RBI अगले हफ्ते इंटरेस्ट रेट (Interest Rate) 0.35 फीसदी बढ़ा सकता है। अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म Bofa Securities ने यह अनुमान जताया है। अगले हफ्ते RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक होने वाली है। Bofa Securities ने एमपीसी की बैठक के पहले बुधवार (27 जुलाई) को एक रिपोर्ट जारी की। इसमें उसने कहा है कि रेपो रेट में वृद्धि के साथ केंद्रीय बैंक अपने पॉलिसी स्टैंस में भी बदलाव करेगा। हर दो महीने पर एक बार आरबीआई की एमपीसी की बैठक होती है। इसमें इकोनॉमी की सेहत सहित दूसरे चीजों को देखते हुए आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है। इससे पहले मई और जून में आरबीआई ने रेपो रेट में लगातार दो बार वृृद्धि की थी। दो बार में रेपो रेट में 0.90 फीसदी की वृद्धि की गई है, जिससे यह 4.90 फीसदी हो गया है। उसने तेजी से बढ़ते इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने के लिए ऐसा किया था। पिछले कई महीनों से इनफ्लेशन आरबीआई के 6 फीसदी के टारगेट से ऊपर बना हुआ है। जून तिमाही में रिटेल इनफ्लेशन 7.01 फीसदी रहा। हालांकि, यह मई में 7.04 फीसदी रिटेल इनफ्लेशन के मुकाबले थोड़ा कम है। अप्रैल में आरबीआई ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी का ऐलान किया था। तब से अब तक आरबीआई की तरफ से उठाए गए कदमों के बारे में Bofa सिक्योरिटीज ने कहा है कि केंद्रीय बैक इफेक्टिवरी 1.30 फीसदी बढ़ोतरी कर चुका है। Bofa Securities की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारे बेस केस को देखते हुए MPC रेपो रेट में 0.35 फीसदी वृद्धि कर सकता है। इससे रेपो रेट 5.25 फीसदी हो जाएगा। साथ ही केंद्रीय बैंक अकोमोडेटिव पॉलिसी की जगह अब कैलिबेरेटड टाइटिंग पॉलिसी अपना सकता है।" इस ब्रोकरेज पर्म का मानना है कि एमपीसी फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए कंज्यूमर प्राइस इनफ्लेशन (CPI) और रियल जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को क्रमश: 6.7 फीसदी और 7.2 फीसदी पर बनाए रखेगा। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि मई में 7.04 फीसदी तक पहुंचने के बाद ऐसा लगता है कि रिटेल इनफ्लेशन अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। MPC ज्यादा आक्रामक रुख अपनाते हुए रेपो रेट में 0.50 फीसदी वृद्धि भी कर सकता है। कई देशों में केंद्रीय बैंकों ने इंटरेस्ट बढ़ाने को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है। Bofa Securities ने कहा है कि रेपो रेट में 0.25 फीसदी की वृद्धि भी की जा सकती है। एमपीसी यह स्वीकार कर सकता है कि इनफ्लेशन अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक की तरफ से उठाए गए कदमों का असर दिखा है। इसलिए आगे वह नापतौल कर इंटरेस्ट बढ़ाने का फैसला कर सकता है।
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