Friday, July 4, 2025

Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा की शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष को इलाहाबाद HC से झटका! मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित करने की मांग खारिज

Krishna Janmabhoomi Case: उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष को इलाहाबाद हाई से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में 'शाही ईदगाह' की जगह 'विवादित ढांचा' शब्द के इस्तेमाल के लिए निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका शुक्रवार (4 जुलाई) को खारिज कर दी। मूल वाद के साथ अन्य संबंधित मामलों में आगे की सुनवाई के दौरान 'शाही ईदगाह' की जगह 'विवादित ढांचा' शब्द के इस्तेमाल के लिए संबंधित स्टेनोग्राफर को निर्देश जारी करने का अनुरोध करते हुए एक आवेदन A-44 दाखिल किया गया था।

इस आवेदन के पक्ष में वकील महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा हलफनामा दाखिल किया गया था। वहीं दूसरी ओर, प्रतिवादियों की तरफ से लिखित आपत्ति दाखिल की गई थी। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने शुक्रवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े मूल मुकदमों की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और वहां मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं।

इससे पहले 1 अगस्त, 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्षों द्वारा दायर इन मुकदमों की सुनवाई को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं। पूजा स्थल अधिनियम 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक ढांचे की स्थिति को परिवर्तित करने से रोकता है।

हाई कोर्ट ने 23 अक्टूबर, 2024 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में 11 जनवरी, 2024 के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 11 जनवरी, 2024 के अपने फैसले में हिंदू पक्षों की ओर से दायर सभी मुकदमों को समेकित कर दिया था।

यह विवाद मथुरा में मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि इसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थान पर एक मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है। फिलहाल मामला अदालत में लंबित है।

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इस मामले में हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने 5 मार्च, 2025 को याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत से शाही ईदगाह मस्जिद को एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई संरचना के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है।



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