महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं और महायुति ने राज्य में बहुमत हासिल कर लिया है। महायुति ने 288 में से 236 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, महाविकास अघाडी सिर्फ 49 सीटें ही जीत सकी। महागठबंधन में बीजेपी को 132 सीटें, शिवसेना (शिंदे) को 57 सीटें, NCP (अजित पवार) को 41 सीटें मिली हैं। इस बीच शिवसेना (ठाकरे) ने 20 सीटें, कांग्रेस ने 16 सीटें और NCP ने केवल 10 सीटें जीती हैं।
20 नवंबर को मतदान के बाद, ज्यादातर एग्जिट पोल में महायुति की जीत का अनुमान जताया था, लेकिन महाविकास अघाडी से कड़ी टिक्कर मिलने का संकेत दिया था। कई जानकारों ने इस चुनाव में निर्दलीय विधायकों और दूसरे छोटे दलों की भूमिका पर भी जोर डाला था।
निर्दलीय और छोटे दलों को बताया था किंग मेकर
चुनाव के बाद हुए अनुमान लगाया गया था कि महाराष्ट्र में निर्दलीय और छोटे दलों के 20 से 30 विधायक चुने जाएंगे, लेकिन असल नतीजों में राज्य में सिर्फ दो ही निर्दलीय विधायक चुने गए हैं।
ऐसा कहा गया था कि अगर राज्य में गतिरोध होता है या महाविकास अघाडी और महायुति दोनों बहुमत के करीब पहुंचते हैं, तो इन निर्दलीय और छोटे दलों की भूमिका काफी अहम होगी। हालांकि, राज्य की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवारों से ज्यादा प्रमुख दलों के उम्मीदवारों पर भरोसा दिखाया।
विधानसभा चुनाव से पहले जब अलग-अलग पार्टियों में सीटों का बंटवारा और टिकट वितरण चल रहा था, तो कई पार्टियों में नाराजगी का नाटक चल रहा था। टिकट नहीं मिलने पर कई इच्छुक उम्मीदवारों ने बगावत का सुर छेड़ दिया था। कई लोगों ने उनकी पार्टी, महायुति और महाविकास अघाडी के खिलाफ निर्दलीय पर्चा भरा था।
36 में से सिर्फ दो बागियों की मिली जीत
राज्य की सभी छह प्रमुख पार्टियों के बागी उम्मीदवार अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतरे थे। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में MVA और महायुति के दो-दो उम्मीदवारों के बीच दोस्ताना मुकाबला भी हुआ। पूरे राज्य में अकेले 15 से ज्यादा बीजेपी बागियों ने चुनाव लड़ा। कई दूसरी पार्टियों के बागी भी चुनाव लड़े, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया।
चर्चा में रहे 36 बागी उम्मीदवारों में से केवल दो ही विधानसभा चुनाव जीत सके। इस चुनाव में बाकी 34 बागी उम्मीदवार हार गए।
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