इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ज्यादातर टैक्सपेयर्स को रिफंड भेज दिया है। इस बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन के एक महीने के अंदर रिफंड भेजा है। अगर आपको अब तक रिफंड नहीं मिला है तो इसकी कुछ वजह हो सकती है। सबसे पहले तो टैक्सपेयर को यह चेक करना जरूरी है कि उसने अपने इनकम टैक्स रिटर्न को वेरिफाइ किया है या नहीं। आईटीआर वेरिफाय होने के बाद ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसे प्रोसेस करता है।
रिफंड वाले आईटीआर की जांच में ज्यादा सावधानी
अगर आईटीआर (Income Tax Return) वेरिफाइ करने के बाद भी रिफंड (Income Tax Refund) का पैसा आपके बैंक अकाउंट में नहीं आया है तो इसकी कुछ वजहें हो सकती हैं। दरअसल, टैक्सपेयर्स का रिफंड कई बातों पर निर्भर करता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई मानकों पर आईटीआर की जांच करने के बाद ही रिफंड एप्रूव करता है। अगर डिपार्टमेंट को लगता है कि उसे टैक्सपेयर्स से कुछ सवालों के जवाब चाहिए तो वह रिफंड को एप्रूवल नहीं देता है। इससे रिफंड टैक्सपेयर्स के बैंक अकाउंट में नहीं आता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अगर कोई सवाल पूछना होता है तो वह टैक्सपेयर्स के ईमेल आईडी पर मेल भेजता है।
कुछ आईटीआर की होती है अतिरिक्त जांच
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी टैकसपेयर का रिफंड अब तक नहीं आया है तो उसे अपना ईमेल चेक करना चाहिए। हो सकता है कि डिपार्टमेंट ने उसे ईमेल भेजा हो। सवाल है कि आखिर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को कैसे यह पता चलता है कि किसी आईटीआर की अतिरिक्त जांच जरूरी है? इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसके लिए एक सिस्टम का इस्तेमाल करता है, जिसे रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम कहा जाता है। यह सिस्टम उन आईटीआर की पहचान करता है, जिनमें आगे जांच की जरूरत होती है।
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस की न करें अनदेखी
टैक्स एक्सपर्ट ने बताया कि अगर रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम ने किसी आईटीआर की पहचान अतिरिक्त जांच के लिए की है तो फिर संबंधित टैक्सपेयर के रिफंड को तब तक एप्रवूल नहीं मिलेगा, जब तक वह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपने जवाब से संतुष्ट नहीं कर देता है। टैक्स एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि अगर किसी टैक्सपेयर को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का मेल इस बारे में आया है तो उसे इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। कई टैक्सपेयर्स इसे हल्के में लेते हैं और जवाब नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स को नोटिस भेज सकता है। इससे टैक्सपेयर्स की मुश्किल बढ़ सकती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट दरअसल फर्जी रिफंड के दावों पर अंकुश लगाना चाहता है। इसलिए रिफंड के एप्रूवल में वह अतिरिक्त सावधानी बरतता है।
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