Budget 2024 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदा सरकार का अंतिम बजट 1 फरवरी, 2024 को पेश करेंगी। यह अंतरिम बजट होगा। इसमें सरकार अगले वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों के अपने खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करेगी। इसे वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है। सरकार Union Budget 2024 में बड़े ऐलान नहीं करेंगी। ऐसा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है। लेकिन सरकार टैक्स की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कदम उठा सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी की व्यवस्था लागू हुए छह साल से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन, अब भी इसमें कई खामियां हैं। उन खामियों को दूर करना जरूरी है। इससे कंप्लायंस बढ़ेगा, जिससे जीएसटी कलेक्शन में भी इजाफा होगा। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के नियमों को आसान बनाने की जरूरत एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने टैक्स के मामले में कई रिफॉर्म किए हैं। इसके बावजूद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस से जुड़े टैक्स के नियमों में कई खामियां हैं। सरकार इन कमियों को दूर करने के उपाय कर सकती है। अभी लॉन्ग टर्म कैपसिटल गेंस टैक्स के मामले में अलग-अलग एसेट के लिए अलग-अलग नियम हैं। इससे टैक्सपेयर्स उलझन में रहते हैं। नियमों को आसान बनाने से टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। इससे कंप्लायंस भी बढ़ेगा। यह भी पढ़ें : Budget 2024: अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट को लेकर आप कनफ्यूज हैं? जानिए दोनों में क्या फर्क है? इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में भी एग्जेम्प्शंस लिमिट बढ़नी चाहिए सरकार ने इनकम टैक्स की नई रीजीम में एग्जेम्प्शंस लिमिट को बजट 2023 में बढ़ाने का ऐलान किया था। इसे बढ़ाकर 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में भी एग्जेम्प्शंस लिमिट बढ़ानी चाहिए। इसकी वजह यह है कि पिछले कुछ सालों में लोगों की सैलरी बढ़ी है। खर्च बढ़े हैं, लेकिन एग्जेम्प्शंस लिमिट नहीं बढ़ाई गई है। अब भी इनकम टैक्स की नई रीजीम से ज्यादा दिलचस्पी लोग पुरानी रीजीम में दिखा रहे हैं। नियमों को आसान बनाने से टैक्स फाइलिंग बढ़ेगी सरकार ने पिछले कुछ सालों में कॉर्पोरेट टैक्स को अट्रैक्टिव बनाया है। इसके काफी फायदे देखने को मिले हैं। अगर सरकार इनकम टैक्स के नियमों को भा आसान बनाती है तो इससे कंप्लायंस बढ़ेगा। टैक्स रेट ज्यादा होने से इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में लोगों की दिलचस्पी कम होती है। 1.4 अरब की आबादी वाले देश में अब भी इकनम टैक्स रिटर्न फाइलिंग 7 करोड़ से कम है। अगर सरकार टैक्स से जुड़े नियमों को आसान बनाकर ज्यादा संख्या में लोगों को टैक्स के दायरे में लाती है तो इससे सरकार की आबादी बढ़ेगी।
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