Budget 2024-25 : यूनियन बजट का इतिहास दिलचस्प रहा है। कुछ यूनियन बजट इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव की वजह से मशहूर हो गए हैं। कुछ यूनियन बजट को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि उनमें रिफॉर्म्स के बड़े ऐलान किए गए। कुछ बजटों को बड़ी स्कीम के ऐलान के लिया याद किया जाता है। वित्त वर्ष 2002-03 का यूनियन बजट भी कुछ खास वजहों से काफी चर्चा में रहा। इस बजट को वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने पेश किया था। वह प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री थे। उस बजट को रोलबैक बजट नाम दिया गया था। इस बजट के चर्चा में रहने की क्या वजह थी? इसे क्यों रोलबैक बजट कहा गया? इस बजट की क्या खासियत थी? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं। बजट में कई सख्त ऐलान शामिल यशवंत सिन्हा ने अपने बजट भाषण में कई बड़े फैसलों के ऐलान किए। इसलिए इसे बहुत सख्त बजट माना गया। उन्होंने रसोई गैस की कीमतें बढ़ाने का ऐलान किया। पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के जरिए बेचे जाने वाले केरोसीन और चीनी की कीमतें बढ़ा दी। पोस्टल रेट में उन्होंने हल्की वृद्धि की। स्मॉल सेविंग्स के इंटरेस्ट रेट को घटा दिया। फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी कम कर दी। लेकिन, ज्यादा कमाई कने वाले वाले लोगों के लिए इनकम टैक्स रिबेट बढ़ा दिया। उन्होंने इनकम टैक्स पर 5 फीसदी नेशनल सिक्योरिटी सरचार्ज लगाने का ऐलान किया। लेकिन, पिछले बजट में लगाए गए 2 फीसदी के गुजरात भूकंप सरचार्ज को वापस ले लिया। यह भी पढ़ें : Budget 2024 : यूनियन बजट के कितने हिस्से होते हैं, इसे आसानी से कैसे समझा जा सकता है? फर्टिलाइजर्स की कीमतें बढ़ाने का ऐलान सिन्हा ने अपने बजट भाषण में कहा, "हमने प्रोडक्शन सिस्टम की कमियों को दूर कर फर्टिलाइजर्स सब्सिडी में कमी लाने की कोशिश की है। इकोनॉमिक रिफॉर्म्स कमीशन ने सरकार को हर साल कीमतें 7 फीसदी बढ़ाने की सलाह दी है। उसने अगले 5 साल में कीमतों को पूरी तरह से नियंत्रण से मुक्त कर देने की सिफारिश की है।" उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से फर्टिलाइजर्स की कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं। इसलिए बजट में मैं यूरिया, DAP और MOP के इश्यू प्राइस को 5 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव पेश करता हूं। सिन्हा की पार्टी के सांसदों ने कुछ फैसले वापस लेने की सलाह दी इस यूनियन बजट को लेकर लोगों ने पसंद नहीं किया। इसका व्यापक विरोध शुरू हो गया। लोगों ने नए टैक्स और एलपीजी की कीमतों में वृद्धि वापस लेने की मांग शुरू कर दी। किसान फर्टिलाइजर्स की कीमतें बढ़ाने से नाराज हो गए। इनकम टैक्स में रिबेट के ऐलान को वापस लेने की मांग शुरू हो गई। कुल मिलाकर इस बजट का विरोध शुरू हो गया। खास बात यह कि खुद सिन्हा की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बजट में किए गए कई ऐलान का विरोध करना शुरू कर दिया। BJP के करीब 70 सासंदों ने सिन्हा को बजट के सख्त ऐलान को वापस लेने की सलाह दी। सिन्हा ने ये फैसले लिए वापस सिन्हा ने बजट के कई ऐलान वापस लेने की मांग मान ली। इसीलिए इस यूनियन बजट को रोलबैक बजट कहा जाता है। डिविडेंड से हुई इनकम को सेक्शन 80एल के तहत लाया गया। इसका मतलब था कि कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स से मिले 9,000 रुपये तक डिविडेंड टैक्स-फ्री होगा। 1,000 रुपये से कम के डिविडेंड को टीडीएस के दायरे से बाहर कर दिया गया। इससे छोटे इनवेस्टर्स को बहुत राहत मिली। एलपीजी की कीमतें प्रति सिलेंडर 40 रुपये बढ़ाई गई थी। इसे घटाकर प्रति सिलेंडर 20 रुपये कर दिया गया। 1.5 लाख से 5 रुपये तक की इनकम वाले लोगों को सेक्शन 88 के तहत मिलने वाले फायदे को बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया। सिन्हा ने बजट में इसे 10 फीसदी करने का ऐलान किया था।
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