केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह उत्तरी चीन में बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों और H9N2 संक्रमण के मामलों पर काफी नजदीक से नजर रख रहा है। मंत्रालय ने कहा कि चीन में सामने आए एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza) के मामले और सांस से जुड़ी बीमारियों से भारत को कम जोखिम है। उसने कहा कि भारत चीन (China) में इन्फ्लूएंजा की स्थिति से पैदा हो सकने वाली किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। हालांकि, चीन ने इससे साफ इनकार कर दिया कि उसके यहां बच्चों में निमोनिया (Pneumonia) के बढ़ते मामलों में कोई गंभीरता है। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि उसने बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों और निमोनिया के मामलों में अचानक हुई बढ़ोतरी के बारे में चीन से ज्यादा जानकारी देने को कहा था। इस पर बीजिंग ने कहा कि कोविड से जुड़े प्रतिबंध हटने के बाद से उसके यहां फ्लू जैसी बीमारियों में इजाफा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने उत्तरी चीन में बच्चों में सामने आ रहे अजीब तरह के निमोनिया को लेकर मीडिया में आई खबरों और संक्रामक बीमारियों की निगरानी करने वाले एक सेंटर की रिपोर्ट का हवाला दिया था। कैसे हैं चीन के हालात? चीनी मीडिया में बताया जा रहा है कि बीजिंग समेत देश के कई शहरों में निमोनिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। 500 मील उत्तर-पूर्व में बीजिंग और लियाओनिंग के अस्पतालों में बड़ी संख्या में बच्चे भर्ती हो रहे हैं। इस रहस्यमयी न्यूमोनिया में बच्चों को फेफड़ों में दर्द और तेज बुखार जैसी परेशानी होती है। फेफड़े में दिक्कत होने की वजह से बच्चों को इस बीमारी में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इस बीमारी के तेजी से फैलने की वजह से इन शहरों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि स्थिति पर कड़ी निगरानी की जरूरत है, लेकिन वे इस बात से सहमत नहीं थे कि चीन में निमोनिया के मामलों में हाल में हुई बढ़ोतरी, किसी नई वैश्विक महामारी के शुरुआत का संकेत है। WHO ने कहा कि चीन के नेशनल हेल्थ कमिशन के अधिकारियों ने 13 नवंबर को सांस से जुड़ी बीमारियों में बढ़ोतरी की जानकारी दी थी। उसने कहा कि आयोग के अधिकारियों ने कहा था कि ऐसी बीमारियों के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि Covid-19 लॉकडाउन से जुड़ीं सभी पाबंदियां हटा दी गई हैं। भारत की कैसी है तैयारी? वहीं भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा जानकारी के अनुसार, चीन में पिछले कुछ हफ्ते से सांस से जुड़ी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। उसने कहा, "बच्चों में सांस की बीमारियों के सामान्य कारणों का पता लगाया गया है और किसी अनयूजुअल पैथोजन या किसी अप्रत्याशित क्लीनिकल स्वरूप की कोई पहचान नहीं की गई है।’’ मंत्रालय ने बताया कि हाल में DG हेल्थ सर्विस के नेतृत्व में एक बैठक की गई थी, जिसमें चीन में अक्टूबर में H9N2(एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस) से एक व्यक्ति के संक्रमित होने के मामले की WHO को दी गई जानकारी के आधार पर भारत में एवियन इन्फ्लूएंजा के मामलों से निपटने की तैयारी के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा की गई। चीन में अब फेफड़े की बीमारी का कहर! बच्चों से अस्पताल फुल, WHO ने मांगी रिपोर्ट उसने कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ द्वारा किया गया समग्र जोखिम आकलन इस संक्रमण के मनुष्यों से मनुष्यों में फैलने की कम संभावना और अब तक सामने आए लोगों में एच9एन2 के मामलों में कम मृत्यु दर का संकेत देता है।’’ भले ही चीन ने किसी भी बड़े खतरे से इनकार किया हो, लेकिन WHO ने फिर भी चीन के लोगों से वैक्सीन लगवाने और मास्क पहनने जैसी सावधानियां बरतने का आग्रह किया। स्थानीय मीडिया ने हाल के दिनों में अस्पतालों में भीड़भाड़ होने की खबर दी थी। कई रिपोर्ट्स में ऐसा भी कहा गया कि जब महामारी से जुड़े प्रतिबंध हटाए गए, तो कई दूसरे देशों में भी सांस से जुड़ी बीमारियों जैसे ‘रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस’ या आरएसवी के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी।
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