Jhansi Medical College Fire Accident: उत्तर प्रदेश के झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। झांसी मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड हादसे को 5 दिन गुजर चुके हैं लेकिन मामला अभी भी चर्चा में बना हुआ है। 5 दिन बाद भी इस हादसे में मरने वाले बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक मरने वाले बच्चों की संख्या 15 तक पहुंच गई है। बीती शाम लक्ष्मी और महेंद्र को यह जानकारी दी गई कि उनका बच्चा भी अब जीवित नहीं रहा वह इस झांसी के मेडिकल कॉलेज में लगी आग का शिकार हो गया । अग्निकांड के दिन लक्ष्मी और महेंद्र को एक बच्चा मिल था। जिसको वह अपना बच्चा समझ कर तीन दिन तक पालते रहे। बाद में पता चला कि वह बच्चा कृपाराम और शांति देवी का था।
सही इलाज मिलने पर बच्चा बच सकता था
लोकल 18 से बातचीत में पोस्टमार्टम हाउस के बाहर खड़े महेंद्र ने बताया, 15 नवंबर को जिस दिन ये हादसा हुआ उस दिन रात 9 बजे वह अपने बच्चे को NICU वार्ड में भर्ती करवाए थे। जिसके बाद अचानक 10.30 बजे आग लग गई। उस समय उनको जो बच्चा मिला उसको लेकर वहां से लेकर निकले। लेकिन तीन दिनों बाद उनको पता चला की वह बच्चा किसी और का है। जब उनको अपना बच्चा मिला तो वह बहुत खुश थे क्योंकि बच्चा पूरी तरह से ठीक था। लेकिन कुछ ही समय बाद उसकी हालत बिगड़ती गई। महेंद्र ने आगे बताया कि अगर बच्चे को सही इलाज मिलता तो आज हमरा बच्चा सही सलामत रहता।
बच्चे को अच्छे पढ़ाना चाहते थे
महेंद्र ने अपनी दुःख और निराशा व्यक्त करते हुए आगे कहा, "उनके बच्चे के नाक और मुंह से काला खून निकल रहा था, और उन्हें सही उपचार नहीं मिला। महेंद्र का कहना है कि अगर समय रहते उनके बच्चे को उचित इलाज मिलता, तो शायद उसका जीवन बच सकता था। बच्चे को लेकर उनके कई अरमान थे वह उसको अच्छे से पढ़ा कर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे। लेकिन इस त्रासदी ने उनका सबकुछ खत्म कर दिया।"
अब तक हो चुकी 15 बच्चों की मौत
हादसे के दिन मेडिकल कॉलेज में 10 बच्चों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। फिर रविवार, सोमवार, और मंगलवार को भी एक -एक नवजातों की मौत हो गई। बुधवार को दो और नवजातों की मौत की पुष्टि हुई, लेकिन इन सभी मौतों के कारणों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं की गई है। इस त्रासदी ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है।
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