निवेश करने से ज्यादा जरूरी है अपने निवेश को ट्रैक करना। आपको लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (Life Insurance Policy), बैंक एफडी (Bank FD) सहित हर इनवेस्टमेंट का ट्रैक रखना चाहिए। कई लोगों की जीवन बीमा पॉलिसी मैच्योर हो जाती है। लेकिन, उन्हें इसके बारे में पता नहीं होता है। इतना ही नहीं आपको अपनी सभी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और दूसरे इनवेस्टमेंट के बारे में अपने परिवार के सदस्यों को बताना चाहिए। अगर आपको अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी की तारीख की जानकारी है तो आप अपने पैसे के लिए समय पर क्लेम कर सकेंगे। मनीकंट्रोल आपको भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसी की मैच्योरिटी पर क्लेम प्रोसेस के बारे में बता रहा है। एन्डॉमेंट पॉलिसी में वापस मिलता है पैसा पहले यह जान लेना जरूरी है कि लाइफ इंश्योरेंस की सिर्फ एन्डॉमेंट पॉलिसी में सेविंग का कंपोनेंट होता है। टर्म पॉलिसी में सेविंग का कंपोनेंट नहीं होता है। इसका मतलब है कि अगर आपने टर्म पॉलिसी खरीदी है तो उसके मैच्योर होने के बाद आपको बीमा कंपनी से कोई पैसा नहीं मिलेगा। अगर आपने एन्डॉमेंट पॉलिसी खरीदी है तो ही आपको पॉलिसी मैच्योर होने के बाद कंपनी की तरफ से मैच्योरिटी अमाउंट मिलेगा। बीमा कंपनी पॉलिसीहोल्डर को लेटर भेजती है LIC अपने पॉलिसीहोल्डर्स को मैच्योरिटी से कम से कम 2 महीने पहले लेटर भेजती है। इसके जरिए उन्हें मैच्योरिटी डेट और मैच्योरिटी अमाउंट के बारे में बताया जाता है। एलआईसी की कोशिश मैच्योरिटी की तारीख में पॉलिसहोल्डर्स के बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर देने की होती है। एलआईसी अपने ग्राहकों को ऑनलाइन क्लेम करने की भी सुविधा देती है। पॉलिसीहोल्डर्स को क्लेम फॉर्म भरने के बाद पॉलिसी डॉक्युमेंट, आईडी और बैंक अकाउंट की जानकारी एलआईसी को देनी पड़ती है। उसके बाद क्लेम प्रोसेस होने के बाद पैसा बैंक खाते में चला जाता है। क्लेम फॉर्म में भरनी है कई जानकारियां पॉलिसीहोल्डर की मौत की स्थिति में एलआईसी कुछ अतिरिक्त जानकारियां मांगती है। क्लेम करने वाले को क्लेम फॉर्म ए भरना पड़ता है। इसमें पॉलिसीहोल्डर की डिटेल होती है। क्लेम करने वाले को भी अपने बारे में इसमें बताना पड़ता है। क्लेम फॉर्म के साथ मृत्यु प्रमाणपत्र लगाना जरूरी है। ऑरिजिनल पॉलिसी डॉक्युमेंट भी देना जरूरी है। पॉलिसी शुरू होने के तीन साल के अंदर मौत होने पर अगर पॉलिसी खरीदने के तीन साल के अंदर पॉलिसीहोल्डर की मौत हो जाती है तो क्लेम के लिए फॉर्म बी जरूरी है। इसमें पॉलिसीहोल्डर का इलाज करने वाले डॉक्टर का मेडिकल सर्टिफिकेट लगता है। इलाज हॉस्पिटल में होने की स्थिति में फॉर्म बी1 का इस्तेमाल होता है। क्लेम सी पॉलिसीहोल्डर पहचान और उसके अंतिम संस्कार का सर्टिफिकेट होता है।
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