अडानी ग्रुप के शेयरों में हालिया तेज गिरावट के बावजूद रिटेल निवेशकों का अभी भी भारत के 3.1 लाख करोड़ डॉलर के इक्विटी मार्केट में भरोसा बना हुआ है। भारत कोरोना महामारी के बाद से ही दुनिया के सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजारों में शामिल है। हालांकि अडानी ग्रुप के शेयरों की हालिया पिटाई के बाद इसके प्रदर्शन के कमजोर होने का खतरा बन गया था। मुंबई के रहने वाले हनोज मिस्री ऐसे ही एक छोटे निवेशक है, जिनका मानना है कि अडानी ग्रुप के शेयरों की वैल्यू में करीब 130 अरब डॉलर की गिरावट आने के बाद बाजार में मची उथल-पुथल का असर भारतीय शेयर बाजार की लंबी अवधि की संभावनाओं पर नहीं होगा। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हनोज एक शिप-ब्रोकर हैं और उन्होंने अडानी ग्रुप के शेयरों में निवेश किया हुआ था। उन्होंने कहा कि वह आगे भी शेयर बाजार में निवेश करना जारी रखेंगे, खासकर कमोडिटी बिजनेस से जुड़ी कंपनियों में, जो भारत के बढ़ते मिडिल क्लास साइज से लाभ उठाने की स्थिति में है। मिस्री ने कहा, "भारत में खपत तेजी से बढ़ रही है और मुझे पूरा भरोसा है कि यह सफर लंबे समय तक जारी रहेगा।" मिस्री जैसे रिटेल निवेशक उस उभरती आबादी का हिस्सा है, जो तेजी से दुनिया के सबसे बड़े इमर्जिंग मार्केट का चेहरा बदल रहे हैं। भारत में हर महीने करीब 10 लाख नए डीमैट अकाउंट खुल रहे हैं और इनकी कुल संख्या करीब 11 करोड़ के पास पहुंच गई है। यह स्पेन और साउथ कोरिया की संयुक्त आबादी से भी अधिक है। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने बीते 24 जनवरी को अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया था। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर शेयरों की कीमत में छेड़छाड़ और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज किया है। यह भी पढ़ें- Stock market: शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी, निवेशकों की एक दिन में ₹132000 करोड़ बढ़ गई संपत्ति हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद न सिर्फ अडानी ग्रुप के शेयरों में तेज बिकवाली शुरू हुई, बल्कि भारतीय शेयर बाजार भी गिर गए। हाालांकि शेयर बाजार जल्द ही इस गिरावट से संभल भी गया। भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) में अडानी ग्रुप का कोई शेयर शामिल नहीं है और मंगलवार 14 फरवरी को कारोबार खत्म होते समय तक इसने अपनी सभी गिरावटों को वापस पा लिया था। इसे आप नीचे दिए चार्ट में भी देख सकते हैं- इसके अलावा देश में डीमैट खाताधारकों की संख्या कैसे बढ़ रही है, इसे भी आप इस चार्ट में देख सकते हैं- बाजार में सीधे निवेश की जगह म्यूचुअल फंडों की एसआईपी स्कीमों में निवेश के जरिए भी छोटे निवेशकों का बाजार पर प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इन एसआईपी स्कीमों में निवेश और निवेशकों की संख्या हर महीने बढ़ता जा रहा है। इसके जरिए बाजार में जो नियमित पैसा आ रहा है, उससे बाजार को अडानी ग्रुप के शेयरों में बिकवाली जैसे झटकों से जल्द उबरने में मदद मिल रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार में म्यूचुअल फंडों के जरिए पिछले लगातार 23 महीनों से निवेश बढ़ा है।
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