिर माला मिशन’ के तहत चल रहा है।

औद्योगिक विकास में रिकॉर्ड निवेश

उत्तराखंड ने निवेश और उद्योगों के क्षेत्र में बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद राज्य में 3.56 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए। इनमें से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट जमीन पर उतर चुके हैं।

हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज और कोटद्वार बड़े औद्योगिक केंद्र बन गए हैं। काशीपुर में एरोमा पार्क और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर विकसित हो रहे हैं।कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार देने के लिए ‘हाउस ऑफ हिमालया’ ब्रांड शुरू किया गया है।

बढ़ती रेल कनेक्टिविटी: अब ट्रेन चढ़ेगी पहाड़

राज्य में रेल परियोजनाओं पर भी तेजी से काम हो रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन (125 Km) लगभग ₹16,000 करोड़ की लागत से तेज गति से बन रही है।

टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन (170 Km) की डीपीआर तैयार, कुल लागत लगभग ₹48,692 करोड़ देहरादून-दिल्ली के बाद अब देहरादून-लखनऊ वंदे भारत ट्रेन भी शुरू। 5 नई वंदे भारत ट्रेनों का प्रस्ताव। रेल बजट आवंटन 25 गुना से अधिक बढ़ गया है।

कड़े कानून: नकल, धर्मांतरण और भूमि माफियाओं पर अंकुश

1. नकल विरोधी सख्त कानून

– नकल माफियाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून लाया गया।

– 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना और उम्रकैद तक सजा का प्रावधान।

– 80 से अधिक नकल माफिया जेल भेजे गए।

– अब सभी परीक्षाएं पारदर्शी ढंग से हो रही हैं।

2. नया भू-कानून

– बाहरी लोगों के लिए पहाड़ के 11 जिलों में कृषि भूमि खरीदने पर रोक।

– निकाय क्षेत्रों से बाहर सिर्फ 250 वर्ग मीटर तक की आवासीय भूमि खरीदने की अनुमति।

– जमीनों की खरीद-फरोख्त में बढ़ती अनियमितताओं पर रोक।

3. धर्मांतरण विरोधी कानून

– 14 साल तक की सजा और संपत्ति कुर्की का प्रावधान।

– गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई का रास्ता खुला।

– लव जिहाद, लैंड जिहाद और खाद्य पदार्थों में गंदगी (थूक जिहाद) पर सख्त कार्रवाई।

युवाओं को रोजगार: 26 हजार से अधिक सरकारी नौकरियां

सरकार ने पिछले चार वर्षों में 26,500 से अधिक सरकारी नौकरियां दी हैं। 10,000 नई भर्तियों की प्रक्रिया शुरू है। नकल विरोधी कानून के बाद भर्ती प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता आई। बेरोजगारी दर 8% से घटकर 4.4% रह गई है।

किसानों के लिए बड़े कदम: एप्पल, कीवी और ड्रैगन फ्रूट मिशन

राज्य में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कई मिशन शुरू किए गए।

एप्पल मिशन: सेब के बगीचे लगाने पर 80% सब्सिडी, अधिकतम ₹9.60 लाख।

कीवी मिशन: किसानों को 70% सब्सिडी।

ड्रैगन फ्रूट मिशन: 2027–28 तक 15 करोड़ रुपये का निवेश, 450 परिवारों को लाभ का लक्ष्य।

किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ी है और उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है।

महिलाओं को आरक्षण और सम्मान

राज्य सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकारी नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण, सहकारी समितियों में 33% आरक्षण लागू किया है।

महिलाएं पहाड़ के सामाजिक जीवन की धुरी मानी जाती हैं, इसलिए यह कदम बड़ा बदलाव ला रहा है।

राज्य आंदोलनकारियों के लिए सम्मान और बढ़ी पेंशन

राज्य आंदोलन में योगदान देने वालों की पेंशन बढ़ाई गई:

  • जेल गए आंदोलनकारियों की पेंशन ₹6,000 से बढ़कर ₹7,000।
  • अन्य आंदोलनकारियों की पेंशन ₹4,500 से बढ़कर ₹5,500।
  • विकलांग आंदोलनकारियों की पेंशन ₹20,000 से बढ़कर ₹30,000।
  • आश्रितों की पेंशन ₹3,000 से बढ़कर ₹5,500।
  • साथ ही 10% क्षैतिज आरक्षण और मृत्यु के बाद आश्रितों को पेंशन का भी प्रावधान।

उत्तराखंड सरकार के चार साल विकास, सुशासन और सख्त प्रशासनिक सुधारों के रूप में सामने आए हैं। उद्योग, रेल, पर्यटन, किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए उठाए गए कदमों ने राज्य को देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा किया है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाना है।



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