Saturday, November 18, 2023

MP Election 2023: मध्य प्रदेश में ‘तीसरा विकल्प’ बनने में जुटे दल बिगाड़ सकते हैं BJP-कांग्रेस का समीकरण

MP Election 2023: मध्य प्रदेश (MP) की दो ध्रुवीय राजनीति में ‘तीसरा विकल्प’ बनने के प्रयासों में जुटी बहुजन समाज पार्टी (BSP) इस बार के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में दो दर्जन से अधिक सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress), दोनों का ही खेल बिगाड़ती दिख रही है। समाजवादी पार्टी (SP) समेत ‘INDIA’ गठबंधन के कुछ घटक दलों में भी अपनी ‘छाप छोड़ने’ की छटपटाहट है, जो उनका ‘अपना’ ही नुकसान करती दिख रही है। BSP ने इस चुनाव में आदिवासी बहुल क्षेत्रों, खासकर महाकौशल की राजनीति में प्रभाव रखने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के साथ गठबंधन किया है। BSP 183 सीटों पर, तो गोंगपा 45 से ज्यादा सीटों पर ताल ठोंक रही है। सपा, आम आदमी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (JDU) और कुछ क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि BSP और सपा के अलावा किसी दूसरे दल का कोई ऐसा प्रभाव नहीं है, जिससे चुनावी नतीजों में कोई बड़ा अंतर आए। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे विंध्य और बुंदेलखंड के क्षेत्रों में BSP ने हमेशा, जबकि सपा ने कुछ चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। BSP ने सबसे कम सात प्रतिशत और सबसे ज्यादा 11 प्रतिशत मत हासिल किए हैं। 1993 और 1998 के चुनावों में उसके 11 उम्मीदवार विधायक बने थे। दोनों ही बार कांग्रेस की सरकार बनी थी। पुराने चुनाव का लेखाजोखा 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 173 सीटें जीतकर कांग्रेस को जब सत्ता से बेदखल किया था, तब BSP को 10.6 प्रतिशत मत मिले थे। हालांकि, उसके दो ही उम्मीदवार विधानसभा पहुंच सके थे। पिछले चुनाव में भी BSP को दो ही सीट मिली थी और उसका मत प्रतिशत गिरकर 6.42 पर आ गया था। इस चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी और BSP के दो, SP के एक और कुछ निर्दलीयों की मदद से कांग्रेस ने सरकार बनाई। SP ने इस राज्य में सबसे अच्छा प्रदर्शन 2003 के चुनाव में किया था, जब उसके सात विधायक विधानसभा पहुंचे थे। उसे 5.26 प्रतिशत वोट मिले थे। ये इस बात के संकेत हैं कि BSP और SP के वोट बैंक का बढ़ना या घटना, चुनावी नतीजे को प्रभावित करता है। BSP और SP समेत दूसरे दलों ने इस चुनाव में बागियों पर दांव खेला है। लिहाजा कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ये उम्मीदवार कुछ सीटों पर BJP का तो कुछ पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं। विंध्य की सतना, नागौद, चित्रकूट और रैगांव सीट पर BSP के उम्मीदवार मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। सतना में जहां BJP के बागी व BSP के उम्मीदवार रत्नाकर चतुर्वेदी ‘शिवा’ ने BJP सांसद गणेश सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं, तो वहीं बगल की नागौद सीट पर कांग्रेस के बागी और BSP उम्मीदवार बने यादवेंद्र सिंह अपनी ही पूर्व पार्टी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। ‘कमल’ का खेल बिगाड़ रहे इसी तरह चित्रकूट सीट पर बीजेपी के बागी सुभाष शर्मा ‘डॉली’ हाथी पर सवार हो गए हैं और बीजेपी के उम्मीदवार व पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार और कांग्रेस के मौजूदा विधायक नीलांशु चतुर्वेदी की राह कठिन करते नजर आ रहे हैं। जिले की एकमात्र सुरक्षित रैगांव सीट पर बसपा के देवराज अहिरवार मैदान में हैं। मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी का टिकट कटने के बाद वे विंध्य जनता पार्टी बनाकर कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशियों को टक्कर दे रहे हैं। उन्होंने विंध्य क्षेत्र की 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। रीवा की त्योंथर विधानसभा सीट पर भाजपा के बागी देवेंद्र सिंह हाथी के साथ मिलकर ‘कमल’ का खेल बिगाड़ रहे हैं। भाजपा ने यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी राज को उम्मीदवार बनाया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विंध्य क्षेत्र की कुल 30 सीटों में से 24 पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ छह सीट जीत पाई थी। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि जब भी इस क्षेत्र में बसपा और सपा ने मजबूती से चुनाव लड़ा है तो उसका फायदा भाजपा को मिला है। बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की भी कई सीटों पर बसपा ने भाजपा और कांग्रेस के बागियों को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से भाजपा के बागी रसाल सिंह बसपा के टिकट पर मैदान में हैं तो अटेर से मुन्ना सिंह भदौरिया साइकिल की सवारी कर रहे हैं। इसी प्रकार भिंड विधानसभा सीट से भाजपा के पूर्व विधायक संजीव सिंह कुशवाह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। MP Election 2023: छिंदवाड़ा के इस गांव में लोगों ने किया चुनाव का बहिष्कार, स्थानीय व्यक्ति को टिकट न मिलने से थे नाराज मुरैना सीट से भाजपा के बागी राकेश रुस्तम सिंह बसपा से चुनाव मैदान में हैं जबकि सुमावली सीट से कांग्रेस के बागी कुलदीप सिकरवार और दिमनी से बलवीर दंडोतिया बसपा के टिकट पर मैदान में डटे हैं। शिवपुरी की पोहरी सीट से कांग्रेस के बागी प्रद्युमन वर्मा बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में सबकी नजर ग्वालियर की दिमनी सीट पर है जहां भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को उतारा है लेकिन बसपा के पूर्व विधायक बलवीर सिंह उन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। यहां कांग्रेस के वर्तमान विधायक रविंद्र सिंह तोमर मैदान में हैं। बुंदेलखंड के जतारा में कांग्रेस के बागी धर्मेंद्र अहिरवार ने बसपा के टिकट से और सागर जिले के बंडा विधानसभा में भाजपा से बगावत कर सुधीर यादव ने ‘आप’ से उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। महाकौशल क्षेत्र में गोंगपा-बसपा जिन सीटों पर मुकाबले में है उनमें मंडला की बिछिया सीट प्रमुख है। यहां से गोंगपा के कमलेश टेकाम भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं। आप कुल 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और इसकी प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल सिंगरौली सीट से उम्मीदवार हैं। जदयू ने 10 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़’ में सह-निदेशक संजय कुमार ने कहा, ‘‘इस बार भी कोई दल तीसरा विकल्प बनने की स्थिति में नहीं है। हालांकि बसपा और सपा मजबूती से चुनाव लड़ते दिख रहे हैं। पिछले चुनावों के अनुभवों को भी देखें तो बसपा और सपा ने नुकसान कांग्रेस का ही किया है और इसका फायदा भाजपा को मिला है। अब किसने किसकी नैया डुबोई, और कौन पार लगा, ये सब तीन दिसंबर को साफ हो जाएगा।

from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/6QgZvbX
via

No comments:

Post a Comment