Shubhanshu Shukla : इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला आज अपना मिशन पूरा कर चार एस्ट्रोनॉट के साथ धरती पर वपास लौट आए हैं। शुंभाशु ने अपने इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष में करीब 18 दिन का समय बिताया है। करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन किया है। धरती पर वापस आने के बाद शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष यात्रा का अंत नहीं है, बल्कि भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नए दौर की शुरुआत भी है।
भारत में नए युग की शुरुआत
एक्सिओम-4 मिशन में मिला उनका अनुभव आने वाले वर्षों में देश की अंतरिक्ष नीति, वैज्ञानिक खोजों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में मदद करेगा। यह अनुभव गगनयान-4 की 2027 में होने वाली उड़ान, 2035 तक भारत में बनाए जाने वाले अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक के चंद्र मिशन जैसे बड़े लक्ष्यों की दिशा में उपयोगी साबित होगा।
अभी क्वारंटीन में रहेंगे शुभांशु
शुभांशु शुक्ला के पृथ्वी पर लौटने के बाद अब उनके आगे के सफर पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें और उनके साथियों को अब अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया जाएगा, जहाँ वे लगभग 10 दिनों तक क्वारंटीन में रहेंगे। इस दौरान डॉक्टर उनकी हेल्थ, मानसिक स्थिति, हड्डियों की ताकत, बैलेंस, हार्ट बीट और रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच करेंगे, ताकि उनका शरीर दोबारा पृथ्वी के माहौल के अनुसार ढल सके।
फिर होगी डीब्रीफिंग प्रोसेस
स्वस्थ होने के बाद शुक्ला एक डीब्रीफिंग प्रोसेस में हिस्सा लेंगे, जहां वे अपने मिशन के अनुभव और gathered जानकारियां साझा करेंगे। इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष स्टेशन पर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए गए, जिनमें कई इसरो और भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा तैयार किए गए थे। इन प्रयोगों में हड्डियों और मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी का असर, मानसिक क्षमता से जुड़ी चुनौतियाँ, अंतरिक्ष में जीवन समर्थन के लिए शैवाल की भूमिका और शरीर की निगरानी के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल शामिल था। इन अध्ययनों के नतीजे भारत की भविष्य की मानव अंतरिक्ष उड़ानों की योजना को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।
इस दिन भारत लौट सकते हैं शुभांशु
रिपोर्टों के मुताबिक, शुक्ला के 17 अगस्त के आस-पास भारत लौटने की संभावना है। लखनऊ में उनका परिवार उन्हें देखने के लिए बेहद उत्सुक है। सिर्फ उनका परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा शहर और देश भी गर्व और खुशी के साथ उनकी वापसी का इंतज़ार कर रहा है। शुक्ला के पास 2,000 घंटे से ज़्यादा का लड़ाकू विमानों पर उड़ान का अनुभव है, और उन्हें 2019 में भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए भी चुना गया था। उनका हालिया मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम की तैयारी का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है। इसरो अब 2027 की शुरुआत में गगनयान-4 के जरिए पहली मानवयुक्त उड़ान भेजने की योजना बना रहा है। इस मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग से लेकर ज़रूरी व्यवस्थाओं तक का अनुमानित खर्च करीब 600 करोड़ रुपये रखा गया है।
भारत के फ्यूचर प्लान में मदद
एक अनुभवी पायलट और इस मिशन के हिस्से के रूप में, शुक्ला अपने अनुभवों के ज़रिए ट्रेनिंग, अंतरिक्ष में रीयल-टाइम डेटा संचालन, मानसिक तैयारी और वैज्ञानिक प्रयोगों से जुड़ी अहम जानकारियां साझा करेंगे। उनका यह फीडबैक भारत की भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं को बेहतर और सुरक्षित बनाने में मदद करेगा। खुद शुभांशु शुक्ला ने भी यह कहा है कि उनका मिशन केवल विज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि इसका असर भविष्य की बड़ी योजनाओं पर भी पड़ेगा। इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने शुक्ला की वापसी के बाद किए गए सभी प्रयोगों और गतिविधियों को ठीक से दर्ज करने की अहमियत बताई है, ताकि गगनयान मिशन को और बेहतर बनाया जा सके। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मिशन का अनुभव हासिल करने के बाद, शुक्ला अब भविष्य की गगनयान उड़ानों और भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन की तैयारी में अहम भूमिका निभाएंगे।
from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/2mT4f0b
via
No comments:
Post a Comment