मानसून के आगमन से जहां हवा में ठंडक और ताजगी का अहसास होता है, वहीं ये मौसम अपने साथ कई छुपी हुई चुनौतियां भी लेकर आता है। खासकर सांपों की सक्रियता इस समय चरम सीमा पर पहुंच जाती है। ये सांप न केवल झाड़ियों और नमी वाले इलाकों में छिपते हैं, बल्कि सुरक्षित जगह की तलाश में अक्सर घरों के आसपास भी दिखने लगते हैं। बारिश के कारण उनका प्राकृतिक आवास भी प्रभावित होता है, जिससे वे इंसानी आबादी के करीब आने को मजबूर हो जाते हैं। इस वजह से मानसून में सांपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं।
इस मौसम में सावधानी न बरती जाए तो सांप के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए मानसून में सुरक्षा के उपाय अपनाना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
सांप हमला क्यों करता है?
अक्सर देखा गया है कि लोग सांप को देखकर डर के मारे होश खो बैठते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सांप बिना वजह किसी पर हमला नहीं करता। जब उसे खतरा महसूस होता है या गलती से कोई उसकी ओर बढ़ता है, तब वो आक्रामक हो जाता है और काट लेता है। उसके ज़हर से हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
समस्या के बीच उम्मीद की एक किरण
अगर किसी को जहरीले सांप ने काट लिया, तो तुरंत मेडिकल इलाज न मिले तो स्थिति जानलेवा हो सकती है। हालांकि, आयुर्वेद में कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों का वर्णन है जो विष के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकती हैं। इनमें से एक है ककोड़ा या कांकरोल का पौधा।
ककोड़ा
ककोड़ा, जिसे कंटोला, कतराल या स्पाइनी चार्ड भी कहा जाता है, एक कांटेदार बेल होती है जो अधिकतर गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में उगती है। ये पौधा आमतौर पर सब्जी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसके पत्तों, फलों और जड़ों में शक्तिशाली औषधीय गुण होते हैं।
ककोड़ा का विषनाशक असर
विशेषज्ञों का दावा है कि ककोड़ा के पौधे की पत्तियां और जड़ें शरीर में जहर को तेजी से फैलने से रोक सकती हैं। यदि सही तरीके से और समय पर इसका प्रयोग किया जाए तो यह 5 मिनट के अंदर सांप के जहर को बेअसर कर सकती है। यही नहीं, यह पौधा अन्य विषैले जीवों के जहर के इलाज में भी प्रभावशाली माना गया है।
आयुर्वेदिक मान्यता और वैज्ञानिक समर्थन
लोकल 18 से बात करते हुए मल्लिगे कॉलेज ऑफ फार्मेसी के डॉक्टर कुंतल दास ने बताया कि, इस पौधे का इस्तेमाल समाज में वर्षों से एंटी-वेनम के रूप में होता आ रहा है। उन्होंने शोध के आधार पर बताया कि ककोड़ा की जड़ से बनी हर्बल दवाएं विषनाशक के रूप में कारगर होती हैं।
स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर
ककोड़ा में अन्य सब्जियों की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक प्रोटीन होता है और ये कई प्रकार के विषों को खत्म करने की क्षमता रखता है। यह न केवल जहर के इलाज में सहायक है, बल्कि एक पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी भी है।
सावधानी जरूरी
अगर आपके घर के पास ये पौधा मौजूद है तो आप एक जीवन रक्षक उपाय अपने आस-पास रख रहे हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि मेडिकल सहायता की जगह इसे अपनाया जाए। यह एक सहयोगी उपाय हो सकता है, लेकिन प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत अस्पताल पहुंचना बेहद जरूरी है।
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