झारखंड में गरीबी से मजबूर एक दंपति ने अपने एक महीने के बेटे को 50,000 रुपये में बेच दिया था। हालांकि, रविवार को पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित बरामद कर लिया। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर की गई, जिन्होंने घटना का संज्ञान लेते ही पुलिस को तुरंत कदम उठाने का आदेश दिया। लेस्लीगंज के अंचल अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि पलामू जिले के लेस्लीगंज इलाके में रहने वाले दंपति ने गरीबी के कारण यह कदम उठाया था।
सामने आया हैरान करने वाला मामला
अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही यह मामला सामने आया, पलामू जिला प्रशासन ने परिवार तक पहुँचकर उन्हें 20 किलो अनाज दिया और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। बच्चे के पिता रामचंद्र राम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने मजबूरी में अपने बेटे को पास के गाँव के एक दंपति को बेच दिया था। उनके पास न तो घर चलाने के लिए पैसे थे और न ही अपनी पत्नी पिंकी देवी के इलाज के लिए, जो प्रसव के बाद से बीमार थीं।
मजदूरी का काम करता है दंपति
राम ने बताया कि उनके पास न पत्नी के इलाज के लिए पैसे थे और न ही बच्चों के खाने का इंतज़ाम करने के लिए। वह दिहाड़ी मजदूर हैं, लेकिन लगातार बारिश की वजह से कई महीनों से काम नहीं मिला। उन्होंने कहा कि बिचौलिया दंपति पैसे देने के बाद बच्चे को लातेहार जिले ले गया। राम ने यह भी बताया कि उनका परिवार बेघर है और चार बच्चों के साथ एक जर्जर झोपड़ी में रातें गुजारने को मजबूर है।
यूपी का रहने वाला है परिवार
राम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले हैं और अपनी पत्नी, जो स्थानीय निवासी हैं, के साथ पिछले 15 सालों से लोटवा में रह रहे हैं। पीटीआई को मिले सूत्रों के मुताबिक, यह दंपति मज़दूरी करके गुज़ारा करता था और जब काम नहीं मिलता तो गाँव में भीख मांगना पड़ता था। जानकारी मिली है कि इनके पास न आधार कार्ड है और न ही राशन कार्ड, जिसकी वजह से ये सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे थे। पिंकी देवी ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें जमीन का एक छोटा टुकड़ा दिया था, जिस पर उन्होंने एक झोपड़ी बनाई थी, लेकिन वह भी बारिश में टूट-फूट गई।
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