Saturday, December 20, 2025

Belated ITR: बिलेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए बचे हैं कुछ दिन, जानिए कितनी लगेगी पेनाल्टी

इस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 16 सितंबर थी। आम तौर पर रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई होती है। इस तारीख तक पिछले वित्त वर्ष का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी होता है। कई टैक्सपेयर्स कुछ वजहों से अंतिम तारीख तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर पाते हैं। ऐसे टैक्सपेयर्स 31 दिसंबर तक बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। आइए इसके नियम और शर्तों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बिलेटेड रिटर्न का मकसद

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(4) में Belated Return के प्रावधान शामिल हैं। इसके मुताबिक, अगर टैक्सपेयर्स तय तारीख तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से चूक गया है तो वह बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह सुविधा उन टैक्सेपयर्स को ध्यान में रखकर दी है, जो किसी मुश्किल के चलते डेडलाइन तक रिटर्न फाइल नहीं कर पाते हैं।

बिलेटेड रिटर्न फाइल करने में नुकसान

एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को अंतिम तारीख तक आईटीआर फाइल करने की कोशिश करनी चाहिए। किसी वजह से चूक होने पर ही बिलेटेड रिटर्न के विकल्प का इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि बिलेटेड रिटर्न फाइल करने पर पेनाल्टी लगती है। साथ ही लॉस कैरी फॉरवर्ड करने सहित कई बेनेफिट्स नहीं मिलते हैं।

ग्रॉस इनकम के हिसाब से पेनाल्टी

अगर किसी टैक्सपेयर्स की ग्रॉस टोटल इनकम 5 लाख रुपये तक है तो बिलेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए उसे 1,000 रुपये पेनाल्टी चुकानी पड़ेगी। ग्रॉस टोटल इनकम सालाना 5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर 5 रुपये की पेनाल्टी चुकानी होगी। इसके अलावा टैक्स के अमाउंट पर प्रति माह 1 फीसदी के रेट से इंटरेस्ट भी चुकाना होगा। इसका कैलकुलेशन रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख से एक्चुअल रिटर्न फाइल करने की तारीख के आधार पर होगा।

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सिर्फ नई रीजीम में फाइल करने का विकल्प

बिलेटेड रिटर्न फाइल करने पर कई टैक्स बेनेफिट्स नहीं मिलते हैं। जैसे अगर किसी टैक्सपेयर को बिजनेस या कैपिटल लॉस हुआ है तो उसे बाद के सालों में सेट-ऑफ करने के लिए कैरी-फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता। लेकिन, हाउस प्रॉपर्टी से होने वाले लॉस को कैरी-फॉरवर्ड किया जा सकता है। दूसरा नुकसान यह है कि कोई इंडिविजुअल टैक्सपेयर अगर बिलेटेड रिटर्न फाइल करता है तो उसके लिए इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम के इस्तेमाल का विकल्प उपलब्ध नहीं होता है। उसे इनकम टैक्स की नई रीजीम में रिटर्न फाइल करना होगा।



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