Thursday, December 25, 2025

Share Markets: 2025 में कैश और डेरिवेटिव्स दोनों सेगमेंट में घटा वॉल्यूम, क्या शेयर मार्केट से निवेशकों का मोहभंग हो रहा?

इक्विटी कैश मार्केट के सालाना टर्नओवर में तीन सालों में सबसे बड़ी गिरावट आई है। बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों के पार्टिसिपेशन में कमी इसकी वजह हो सकती है। बीएसई और एनएसई में इस साल डेरिवेटिव्स के वॉल्यूम में भी गिरावट देखने को मिली है। एनएसई और बीएसई का कैश मार्केट में औसत रोजाना कंबाइंड टर्नओवर इस साल अब तक 1.08 लाख करोड़ रुपये रहा। यह 2024 के 1.28 लाख करोड़ रुपये से 15.77 फीसदी कम है।

2022 के बाद कैश मार्केट टर्नओवर में सबसे बड़ी गिरावट

स्टॉक एक्सचेंजों के डेटा के मुताबिक, 2022 के बाद यह कैश मार्केट के टर्नओवर में सबसे बड़ी गिरावट है। इस साल डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में भी तेज गिरावट देखने को मिली। एनएसई और बीएसई का कंबाइंड डेरिवेटिव्स वॉल्यूम 2013 के बाद पहली बार गिरा है। डेरिवेटिव्स वॉल्यूम में 16.7 गिरावट की वजह रेगुलेटर के सख्त नियम हो सकते हैं। एक्सचेंज के डेटा के मुताबिक, 2025 में कंबाइंड फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस टर्नओवर साल दर साल आधार पर 17.7 फीसदी गिरकर 387.95 लाख करोड़ रुपये रहा।

इस साल प्राइमरी मार्केट में एक्टिविटी ज्यादा रही

मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि प्राइमरी मार्केट में एक्टिविटी काफी ज्यादा रही। ब्लॉक डील्स में भी इजाफा देखने को मिला। लेकिन, सेकेंडरी मार्केट में निवेशकों का पार्टिसिपेशन कमजोर रहा। इसकी वजह 2025 में स्टॉक मार्केट्स का कमजोर प्रदर्शन हो सकता है। उधर, फॉरेन फंडों की लगातार बिकवाली, ज्यादा वैल्यूएशनंस और जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता का असर मार्केट सेंटिमेंट पर पड़ा।

इस साल मिडकैप-स्मॉलकैप का प्रदर्शन कमजोर

2025 में अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में से दोनों में करीब 10-10 फीसदी की तेजी आई है। लेकिन, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। BSE Midcap Index 0.5 फीसदी चढ़ा है, जबकि BSE SmallCap Index में 9 फीसदी गिरावट आई है। इससे पता चलता है कि शेयरों को लेकर निवेशकों की दिलचस्पी एक जैसी नहीं रही है।

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मार्केट पार्टिसिपेशन पर एसटीटी का भी असर

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैश मार्केट में एक्टिविटी में कमी की एक वजह सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स भी हो सकता है। एसटीटी का असर अल्ट्रा-हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स और इंस्टीट्यूशंस के निवेश पर पड़ता दिख रहा है। ट्रांजेक्शन चार्जेज और टैक्स का असर ट्रेडिंग से मिलने वाले रिटर्न पर भी पड़ा है। इस वजह से कई इनवेस्टर्स प्राइमरी मार्केट में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।



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