Karnataka Polls 2023: कर्नाटक में 10 मई को होने वाले मतदान में फर्जी वोटिंग पर अंकुश लगाने और लंबी लाइन से छुटकारा पाने के लिए चुनाव आयोग (Election Commission) ने खास तैयारी की है। चुनाव आयोग (ECI) कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के एक मतदान केंद्र में चेहरे की पहचान के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगा। इस नई तकनीक को पहली बार किसी विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया जाएगा। कर्नाटक मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के पास राजकीय रामनारायण चेलाराम कॉलेज पैलेस रोड पर स्थित मतदान केंद्र पर इस नए सिस्टम को लगाया गया है। कैसे काम करेगा नया सिस्टम? चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को बताया कि इस मतदान केंद्र के मतदाताओं को चुनाव आयोग के Chunavana मोबाइल एप्लिकेशन को डाउनलोड करना होगा। फिर अपने मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर, मोबाइल नंबर दर्ज करने और एक OTP जनरेट करने के बाद उन्हें ऐप के माध्यम से एक सेल्फी अपलोड करनी होगी। एक बार जब कोई मतदाता मतदान केंद्र पर पहुंच जाता है, तो सत्यापन के लिए उसे चेहरे की पहचान स्कैनिंग से गुजरना पड़ता है। अगर तस्वीर चुनाव आयोग के डेटाबेस से मेल खाती है, तो मतदाता को कोई दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी और उसे अपना वोट डालने की मंजूरी मिल जाएगी। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि यह सिस्टम लंबी कतारों को कम करेगा और फर्जी मतदान को रोकेगा। यह सिस्टम DigiYatra की तरह है, जो एयरपोर्ट पर लंबी कतार कम करने के लिए यात्रियों के लिए एक बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम है। कर्नाटक के विशेष अधिकारी (चुनाव) एवी सूर्य सेन ने मनीकंट्रोल को बताया कि हमने पायलट प्रोजेक्ट के लिए शिवाजी नगर में इस बूथ की पहचान की है, क्योंकि अन्य बूथों के 1,500 मतदाताओं की तुलना में इसमें लगभग 300 मतदाता हैं। यह सीईओ के कार्यालय से निकटता के कारण भी है। बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) इस बूथ के सभी मतदाताओं के घरों में जाकर नई तकनीक के बारे में बता रहे हैं। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है, जो लोग इस सुविधा का विकल्प नहीं चुनना चाहते हैं वे पारंपरिक तरीके का पालन कर सकते हैं। इसका लाभ उठाने वाले मतदाताओं के लिए एक अलग लाइन होगी। आज थम जाएगा प्रचार का शोर कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार अभियान का शोर सोमवार शाम थम जाएगा। इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) फिर से सत्ता में वापसी के लिए तो वहीं कांग्रेस उसे पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बने जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ये भी पढ़ें- 'कांग्रेस कर्नाटक को भारत से अलग मानती है', पीएम मोदी बोले- BJP ईमानदारी से करेगी राज्य का विकास इन राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता पिछले कुछ दिनों से राज्य के विभिन्न हिस्सों का तूफानी दौरा कर रहे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने और दक्षिण भारत में अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में जुटी है। बीजेपी से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस अपनी ओर से कड़ी मेहनत कर रही है। अगले साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) को चुनाव प्रचार में अपनी पूरी शक्ति झोंकते देखा जा सकता है। वह (JDS) चुनावों में ‘किंगमेकर’ नहीं, बल्कि विजेता बन कर उभरना चाहता है। बीजेपी का चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे, ‘डबल इंजन’ की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और कार्यक्रमों या केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा है। कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठा रही है।
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