Wednesday, July 3, 2024

Budget 2024: जानिए किस तारीख को और कितने बजे बजट पेश करेंगी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण?

इस महीने आने वाले यूनियन बजट पर अर्थशास्त्रियों, इनवेस्टर्स, कंपनियों और बिजनेसेज सहित सभी वर्गों की नजरें लगी हैं। इसकी वजह यह है कि यह केंद्र की नई एनडीए सरकार का पहला बजट है। इससे सरकार की इकोनॉमिक पॉलिसी की दिशा का पता चलेगा। साथ ही इस पर भी नजरें लगी हैं कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन और वेल्फेयर स्कीम्स के बीच किस तरह संतुलन बैठाती है।

निर्मला सीतारमण अपना सातवां बजट पेश करेंगी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार जुलाई के तीसरे हफ्ते में बजट पेश कर सकती है। ज्यादा उम्मीद है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई के तीसरे हफ्ते में यूनियन बजट पेश कर सकती हैं। यह निर्मला सीतारमण का सातवां बजट होगा। इसके साथ ही वह सबसे ज्यादा बार यूनियन बजट पेश करने वाली वित्तमंत्री बन जाएगी। अब तक सबसे ज्यादा बार यूनियन बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है। उन्होंने छह बार बजट पेश किया था।

23 या 24 जुलाई को आ सकता है बजट

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र की नई एनडीए सरकार का पहला बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 23 या 24 जुलाई को पेश कर सकती हैं। वह दिन में 11 बजे लोकसभा में यूनियन बजट पेश करेंगी। इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बजट को मंजूरी मिलेगी। फिर वित्तमंत्री राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बजट के बारे में जानकारी देंगी। इसके बाद वह सीधे लोकसभा पहुंचेंगी। उनका बजट भाषण 1:30 से 2 घंटे का हो सकता है।

जल्द हो सकता है मानसून सत्र का ऐलान

18वीं लोकसभा के गठन के बाद सभी सदस्यों को शपथ दिलाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसके लिए 24 जून को संसद का सत्र शुरू हुआ था। इसका समापन 3 जुलाई को हो गया। बताया जाता है कि जल्द ससंद के मानसून सत्र का ऐलान हो सकता है। इसकी शुरुआत 22 जुलाई से हो सकती है। इसका समापन अगस्त के दूसरे हफ्ते में होने की उम्मीद है। इस दौरान बजट से पहले सरकार आर्थिक सर्वे पेश करेगी। इस बार अंतरिम बजट से पहले सरकार ने आर्थिक सर्वे पेश नहीं किया था। इसकी जगह वित्तमंत्री ने इकोनॉमी के बारे में संक्षिप्त जानकारी पेश की थी।

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इस बजट से कई उम्मीदें

उम्मीद है कि यूनियन बजट में वित्तमंत्री टैक्सपेयर्स खासकर कम इनकम वाले टैक्सपेयर्स और मिडिल क्लास को कुछ राहत दे सकती हैं। बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाने के साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा हो सकात है। 15-20 लाख रुपये तक के इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए सरकार टैक्स के रेट में भी कमी कर सकती है।



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