Sunday, April 13, 2025

टैरिफ वॉर से मची उथलपुथल तो निवेशक सोने में तलाशने लगे पनाह, एक हफ्ते में 6% से ज्यादा चढ़कर रिकॉर्ड हाई पर

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड को लेकर टेंशन बढ़ने से मजबूत सुरक्षित निवेश विकल्प के तौर पर सोने की मांग में इजाफा हुआ है। इसके चलते बीते सप्ताह वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत में 6.5 प्रतिशत की तेजी आई और शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने का हाजिर भाव (Spot Gold Price) 3,237.39 डॉलर प्रति औंस के नए पीक पर पहुंच गया। बाद में यह 3,222.04 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। इसके अलावा, एशियाई बाजार में कॉमेक्स सोना वायदा बढ़कर 3,249.16 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें बढ़ने और लोकल लेवल डिमांड बढ़ने से देश के अंदर भी सोने की कीमत बढ़ी। शुक्रवार को दिल्ली के सराफा बाजार में सोने का भाव 6,250 रुपये उछलकर 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। टैरिफ वॉर की बढ़ती चिंताओं और वैश्विक आर्थिक नरमी की आशंका के कारण अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 100 अंक से नीचे आ गया। डॉलर, यूरो के मुकाबले 3 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी शेयरों और ट्रेजरी बॉन्ड में बड़ी बिकवाली शुरू हो गई। निवेशक अमेरिकी एसेट्स में सेलिंग कर निवेश के लिहाज से सेफ माने जाने वाले गोल्ड में पैसे लगा रहे हैं।

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर के ताजा हालात की बात करें तो अमेरिका ने चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिए हैं। इनमें 125 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ और 20 प्रतिशत के वे अलग टैरिफ हैं, जो फेंटेनाइल की सप्लाई में चीन की कथित बड़ी भूमिका को लेकर इस साल की शुरुआत में लगाए गए थे। वहीं चीन ने भी अमेरिकी सामान पर टैरिफ को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि एक अपडेट यह भी है कि, स्मार्टफोन, कंप्यूटर समेत कुछ कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स को अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा है। इसके चलते चीन में बनकर अमेरिका आने वाले स्मार्टफोन, टैब, कंप्यूटर आदि पर भी 125 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू नहीं होगा। हालांकि 20 प्रतिशत का अलग से लगा टैरिफ बरकरार रहेगा।

केंद्रीय बैंक और ETF कर रहे डिमांड की अगुवाई

निवेशकों के अलावा इंस्टीट्यूशंस और केंद्रीय बैंकों की ओर से भी गोल्ड की डिमांड बढ़ी है। गोल्ड पर बेस्ड ETF में पहली तिमाही यानि जनवरी—मार्च में हुआ निवेश 2020 के बाद सबसे ज्यादा रहा। वहीं केंद्रीय बैंक, खासकर कि उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंक डॉलर से बाहर डायवर्सिफिकेशन के लिए फिजिकल गोल्ड को जमा कर रहे हैं। चीन में सोने की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि वैश्विक हाजिर कीमतों से अधिक प्रीमियम पर खरीदारी की जा रही है। यह रुझान वित्तीय प्रणाली में अस्थिरता को लेकर एशियाई बाजारों में बढ़ती चिंता की ओर इशारा कर रहा है।

UBS को अब कीमत $3,500 प्रति औंस तक पहुंचने की उम्मीद

केंद्रीय बैंकों और इंस्टीट्यूशंस की बढ़ती मांग को देखते हुए इनवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी UBS ने गोल्ड के लिए अपने 12 महीने के एस्टिमेट को बढ़ाकर 3,500 डॉलर प्रति औंस कर दिया है। UBS ने दूसरी बार एस्टिमेट बढ़ाया है। UBS के अनुसार, वित्तीय बाजारों में चल रही चिंताओं, जैसे व्यापार और आर्थिक अनिश्चितताएं, महंगाई की आशंकाएं, मंदी के जोखिम और भू-राजनीतिक तनाव हो सकता है कि सोने के आकर्षण को बढ़ाते रहें।

वहीं Pace 360 के चीफ ग्लोबल स्ट्रैटेजिस्ट अमित गोयल का मानना है कि अब सोने में 6 से 10 महीनों के अंदर मीडियम टर्म करेक्शन आ सकता है। उनका अनुमान है कि कीमतें $2,600 प्रति औंस तक गिर सकती हैं। अगर करेक्शन ज्यादा गहरा रहा तो कीमतें $2,400-$2,500 प्रति औंस तक जा सकती हैं। गोयल का यह भी मानना है कि 2028-29 तक सोने की कीमतें $4,000-$4,500 प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं।

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