उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के हाईवे गैंगरेप मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। बता दें कि कोर्ट ने साल 2016 में मां और नाबालिग बेटी के साथ हुए गैंगरेप मामले में पोक्सो कोर्ट ने पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सके साथ ही प्रत्येक आरोपी पर 1 लाख 81 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें कि, मां-बेटी के इस गैंगरेप मामले में कुल छह अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें एक अभियुक्त की ट्रायल के दौरान जेल में मौत हो गई थी।
9 साल पहले घटी थी वारदात
यह दर्दनाक घटना 29 जुलाई 2016 की है, जब एक परिवार कार से नोएडा से शाहजहांपुर जा रहा था। रास्ते में बुलंदशहर के ग्रामीण इलाके में नेशनल हाईवे 91 पर दोस्तपुर गांव के पास आरोपियों ने सड़क पर लोहे की रॉड रखकर उनकी कार रुकवा ली और फिर वारदात को अंजाम दिया। अदालत के इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। इसके बाद आरोपियों ने परिवार को जबरन गाड़ी से बाहर निकाला और कार सहित पास के खेतों में ले गए। वहां उन्होंने मां और उसकी बेटी के साथ बेहद क्रूरता की और गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया, जबकि परिवार के बाकी सदस्यों को असहाय हालत में छोड़ दिया गया।
अपराधियों ने परिवार को बनाया था निशाना
फैसले के बाद वरुण कौशिक ने कहा कि अदालत के इस निर्णय से साफ संदेश जाता है कि ऐसे अपराध करने वालों को समाज से अलग रखना ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सभी पाँच दोषियों को उम्रकैद की सज़ा दी है और यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे अपराधियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। कौशिक ने यह भी याद दिलाया कि यह जघन्य अपराध 2016 में नेशनल हाईवे 91 के दोस्तपुर इलाके में हुआ था, जहां कार से यात्रा कर रहे एक परिवार को निशाना बनाया गया था।
कोर्ट ने ऐसे सुनाई सजा
उन्होंने बताया कि साल 2016 में दोस्तपुर हाईवे पर रेप और लूट की यह जघन्य वारदात हुई थी, जिसमें आरोपियों ने मां और बेटी के साथ गैंगरेप जैसा घिनौना अपराध किया। आगे बोलते हुए वरुण कौशिक ने कहा कि इस मामले में दोषियों को सज़ा दिलाने में फोरेंसिक सबूतों की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने बताया कि सबसे अहम सबूत यह था कि एक आरोपी का DNA पीड़िता की माँ के कपड़ों से मिला, जिसने आरोपों को मज़बूती से साबित किया।
इस मामले में कुल छह आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, इनमें से एक आरोपी की 2019 में ट्रायल के दौरान जेल में ही मौत हो गई, जिसके बाद बाकी पांच आरोपियों के खिलाफ ही अंतिम फैसला सुनाया गया। इस बारे में वरुण कौशिक ने भी बताया कि छह आरोपियों पर मुकदमा चल रहा था, लेकिन एक की मौत के चलते पाँच को ही सज़ा सुनाई गई।
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