बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को सेविंग्स के लिए सबसे सुरक्षित इंस्ट्र्रूमेंट माना जाता है। इसमें जमा पैसे पर आपको इंटरेस्ट मिलता है। पिछले कुछ सालों में इंटरेस्ट बढ़ने से एफडी का आकर्षण बढ़ गया है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि कंपनियों के एफडी इंटरेस्ट के लिहाज से बैंकों के एफडी से बेहतर हैं। एक साल से ज्यादा के बैंक एफडी पर इंटरेस्ट रेट 7-8 फीसदी है। कई कंपनियां अपने एफडी पर 8-9 फीसदी इंटरेस्ट दे रही हैं। ऐसे में कॉर्पोरेट बैंक एफडी का आकर्षण बढ़ जाता है। लेकिन, ध्यान में रखने वाली बात यह है कि अगर आप बिल्कुल रिस्क नहीं लेना चाहते तो आपके लिए बैंक एफडी सही है। कॉर्पोरेट एफडी में इंटरेस्ट ज्यादा यह समझ लेना जरूरी है कि कंपनियां या एनबीएफसी अपने एफडी पर बैंक से ज्यादा इंटरेस्ट क्यों ऑफर करती हैं। दरअसल, बैंकों की तरह एनबीएफसी को ग्राहकों को कर्ज देने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। लेकिन, पैसे जुटाने के उनके पास विकल्प सीमित हैं। उन्हें कम इंटरेस्ट रेट्स पर सेविंग्स और करेंट अकाउंट के जरिए ग्राहकों से डिपॉजिट लेने की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि कई एनबीएफसी फंड जुटाने के लिए एफडी पर बैंकों से ज्यादा इंटरेस्ट ऑफर करती हैं। वे इस पैसे को ग्राहकों को ज्यादा इंटरेस्ट पर लोन के रूप में देकर कमाई करती हैं। इस तरीके से बढ़ेगा रिटर्न अगर आपने बैंक एफडी में ज्यादा पैसा नहीं रखा है तो आपको कॉर्पोरेट एफडी के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह यह है कि सिर्फ 1-1.5 फीसदी ज्यादा इंटरेस्ट रेट के लिए आपको बैंक एफडी से पैसे निकालने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपका डिपॉजिट कम है, जिससे कुल रिटर्न में ज्यादा फर्क नहीं आएगा। अगर आपने बैंक एफडी में बड़ा अमाउंट रखा है तो आप इसमें से कुछ पैसा कॉर्पोरेट एफडी में ट्रांसफर कर सकते हैं। आप 70 फीसदी पैसा बैंक एफडी में रखते हुए बाकी 30 फीसदी कॉर्पोरेट एफडी में डाल सकते हैं। लेकिन, आपको यह ध्यान रखना होगा कि जिस कंपनी के एफडी में आप डिपॉजिट करने जा रहे हैं उसकी रेटिंग अच्छी होनी चाहिए। लिक्विडिटी की नहीं होगी दिक्कत आप अलग-अलग मैच्योरिटी पीरियड के एफडी का इस्तेमाल भी अपने पैसे को रखने के लिए कर सकते हैं। इससे आपको लिक्विडिटी के मामले में दिक्कत नहीं आएगी। एक ही एफडी स्कीम में पैसा रखने पर मैच्योरिटी तक आपका पैसा ब्लॉक हो जाता है। अगर आपको बीच में पैसे की जरूरत पड़ती है तो आपको दिक्कत हो सकती है। एक की जगह अलग-अलग पीरियड के कई एफडी में पैसा रखने पर यह प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है। मान लीजिए आप 25 लाख रुपये एफडी में रखना चाहते हैं। ऐसे में आप 15-20 लाख रुपये बैंक एफडी में रख सकते हैं। बाकी पैसा आप ज्यादा इंटरेस्ट रेट वाले कॉर्पोरेट एफडी में रख सकते हैं, जिस पर आपको 8-9 फीसदी इंटरेस्ट मिल जाएगा। दोनों एफडी का पारियड आप अलग-अलग रख सकते हैं। इससे लिक्विडिटी की दिक्कत आपको नहीं होगी।
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