Samsung's Workers Protest: तमिलनाडु में सैमसंग के एंप्लॉयीज 10 दिनों से हड़ताल पर बैठे हुए हैं। इससे फेस्टिव सीजन से पहले सैमसंग का प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है। अब यूनियन के सदस्यों ने तमिलनाडु सरकार से हस्तक्षेप करने और श्रमिक मुद्दों को हल करने की अपील की है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पास श्रीपेरंबुदुर में सैमसंग के प्लांट के कर्मचारी 9 सितंबर से बेहतर वेतन, वर्किंग ऑवर्स में कटौती और यूनियन को मान्यता की मांग कर रहे हैं। सैमसंग की यह फैसिलिटी वर्ष 2007 में बनी थी और यहां टीवी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसी चीजें बनती है। यहां 1800 वर्कर्स काम करते हैं और यूनियन का दावा है कि करीब 1500 एंप्लॉयीज हड़ताल पर बैठे हुए हैं।
एंप्लॉयीज की ये है मांग
सैमसंग के एंप्लॉयीज की यह हड़ताल सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU) ने ऑर्गेनाइज की है। इसे कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्किस्ट) का सपोर्ट भी मिला हुआ है और खास बात ये है कि राज्य में डीएमके की गठबंधन सरकार में यह भी सहयोगी है। सीआईटीयू के कांचीपुरम जिला सचिव ई मुथुकुमार ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन को कंपनी न तो मानने को तैयार है और न ही बातचीत करने को। इसकी बजाय उन्होंने इसके समानांतर एंप्लॉयीज की एक समिति बनाई और कहा कि वे केवल उनसे बात करेंगे जबकि अधिकांश एंप्लॉयीज सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन के साथ हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनके सदस्यों को कंपनी अपनी समिति में शामिल होने के लिए दबाव डाल रही है।
सीआईटीयू तमिलनाडु के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी कन्नन ने मनीकंट्रोल से कहा कि विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस हड़ताल का समाधान करना चाहिए। अभी एंप्लॉयीज का वेतन ₹18,000 से ₹45,000 के बीच है, लेकिन केवल पांच एंप्लॉयीज को ही ₹45,000 मिल रहा है। कन्नन ने कहा कि कंपनी को मांगी की सूची दी गई है, लेबर डिपार्टमेंट से बातचीत हो रही है लेकिन सैमसंग का मैनेजमेंट सहयोग नहीं कर रहा है।
नोटबंदी और जीएसटी सिस्टम के चलते बढ़ी MNCs की मनमानी?
रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर MG Devasahayam का कहना है कि कई मल्टीनेशनल कंपनियां एंप्लॉयीज के साथ खराब व्यवहार करती हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी-लेबर संबंध खराब हो चुके हैं जबकि सरकारें निवेश के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए उन्हें सस्ती जमीन, पानी, बिजली और टैक्स में छूट जैसी सुविधाएं देती हैं। कंपनियां बड़ा मुनाफा कमाती हैं लेकिन एंप्लॉयीज को बहुत कम देती हैं। एमी देवसहयम का कहना है कि कंपनियां एंप्लॉयीज को केवल लेबर के रूप में मानती हैं जबकि कंपनियों को उन्हें साझेदार के रूप में मानना चाहिए। उनका कहना है कि प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए जरूरी है कि एंप्लॉयीज के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि मल्टीनेशनल कंपनियां देश में बेरोजगारी के संकट का फायदा उठाकर श्रमिकों का शोषण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कई MSMEs खराब नोटबंदी और GST के कार्यान्वयन के कारण बंद हो गई हैं और यहां नौकरियों की कमी है जिसके चलते MNCs स्थिति का लाभ उठाकर श्रमिकों का शोषण कर रही हैं।
तमिलनाडु में कैसा है वर्किंग माहौल?
सैमसंग के एंप्लॉयीज की हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में दो हफ्ते के अमेरिकी दौरे पर 18 कंपनियों के साथ ₹7,516 करोड़ के निवेश सौदे पर हस्ताक्षर किए। फोर्ड मोटर कंपनी ने तमिलनाडु में प्रोडक्शन फिर से शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि सैमसंग के एंप्लॉयीज की हड़ताल से इस पर निगेटिव असर दिख सकता है। एक तरफ तमिलनाडु वैश्विक कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित कर रही है तो दूसरी तरफ वेतन में बदलाव और वर्क-लाइफ से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज करने के लिए आलोचनाएं भी झेलनी पड़ रही है।
अप्रैल 2023 में राज्य ने फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 में बदलाव किया, जिसके तहत एमएनसी के दबाव में हर दिन काम के घंटे को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया है लेकिन घंटे बढ़ा दिया गया। हालांकि यूनियनों के विरोध में फिलहाल यह लागू नहीं हो पाया है। तमिलनाडु की भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में करीब 33 फीसदी हिस्सेदारी है।
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