दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट (SC) की गर्मी की छुट्टियां पड़ने का इंतजार किया और उसने राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विस अथॉरिटी (Civil Service Authority) बनाने के लिए एक "अवैध" अध्यादेश पेश किया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा, “वे गर्मी की छुट्टियों के लिए सुप्रीम कोर्ट के बंद होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि वे इस अध्यादेश की अवैधता से अच्छी तरह वाकिफ थे। उन्हें विश्वास है कि ये 5 मिनट भी अदालत में टिक नहीं पाएगा।" केजरीवाल ने केंद्र पर सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के साथ सीधे टकराव में शामिल होने का आरोप लगाया। हाल ही में पेश किए गए केंद्र के अध्यादेश ने दिल्ली में चुनी हुई सरकार को नियंत्रण देने वाले शीर्ष अदालत के फैसले को कथित रूप से "पलट" दिया। उन्होंने कहा, "जब 1 जुलाई को SC खुलेगा तो हम इसे चुनौती देंगे।" दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, “सेवाओं पर केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक है और लोकतंत्र को कमजोर करता है। हम इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। केंद्र ने शीर्ष अदालत गर्मियों की छुट्टी तक स्थगित किए जाने के कुछ ही घंटे बाद अध्यादेश जारी किया, जो सीधे तौर पर अदालत की अवमानना है।" #WATCH | They were waiting for the Supreme Court to be closed for summer vacations. They waited because they know this ordinance is illegal. They know it will not stand in the court for 5 minutes. When SC opens on July 1, we will challenge it: Delhi CM Arvind Kejriwal on the… pic.twitter.com/o29Ygb7f7Q — ANI (@ANI) May 20, 2023 मुख्यमंत्री ने आगे आरोप लगाया कि BJP के नेतृत्व वाली केंद्र का लक्ष्य उनकी सरकार के काम की प्रगति में रुकावट पैदा करना है। उन्होंने इस अध्यादेश को "संघीय ढांचे पर हमला" बताया। उन्होंने संबंधित बिल को राज्यसभा में पारित होने से रोकने के लिए अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की योजना की भी घोषणा की। केजरीवाल ने जोर देकर कहा, "हम इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जनता के साथ जुड़ेंगे और इसके विरोध में एक विशाल रैली भी करेंगे।" शुक्रवार को केंद्र ने दिल्ली में IAS और DANICS कैडर के अधिकारियों के ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्यवाही को सक्षम करते हुए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया। Delhi Real Boss: एक बार फिर एलजी दिल्ली के बॉस, केंद्र ने अध्यादेश के जरिए पलटा सुप्रीम कोर्ट का फैसला ये फैसला दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और जमीन के मामलों के अपवाद के साथ सेवाओं का नियंत्रण देने का सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद लिया गया। केंद्र सरकार के अध्यादेश ने नेशनल कैपिटल सिविस सर्विस अथॉरिटी को बनाने का रास्ता तैयार कर दिया है। ये अथॉरिटी दिल्ली और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सिविल सर्विस कैडर यानि DANICS के ग्रुप A के अधिकारियों के ट्रांसफर का काम देखेगी और अनुशासन बनाए रखेगी। इस अथॉरिटी के मुखिया दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे और इसमें दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और गृह सचिव भी होंगे। ट्रांसफर, पोस्टिंग, विजिलेंस और दूसरे अहम मामलों में ये अथॉरिटी बहुमत मतों के आधार पर फैसला लेगी और फिर इसे मंजूरी के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर (L-G) के पास भेजा जाएगा। अगर फैसलों को लेकर कोई विवाद होता है, तो एलजी का फैसला आखिरी माना जाएगा।
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