मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को अपने स्टाफ की तरफ से बगावत का सामना करना पड़ रहा है। हाल में सेबी के एंप्लॉयीज की तरफ से न सिर्फ विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है, बल्कि चिट्ठियां लिखकर भी संस्था में खराब हो रहे वर्क कल्चर का मुद्दा उठाया गया है। हालांकि, मार्केट रेगुलेटर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
आम तौर पर कार्यस्थलों पर तीसरे या चौथे दर्जे के एंप्लॉयीज द्वारा विरोध-प्रदर्शन देखने को मिलता है, लेकिन सेबी में विरोध-प्रदर्शन करने वाले ज्यादातर एंप्लॉयीज ऊंची क्वॉलिफिकेशन वाले हैं, जिन्होंने मैनेजमेंट डिग्री या डिप्लोमा हासिल किया है। मार्केट रेगुलेटर के अपने शब्दों में सेबी युवा और बेहतर संगठन है, जहां स्टाफ की औसत आयु तकरीबन 39 साल है।
दूसरे शब्दों में कहें, तो सेबी के कुल स्टाफ की संख्या 630 है, जिसमें से 59 पर्सेंट की उम्र 21 से 40 साल है। सेबी के सिर्फ 18 पर्सेंट स्टाफ की उम्र 51 से 60 साल के बीच है, जबकि 23 पर्सेंट स्टाफ 41-50 साल के बीच हैं।
हाल में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर दफ्तर का माहौल खराब करने, साथ काम करने वाले लोगों के साथ खराब बर्ताव करने और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। सेबी चेयरपर्सन पर ये आरोप सेबी के ही अधिकारियों द्वारा लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी के अधिकारियों ने रेगुलेटर चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खराब व्यवहार की शिकायत सरकार से ही है और काम करने के माहौल को खराब करने (टॉक्सिक वर्क कल्चर) का आरोप लगाया है। सेबी अधिकारियों ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय से यह शिकायत की थी।
from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/2Gzm1B3
via
No comments:
Post a Comment