Tuesday, August 26, 2025

ओपन ऑफर का प्रोसेस सिर्फ 42 दिन में पूरा होगा, शेयरहोल्डर्स के अकाउंट में जल्द आएंगे पैसे

ओपन ऑफर के प्रोसेस में लगने वाला समय घटने जा रहा है। सेबी के टेकओवर रिव्यू पैनल ने ओपन ऑफर के प्रोसेस में लगने वाले समय में कमी लाने का सुझाव दिया है। अभी ओपन ऑफर प्रोसेस पूरा होने में 62 दिन (वर्किंग डे) का समय लगता है। सेबी अगर पैनल के सुझाव को मान लेता है तो यह समय घटकर 42 दिन रह जाएगा। इससे ओपन ऑफर में पार्टिसिपेट करने वाले शेयरहोल्डर्स को पैसा जल्द मिल जाएगा। इस पैनल ने कई दूसरे प्रोसेसेज में लगने वाले समय को भी घटाने के सुझाव दिए हैं।

पैनल ने कई प्रोसेस को जल्द पूरा करने के सुझाव दिए

सेबी के पैनल ने अपने सुझाव में कहा है कि पब्लिक अनाउंसमेंट की तारीख से 3 दिनों के अंदर डिटेल्ड पब्लिक स्टेमेंट (DPS) पब्लिश्ड हो जाना चाहिए। अभी इसमें 5 दिन का समय लगता है। ड्राफ्ट लेटर ऑफ ऑफर (DLOF) डीपीएस आने के 5 दिन के अंदर फाइल हो जाना चाहिए। अभी यह 10 दिन के अंदर फाइल होता है। अभी लेटर ऑफ ऑफर (LoF) शर्तें पूरी करने वाले शेयरहोल्डर्स को डीएलओएफ पर सेबी के कमेंट के 7 वर्किंग डे के अंदर डिस्पैच करना जरूरी है। पैनल ने इसे 5 वर्किंग डे के अंदर करने का सुझाव दिया है। पैनल का कहना है कि अब चूंकि ज्यादातर शेयर्स डीमैट फॉरमैट में होते हैं, जिससे LoF को ईमेल के जरिए भेजा जा सकता है। इससे समय की बचत होगी।

शेयरहोल्डर्स के अकाउंट में 10 दिन की जगह 5 दिन में आएगा पैसा

अभी शेयरहोल्डर्स के लिए अपने शेयर्स को सब्मिट करने के वास्ते टेंडरिंग पीरियड 10 वर्किंग डे है। पैनल ने डेटा की स्टडी के बाद पाया है कि ओपन ऑफर में 91 फीसदी शेयर्स और बाय-बैक में 92 फीसदी शेयर्स टेंडरिंग पीरियड के अंतिम 5 दिन में सब्मिट किए जाते हैं। इसलिए पैनल ने इस पीरियड को घटाकर 5 दिन करने का सुझाव दिया है। अभी ओपन ऑफर में पार्टिसिपेट करने वाले शेयरहोल्डर्स को पैसे के पेमेंट के लिए 10 दिन का समय तय है। पैनल ने इसे घटाकर 5 दिन करने का सुझाव दिया है। उसका मानना है कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से T + 1 सेटलमेंट का इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए शेयरोहोल्डर्स को पैसा जल्द दिया जा सकता है।

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ओपन ऑफर प्रोसेस में लगने वाला समय 20 दिन घट जाएगा

सेबी अगर पैनल की इन सिफारिशों को मान लेता है तो ओपन ऑफर पूरा होने में लगने वाला समय 20 दिन तक घट जाएगा। सेबी का मकसद ओपन ऑफर के प्रोसेस को डीलिस्टिंग की टाइमलाइन के हिसाब से बदलना है। इससे शेयरहोल्डर्स के अकाउंट में शेयरों का पैसा जल्द आएगा। मार्केट एफिशियंसी बढ़ेगी। इससे इनवेस्टर्स खासकर रिटेल इनवेस्टर्स का आत्मविश्वास बढ़ेगा। अभी सेबी ने पैनल की सिफारिशों पर मार्केट पार्टिसिपेंट्स की सलाह नहीं मांगी है।



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