सरकार ने जुलाई 2024 में पेश यूनियन बजट में इनकम टैक्स एक्ट में सेक्शन 194टी को शामिल करने का ऐलान किया था। इस सेक्शन के तहत पार्टनरशिप फर्मों के लिए अपने पार्टनर्स को किए गए कुछ खास पेमेंट्स पर टीडीएस काटना अनिवार्य हो गया है। यह नियम 1 अप्रैल, 2025 से लागू होने जा रहा है। इसके बाद सभी पार्टनरशिप फर्मों को अपने पार्टनर्स को किए जाने वाले कुछ खास पेमेंट्स पर टीडीएस काटना होगा।
TDS पेमेंट के वक्त या पार्टनर्स के कैपिटल अकाउंट में पैसा क्रेडिट होने के वक्त, में से जो पहले होगा, तब काटना होगा। इस नियम के दायरे में कुछ खास तरह के पेमेंट्स आएंगे। इनमें पार्टनर की सैलरी, रेन्यूनरेशन, कमीशन, बोनस और किसी अकाउंट पर इंटरेस्ट (कैपिटल अकाउंट सहित) शामिल होंगे।
टीडीएस रेट और एग्जेम्प्शन लिमिट
-अगर पार्टनर के अकाउंट में टोटल क्रेडिट हुआ अमाउंट या साल के दौरान किया गया पेमेंट 20,000 रुपये से कम है तो टीडीएस काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
-अगर पेमेंट 20,000 रुपये से ज्यादा है तो पूरे अमाउंट पर 10 फीसदी रेट से टीडीएस काटना होगा।
-प्रॉफिट में हिस्सेदारी टीडीएस के दायरे में नहीं आएगा, क्योंकि पार्टनरशिप फर्में पहले ही इस पर टैक्स चुका देती हैं।
पार्टनरशिप फर्मों और पार्टनर्स पर असर
-फर्मों को पार्टनर्स को पेमेंट करने से पहले टीडीएस काटना होगा।
-पार्टनर्स को टीडीएस काटने के बाद पैसे मिलेंगे और उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त इस बारे में सही जानकारी देनी होगी।
-इस बदलाव से टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी और बेहतर टैक्स कंप्लायंस सुनश्चित होगा।
स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (SMEs) के लिए पार्टनरशिप फर्म एक लोकप्रिय बिजनेस स्ट्रक्चर है। इनमें लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप्स (LLPs) भी शामिल हैं। अब तक प्रॉफिट में हिस्सेदारी और पार्टनर के रेम्यूनरेशन का कैलकुलेशन वित्त वर्ष के अंत में तब होता था जब फर्म का पैसा उसके बुक्स ऑफ अकाउंट में आ जाता था। अब नए नियम के तहत फर्मों को समय पर अपने अकाउंट्स को क्लोज करना होगा ताकि रेम्यूनरेशन और दूसरे तरह के पेमेंट्स पर टीडीएस काटा जा सके।
पहले फर्मों को पार्टनर्स को किए जाने वाले पेमेंट पर टीडीएस नहीं काटना पड़ता था, क्योंकि इस अमाउंट पर पार्टनर के टैक्स रिटर्न में इस पर 'बिजनेस इनकम' हेड के तहत टैक्स लगता था। सेक्शन 194टी शुरू करने का मकसद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को टैक्स का समय पर कलेक्शन सुनिश्चित करना है। हालांकि, पार्टनर्स को अभी भी अपने एडवान्स टैक्स लायबिलिटी का कैलकुलेशन करना होगा और देर पर किए गए पेमेंट पर किसी तरह के इंटरेस्ट से बचने के लिए किसी शॉर्टफॉल को डिपॉजिट करना होगा।
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सेक्शन 194टी टैक्स कंप्लायंस बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे पार्टनरशिप फर्में पार्टनर्स को कुछ खास तरह के पेमेंट पर टीडीएस काटेंगी। पार्टनर्स और फर्म दोनों को इस नियम का ध्यान रखने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने पर टैक्स मिसमैच हो सकता है और पेनाल्टी चुकानी पड़ सकती है।
(लेखक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं)
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