दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया अब जमानत पर बाहर हैं। ये दोनों ही दिल्ली की शराब नीति में हुए कथित घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल हैं। पार्टी इस अहम समय पर अपने नेतृत्व के फिर से सामने आने से खुश है, लेकिन कानूनी संकट अभी भी उस पर मंडरा रहा है। दरअसल नेताओं के अलावा, खुद आम आदमी पार्टी (AAP) भी इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक है। हमारे सहयोगी News18 को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ED) अब आगे पार्टी पर शिकंजा कसने की तैयारी में है।
सूत्रों के मुताबिक, ED जल्द ही इस मामले में एक और पूरक चार्जशीट दाखिल कर सकती है, जिसमें AAP की कथित भूमिका को विस्तार से बताया जाएगा। अब तक ED ने इस मामले में कुल नौ चार्जशीट दाखिल की हैं, जिनमें से आठ पूरक चार्जशीट हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "जांच अभी जारी है और हमारे पास इस मामले में और भी सुराग हैं। आरोपी को जमानत देना न्यायपालिका का काम है, लेकिन मामला अभी भी ट्रायल में है। हमारे किसी भी आरोपी को बरी नहीं किया गया और हमारे पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "दिल्ली सरकार ने जो आबकारी नीति बनाई और जिस तरह से सौदे हुए, वह एक बड़े घोटाले का संकेत देती हैं, जिसमें जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया है और उसे राजनीतिक फंडिंग में बदल दिया गया। खास बात यह है कि इस मामले में AAP भी एक आरोपी है। हम पार्टी की संलिप्तता को स्पष्ट करते हुए एक और पूरक चार्जशीट दाखिल कर सकते हैं।"
हालांकि आम आदमी पार्टी को इसके वरिष्ठ नेताओं की रिहाई से कुछ समय के लिए राहत मिली है, लेकिन यह मामला अभी भी पार्टी के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है, जो AAP की राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है। आने वाले महीने पार्टी के लिए अहम होंगे, जहां उसके सामने कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के अलावा और जनता के सामने अपनी ईमानदार छवि को बचाने की चुनौती होगी। इस महत्वपूर्ण मामले का नतीजा या तो AAP के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है या फिर इसके संकट को और गहरा कर सकता है।
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