Property Market: पति-पत्नी के बीच फ्लैट या प्रॉपर्टी गिफ्ट करना इनकम टैक्स कानून के हिसाब से बिल्कुल मान्य है। इस पर कोई तत्काल टैक्स नहीं लगता। इनकम टैक्स नियमों में पति-पत्नी के बीच गिफ्ट को टैक्सेबल इनकम नहीं माना जाता। यानी, अगर पत्नी अपना फ्लैट पति को गिफ्ट करती है तो उस समय कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। हालांकि बाद में एक नियम लागू होता है, जिसे क्लबिंग प्रोविजन कहा जाता है।
आमतौर पर किसी भी व्यक्ति से मिले 50 हजार रुपये से ज्यादा के गिफ्ट पर टैक्स लगता है। लेकिन पति-पत्नी पर यह लिमिट लागू नहीं होती। वे चाहें तो करोड़ों रुपये का गिफ्ट भी बिना टैक्स दिए कर सकते हैं। समस्या तब आती है जब गिफ्ट की गई प्रॉपर्टी से इनकम होने लगे।
क्लबिंग प्रोविजन के तहत अगर पति गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी से किराया कमाता है या उसे बेचकर मुनाफा कमाता है। तो यह इनकम उसके नाम पर टैक्स नहीं होगी, बल्कि पत्नी की इनकम में जोड़ी जाएगी। यानी टैक्स का बोझ पत्नी पर ही रहेगा। यह नियम तब भी लागू रहेगा अगर पति उस रकम को दोबारा कहीं और निवेश कर दे।
गिफ्ट की गई प्रॉपर्टी को पति जब चाहे बेच सकता है, लेकिन टैक्स कैलकुलेशन में पत्नी की खरीद कीमत और होल्डिंग पीरियड ही माना जाएगा। इससे तय होगा कि मुनाफा शॉर्ट-टर्म है या लॉन्ग-टर्म। लेकिन कैपिटल गेन का टैक्स पत्नी की इनकम में ही जोड़ा जाएगा।
गिफ्ट पर इनकम टैक्स नहीं लगता, लेकिन स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज देना जरूरी होता है। कई राज्यों में पति-पत्नी के बीच गिफ्ट पर रियायती रेट से स्टांप ड्यूटी ली जाती है। सीधे शब्दों में कहें तो, पति-पत्नी के बीच प्रॉपर्टी गिफ्ट करने पर टैक्स तो नहीं लगता, लेकिन बाद की आमदनी का टैक्स देने की जिम्मेदारी उसी पर रहती है जिसने प्रॉपर्टी गिफ्ट की थी।
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