Tuesday, September 17, 2024

डेटा प्रोटेक्शन नियमों पर आम लोगों से सलाह लेगी सरकार, इसी महीने जारी करेगी ड्राफ्ट

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून का मसौदा बनकर तैयार है और इसे इस महीने के आखिर तक आम जनता के बीच सलाह-मशवरे के लिए पेश किया जाएगा। मामले से वाकिफ एक सूत्र ने बताया, 'DPDP कानून का ड्राफ्ट बनकर तैयार है। यह सलाह-मशवरे के लिए सितंबर के आखिर से पहले पेश किया जाएगा और सलाह-मशवरे की अवधि एक महीना से ज्यादा होगी।'

DPDP बिल को तकरीबन एक साल पहले संसद में पास किया गया था, लेकिन भारत का पहला डेटा प्राइवेसी कानून अब तक लागू नहीं हो पाया है। दरअसल, पर्सनल डेटा लीक होने से रोकने वाले इस कानून के कई प्रावधानों में अतिरिक्त नियम की जरूरत है। यह कानून तमाम लोगों समेत बच्चों और दिव्यांगों के लिए विशेष सुरक्षा मुहैया कराता है। इसमें 18 साल से कम उम्र वालों को नाबालिग माना गया है और कानून के सेक्शन 9 के मुताबिक, ऐसे बच्चों का वेरिफिकेशन करना होगा और किसी नाबालिग के डेटा की प्रोसेसिंग के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी होगी।

इससे पहले मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में आईटी सेक्रेटरी एस. कृष्णन ने कहा था कि DPDP (डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन) कानून के प्रावधानों को लागू करना मोदी 3.0 सरकार के लिए 'प्राथमिकता' है। मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल 17 दिसंबर को पूरा हो गया।

DPDP नियमों में क्या हो सकता है

बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग पर छूट: सरकार DPDP कानून में शिक्षा संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों और कुछ सरकार इकाइयों को बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग से जुड़ी पाबंदी से छूट दे सकती है।

डेटा लीक और डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड: पर्सनल डेटा प्रोसेस करने वाले किसी भी प्लेटफॉर्म (चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी इकाई) को डेटा लीक का पता चलने पर इस बारे में तुरंत डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को (DPB) बताना होगा।

सहमति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म की होगी: बच्चों या दिव्यांगों के डेटा की प्रोसेसिंग करते वक्त यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म की होगी कि वे इसके लिए बच्चों के माता-पिता या कानूनी गार्जियन से अनुमति हासिल करें।



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