Sunday, February 23, 2025

नदी है या कांच! शीशे की तरह चमकता है पानी, हवा में तैरते हुए दिखती है नाव

देश में नदियों की सफाई पर सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसके बाद भी गंगा, यमुना जैसी भारत की कई बड़ी नदियों का हाल किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में अगर नदियों की सफाई करना सीखना हो तो मेघालय से जरूर सीखना चाहिए। यहां की उमंगोट नदी (Umngot River) का पानी इतना साफ है कि कांच की तरह आर-पार देख सकते हैं। अंदर का पत्थर तक क्रिस्टल क्लियर नजर आता है। नदी में कई फीट नीचे पड़े हुए पत्थर भी एकदम साफ नजर आते हैं। इतना साफ पानी आपने कभी नहीं देखा होगा। इसे दुनिया की सबसे साफ नदी में गिना जाता है।

ये नदी मेघालय में है। नदी को साफ रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह नदी मेघालय की राजधानी शिलांग से 95 किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास पूर्वी जयंतिया पहाडिय़ों में बहती है। यह राज्य के तीन गांवों दावकी, दरंग और शेनांगगेंडेग से होकर गुजरती है।

डॉकी नदी के नाम से भी है मशहूर

घने जंगलों से घिरी यह नदी अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी मशहूर है। अपनी खूबसूरती के कारण यह नदी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गई है। स्थानीय लोग इस नदी को बेहद पवित्र मानते हैं। इसे साफ रखने के लिए हर संभव कोशिश करते रहते हैं। उमंगोट नदी का पानी आसपास के पहाड़ों से आता है। इन पहाड़ों की चट्टानें पानी को प्राकृतिक रूप से फिल्टर करती हैं। जिसकी वजह से पानी बिल्कुल साफ रहता है। इस क्षेत्र में औद्योगीकरण बहुत कम हुआ है। यहां के लोग नदी के पानी को प्रदूषित नहीं करते हैं। इसे डॉकी नदी भी कहा जाता है।

उमंगोट नदी के पास के नजारे भी बेहद खूबसूरत हैं। यहां पक्षियों की चहचहाहट के साथ नदी में पड़ती सूरज की किरणें बेहद सुकून देने वाली होती हैं। यहां का माहौल इतना शांत रहता है कि गिरने वाली पानी की एक एक बूंद की आवाज भी आराम से सुन सकते हैं।

आखिर इतना साफ पानी क्यों है?

नदी के पानी को साफ रखने के लिए गांव के लोग मिलकर सफाई करते हैं। उंमगोट नदी मेघालय के तीन गांवों दावकी, दरंग और शेनांगगेंडेग से होकर बहती है। इन तीन गांवों में 300 से ज्यादा घर हैं। खासी समुदाय के लोग मिलकर इस नदी की सफाई करते हैं। ये लोग हर दिन नदी को साफ करने में अपना योगदान देते हैं।

गंदगी करने पर लगता है मोटा जुर्माना

कम्यूनिटी डे के लिए महीने में तीन से चार दिन तय हैं। इन दिनों में गांव के हर घर में कम से कम एक व्यक्ति आगे आता है और नदी को साफ करने में मदद करता है। लोग भाईचारे के साथ मिलकर इस नदी की सफाई करते हें। इतना ही नहीं नदी में गंदगी फैलाने पर 5000 रूपये तक का जुर्मान भी लगाया गया है। नवंबर से अप्रैल तक पर्यटक यहां बोटिंग और प्रकृति की सुंदरता का लुत्फ उठाने आते हैं।

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