एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) को 5 साल पहले की गई गलती का अब हर्जाना देना होगा। उपभोक्ता आयोग ने एक वरिष्ठ नागरिक को गलत टिकट जारी करने के मामले में स्पाइसजेट को 25,000 रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया है। साथ ही मुकदमे की लागत के तौर पर 5,000 रुपये देने का निर्देश है। स्पाइसजेट से यह गलती साल 2020 में हुई थी। कंपनी ने संबंधित यात्री की जर्नी को रीरूट करते वक्त उसे गलत टिकट जारी किए। उपभोक्ता आयोग का कहना है कि इससे यात्री को आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, मुंबई (उपनगर) ने इस बारे में 17 जून को ऑर्डर पास किया है। इसमें यात्री के मानसिक उत्पीड़न के लिए स्पाइसजेट की सर्विस में खामी और लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया है। शिकायतकर्ता वरिष्ठ नागरिक मुंबई के घाटकोपर इलाके के रहने वाले हैं।
5 साल पहले कहां जा रहा था यात्री और कैसे हुई गलती
शिकायतकर्ता ने 5 दिसंबर, 2020 के लिए मुंबई से दरभंगा जाने और दो दिन बाद वापस आने के लिए स्पाइसजेट की फ्लाइट टिकट बुक की थी। शिकायतकर्ता मुंबई से दरभंगा तो पहुंच गया, लेकिन खराब मौसम के चलते उसकी रिटर्न फ्लाइट कैंसिल हो गई। यात्री को 8 दिसंबर, 2020 को मुंबई में PhD का ऑनलाइन एग्जाम देना था, इसलिए उन्होंने स्पाइसजेट से वैकल्पिक व्यवस्था का अनुरोध किया।
इसके बाद स्पाइसजेट ने उसी दिन पटना से कोलकाता और फिर कोलकाता से मुंबई की जर्नी के लिए शिकायतकर्ता को वैकल्पिक टिकट उपलब्ध कराई। लेकिन जब व्यक्ति पटना पहुंचा तो हवाई अड्डा अधिकारियों ने बताया कि स्पाइसजेट की ओर से जारी की गई टिकट गलत है। कोलकाता से मुंबई जाने वाली कनेक्टिंग फ्लाइट शिकायतकर्ता के कोलकाता पहुंचने से पहले ही रवाना होने वाली है।
स्पाइसजेट की इस गलती की वजह से शिकायतकर्ता को अगली सुबह के लिए अपने खर्च पर एक दूसरी फ्लाइट बुक करनी पड़ी। इससे उन्हें परेशानी हुई, मानसिक तनाव हुआ और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। इतना ही नहीं मुंबई देरी से पहुंचने के कारण उनका एग्जाम भी मिस हो गया।
फिर कंज्यूमर पैनल पहुंचा यात्री
इसके बाद यात्री ने कंज्यूमर पैनल का दरवाजा खटखटाया। यात्री ने स्पाइसजेट की सर्विस में खामी और अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस का आरोप लगाया। शिकायतकर्ता ने मानसिक परेशानी के लिए 2 लाख रुपये और मुकदमे की लागत के तौर पर 25,000 रुपये के मुआवजे के साथ 14,577 रुपये के फ्लाइट टिकट अमाउंट के रिफंड की मांग की। इस मामले में स्पाइसजेट ने अपने बचाव में तर्क दिया कि फ्लाइट खराब मौसम की वजह से कैंसिल हुई थी और ऐसा होना उसके कंट्रोल से बाहर का मामला है। इसलिए एयरलाइन की लायबिलिटी सीमित है। स्पाइसजेट ने तर्क दिया कि फ्लाइट कैंसिल हो जाने के बाद उसने शिकायतकर्ता से बिना कोई एक्स्ट्रा पैसा लिए वैकल्पिक फ्लाइट टिकट दी। साथ ही शिकायतकर्ता को उसकी बुकिंग एजेंसी के माध्यम से टिकट का पूरा अमाउंट वापस कर दिया।
शिकायतकर्ता ने भी दिखाई लापरवाही
आयोग ने कहा कि वह इस बात को मानता है कि फ्लाइट कैंसिल होना एयरलाइन के कंट्रोल से बाहर था। यह फैसला एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) ने यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया था। इतना ही नहीं एयरलाइन ने शिकायतकर्ता को वैकल्पिक टिकट देने के लिए सभी जरूरी कोशिशें भी कीं। लेकिन जो वैकल्पिक टिकट जारी हुई, वह गलत थी और उसकी वजह से शिकायतकर्ता को आर्थिक और मानसिक नुकसान झेलना पड़ा। इसलिए स्पाइसजेट अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। आयोग ने एयरलाइन को यात्री को हुई मानसिक पीड़ा के लिए 25,000 रुपये और मुकदमे की लागत के तौर पर 5,000 रुपये देने का निर्देश दिया है।
आयोग ने यह भी कहा है कि शिकायतकर्ता ने भी लापरवाही दिखाई। उसने टिकट पर ध्यान नहीं दिया। अगर उसने टिकट जारी किए जाने के वक्त ही उसे चेक कर लिया होता तो गलती को वहीं के वहीं सुधारा जा सकता था और शिकायकर्ता परेशानियों से बच जाता।
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