Friday, May 30, 2025

Parcel Bomb Case: शादी का गिफ्ट, पार्सल बम और बदले की आग! 7 साल बाद आरोपी इंग्लिश लेक्चरर को हुई सजा

ओडिशा के बोलनगीर जिले की एक अदालत ने बुधवार को 2018 के पटनागढ़ पार्सल बम मामले में आरोपी पुंजिलाल मेहर को दोषी ठहराया, जिसमें 26 साल के नवविवाहित व्यक्ति सहित दो लोगों की मौत हो गई थी। मेहर, जो उस समय एक स्थानीय कॉलेज में लेक्चरर था, उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। ये भारत का पहला पार्सल बम केस था। मेहर ने कथित तौर पर शादी के तोहफे के रूप में ये बम भेजा था। करीब सात साल बाद इसमें फैसला आया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (ADJ) की अदालत ने मेहर पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया, जो फैसले के समय कोर्ट में ही मौजूद था।

सौम्य शेखर साहू की मां संजुक्ता साहू ने कहा कि वे अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जो कुछ उन्होंने खोया है, उसे वे वापस नहीं पा सकतीं। सौम्य शेखर साहू पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और उनकी हाल में ही शादी हुई थी। सौम्य की 85 साल की बुआ जेनामणि भी विस्फोट में मारी गईं, जबकि उनकी पत्नी रीमा गंभीर रूप से घायल हो गईं।

पीड़िता के पिता रवींद्र साहू ने अदालत के बाहर मीडिया से कहा, "हम इस अपराध के लिए मृत्युदंड की उम्मीद कर रहे थे, क्योंकि यह दुर्लभतम प्रकृति का अपराध है। लेकिन अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हम अदालत के प्रति आभार जताते हैं।"

क्या था पूरा मामला?

23 फरवरी, 2018 को - अपनी शादी के पांच दिन बाद सौम्य की हत्या कर दी गई, जब उन्हें गिफ्ट में मिले पार्सल में विस्फोट हो गया। जांचकर्ताओं के अनुसार, अपराध की योजना बनाई गई थी और उसे सावधानीपूर्वक अंजाम दिया गया था। शुरुआत में पुलिस ने इसकी जांच की, लेकिन बाद में जांच ओडिशा क्राइम ब्रांच ने अपने हाथ में ले ली।

100 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ की गई और आखिरकार जांचकर्ताओं ने सौम्य की मां संजुक्ता के सहकर्मी मेहर को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, ये एक बदले की भावना से किया गया अपराध था, क्योंकि मेहर इस बात से नाराज था कि उसकी जगह भैंसा में ज्योति विकास कॉलेज के प्रिंसिपल का पद संजुक्ता मिला गया था। इसी से नाराज होकर मेहर ने कथित तौर पर अपराध की योजना बनाई थी।

अपने आरोपपत्र में, क्राइम ब्रांच ने मेहर को एकमात्र आरोपी के रूप में नामित किया और कहा कि अपराध “बदले” की कार्रवाई थी। सौम्य के परिवार के अनुसार, आरोपी पीड़ित की शादी और अंतिम संस्कार दोनों में शामिल हुआ था।

मेहर नाम के अंग्रेजी के लेक्चरर ने वारदात से एक साल पहले दिवाली से ही पटाखे इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। पटाखों में इस्तेमाल होने वाले बारूद को जमा कर लिया था और इंटरनेट से बम बनाने का तरीका भी सीखा था।

उसने फाइनल प्रोडक्ट बनाने से पहले कुछ टेस्टिंग बम भी बनाए। उसने जो बम बनाया था, उसे कार्डबोर्ड बॉक्स में डालकर गिफ्ट में लपेट दिया था।

विस्फोट से कुछ दिन पहले, पुंजीलाल कॉलेज गया था और पार्सल लेने के लिए घर लौटा था। वह पार्सल लेकर कांटाबांजी पहुंचा, जहां से वह पटनागढ़ शहर से करीब 250 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर जाने वाली ट्रेन में सवार हुआ।

रायपुर में, आरोपी ने कथित तौर पर उन कूरियर सर्विस की तलाश की जो बेसमेंट में थीं और जिनमें CCTV भी नहीं थे। उसने कूरियर सर्विस को बताया कि पार्सल में “गिफ्ट” है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि अपनी पहचान छिपाने के लिए उसने अपना नाम एस के शर्मा लिखा और गलत एड्रेस भी दिया। इसके बाद वह शाम की ट्रेन से घर वापस आ गया।

यह ‘गिफ्ट’ पार्सल 20 फरवरी को पटनागढ़ पहुंचा और तीन दिन बाद सौम्य के घर पहुंचा दिया गया।

जांचकर्ताओं को और गुमराह करने के लिए, आरोपी ने तत्कालीन बोलनगीर पुलिस अधीक्षक को एक गुमनाम पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि “प्रोजेक्ट” – विस्फोट – में तीन लोग शामिल थे और इसका कारण “उसका (सौम्य का) विश्वासघात” था, जिसके कारण कई लोगों को अपनी जान और पैसे गंवाने पड़े। पत्र में पुलिस से कहा गया- “वह निर्दोष लोगों को परेशान करना बंद करे।"

इस लेटर का मकसद पुलिस जांच को पटरी से उतारना था, लेकिन इसी ने क्राइम ब्रांच को मामले को सुलझाने में मदद की। जांचकर्ताओं के अनुसार, यह "एक स्पेशल केस था, क्योंकि जब क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की थी, तब कोई सबूत नहीं था"।

जांच को लीड करने वाले सीनियर IPS अधिकारी अरुण बोथरा ने मीडिया से कहा, "सभी साक्ष्य परिस्थिति के आधार पर पैदा हुए थे और कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। हम संतुष्ट हैं कि हमने एक अंधे मामले से सजा को आगे बढ़ाया और परिवार को न्याय मिला।"

बोथरा ने कहा कि बोलनगीर SP को भेजे गए पत्र का उद्देश्य जांच एजेंसी को “धोखा” देना था, लेकिन आरोपी ने “पत्र में कई सुराग” छोड़े थे।

बोथरा ने कहा, "पत्र की भाषा, फॉन्ट साइज और स्पेसिंग से पता चलता है कि इसे किसी ऐसे व्यक्ति ने भेजा है, जिसे अंग्रेज़ी पर अच्छी पकड़ है। इससे हमें आरोपी पर फोकस करने में मदद मिली, जो एक अंग्रेजी लेक्चरर था। जब हमने उसके घर की तलाशी ली, तो हमें कुछ सबूत मिले, जो वैज्ञानिक रूप से मेल खाते थे। यही मामले में महत्वपूर्ण मोड़ था।"

अगस्त 2018 में एजेंसी की चार्जशीट में 72 गवाहों के बयान शामिल थे। उनके सबूतों की लिस्ट में कांटाबांजी रेलवे स्टेशन की पार्किंग की चिट्ठी और रसीद बुक शामिल थी। इसके अलावा मोबाइल फोन, लैपटॉप, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और रायपुर में एक कूरियर सर्विस के CCTV फुटेज भी जब्त किए गए।



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