Friday, December 5, 2025

Dhurandhar Review: आदित्य धर के धुरंधरों ने उड़ाया गरदा, देशभक्ति का जुनून और एक्शन देख फैंस के रोंगटे हुए खड़े

निर्देशक/लेखक: आदित्य धर

कलाकार: रणवीर सिंह, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, आर. माधवन, अर्जुन रामपाल, सारा अर्जुन, राकेश बेदी

अवधि: 196 मिनट

रेटिंग: 4

Dhurandhar Review:  कुछ फ़िल्में केवल मनोरंजन करती हैं, और कुछ फ़िल्में दर्शक को अपनी दुनिया में पूरी तरह समा लेती हैं। धुरंधर उसी दूसरी कैटागरी की फ़िल्म है। आदित्य धर एक ऐसी दुनिया क्रिएट करते हैं जो सच की तेज़ चपत भी देती है और इमोशन का तूफ़ान भी, जहां कहानी एक पल के लिए भी ढीली नहीं पड़ती। जो फ़िल्म एक सिंपल स्पाई-थ्रिलर की तरह शुरू होती है, वह आगे जाकर देशभक्ति, बेचैनी और सिनेमाई जादू का ऐसा रूप ले लेती है कि दर्शक के रोंगटे खड़े जाते हैं।

कहानी भारत के कुछ सबसे दर्दनाक जंग में धंसी हैं—IC-814 हाईजैक और 2001 का संसद हमला। इन घटनाओं को सनसनीखेज़ बनाने के बजाय, आदित्य धर इन्हें इमोशनल पावर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आर. माधवन द्वारा निभाया गया IB चीफ अजय सन्याल हर फ्रेम में दृढ़, शांत और अत्यंत प्रभावशाली नज़र आते हैं। उनके डायलॉग, ठहराव के साथ एक्टिंग, ताक़त और अधिकार का ऐसा मिक्चर है कि कहानी को एक मजबूत आधार मिलता है।

फ़िल्म का सबसे हिट क्रिएटिव स्टोक असली आर्काइव फुटेज का इस्तेमाल है—9/11, मुंबई अटैक, और विभिन्न आतंकी घटनाओं की असल रिकॉर्डिंग्स। इन फुटेज और ऑडियो इंटरसेप्ट्स का प्रभाव जबर्दस्त है। यह देशभक्ति को उकसाते नहीं, बल्कि भीतर से जगाते हैं। वास्तविक आवाज़ों का दर्द और ख़तरा किसी भी रीक्रिएशन से ज़्यादा भारी पड़ता है।

फिर आता है रणवीर सिंह का तूफ़ानी अवतार-हमज़ा। टूटे, ज़ख्मी, अनियंत्रित लेकिन मैग्नैटिक… यह किरदार रणवीर को पूरी तरह नए स्तर पर ले जाता है। हमज़ा का सफर—एक बिखरे हुए इंसान से एक तेज़तर्रार, सधे हुए ऑपरेटिव तक—रणवीर ने इतनी गहराई और एनर्जी के साथ निभाया है कि नज़र हटती नहीं। यह उनके करियर के सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन में इसे गिना जाएगा।

अक्षय खन्ना का रहमान डकैत शांत लेकिन खतरनाक विलेन का ऐसा प्रतिरूप है, जो भीतर तक डर बैठा देता है। संजय दत्त “जिन्न” की तरह गरजते हुए स्क्रीन पर आते हैं—कच्ची ताक़त, रौब और धौंस से भरे। अर्जुन रामपाल का मेजर इक़बाल चुपचाप लेकिन ज़हरीले खतरे जैसा लगता है, जबकि सारा अर्जुन अपनी मासूम लेकिन प्रभावशाली मौजूदगी से कहानी को इमोशनल बैलेंस देती हैं।

196 मिनट के बावजूद फिल्म एक मिनट भी बोरिंग नहीं लगती। हर सीन अपना मक़सद पूरा करता है और कहानी लगातार एनर्जी पकड़ती जाती है। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की धड़कन है। हर सीक्वेंस में तनाव, जोश, और भावनात्मक असर बढ़ाता है। साउंडट्रैक भी इस साल के बेहतरीन एल्बमों में गिना जाएगा।

एक्शन मात्र दिखावे के लिए नहीं। केवल कुछ सीन ही कुछ ज्यादा हैं, और वे भी कहानी की ज़रूरत से जुड़े हुए हैं। वास्तविक तनाव कैरेक्टर की लॉयलटी, आपसी संदेह, मेंटली कॉन्फिलिक्ट और राजनीतिक मोड़ों से पैदा होता है। इंटरवल पर फिल्म ऐसा झटका देती है कि दर्शक सीट पकड़ लेते हैं, और दूसरा हिस्सा धोखे, रणनीति और हमज़ा की उभरती पावर से और भी तेज़ होता चला जाता है—जिसका धमाकेदार सेट-अप पार्ट 2 (ईद 2026) के लिए तैयार है।

B62 Studios और Jio Studios के साथ मिलकर ज्योति देशपांडे, लोकेश धर और आदित्य धर ने ऐसा सिनेमाई कैनवास तैयार किया है जो विशाल होने के साथ-साथ गहराई भी रखता है। यह दिखाता है कि भारतीय व्यावसायिक सिनेमा बिना अपनी पहचान खोए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टिक सकता है।

धुरंधर एक ऐसी मिसाल है जहां तकनीक, कहानी, भावना और देशभक्ति एक साथ आकर एक शानदार क्रिएशन हैं। आदित्य धर के निर्देशन और रणवीर सिंह की विस्फोटक परफॉर्मेंस के साथ यह फ़िल्म उस बड़े संघर्ष की नींव रखती है जो आगे और तीव्र होकर पर्दे पर लौटेगा। आख़िरी फ्रेम जब काला होता है तो सिर्फ़ एक बात महसूस होती है, यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, यह तो बस शुरुआत है।



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