पिछले साल के मुकाबले सरकार के पर फूड ग्रेन स्टॉक में 18% की बढ़त आई है। पिछले साल के मुकाबले गेहूं का स्टॉक 22% बढ़ा है जबकि पिछले साल के मुकाबले चावल का स्टॉक 17% बढ़ा है। पर्याप्त मात्रा में स्टॉक होने से सरकार को कितना फायदा होगा? बाजार में उतार-चढ़ाव आने पर मदद करेगा?
सरकार ने OMSS के तहत 10 मिलियन टन गेहूं बेचा था। इस साल देरी से गेहूं की बिक्री शुरु हुई। FCI एथेनॉल डिस्टिलरी को `2250/क्विंटल चावल बेचेगा। सरकार को बाजार में उतार-चढ़ाव में मदद मिलेगी।
गेहूं का स्टॉक 16.17 मिलियन टन हुआ जबकि चावल का स्टॉक 67.6 मिलियन टन हुआ। बता दें कि सरकार का खाद्यान्न भंडार फरवरी 2024 में 70.92 मिलियन टन रहा जबकि फरवरी 2025 में 83.78 मिलियन टन रहा।
WPPS के चेयरमैन अजय गोयल का कहना है कि गेहूं को रिलीज करने से सरकार को फायदा होगा। खुले बाजार में अभी गेहूं की आवक नहीं है। दिल्ली की मंडी में 3250 रुपये प्रति क्विंटल का भाव है। 1 फरवरी को गेहूं 16 मिलियन टन भंडार में था। सरकार के पास अभी पर्याप्त गेहूं है। यूजर पर कैप को बढ़ाकर 400-500 टन करना चाहिए। होलसेल मार्केट में गेहूं के दाम बढ़ने की उम्मीद कम है।
IREF के वीपी देव गर्ग का कहना है कि इस साल राइस का बंपर स्टॉक है। FCI के पास 224 लाख टन का स्टॉक है। नए सीजन का 270 लाख टन का स्टॉक है। सरकार के पास सरप्लस स्टॉक 500 लाख है। नॉन बासमती, व्हाइट राइस पर सरकार ने ड्यूटी हटाई है। एथेनॉल के लिए भी सरकार ने दाम कम किए। सरकार के साथ कई बार बैठक हुई।
गेहूं के प्रोडक्शन में कमी संभव
इस साल आने वाले दिनों में गर्मी का सितम बढ़ने वाला है। जनवरी इतिहास का सबसे गर्म महीना रहा और फरवरी भी अभी से लोगों के पसीने छुड़ा रहा है। कई राज्यों में तापमान अभी से 30 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। इसका गेहूं की फसल पर पड़ेगा।
जनवरी में बारिश की मात्रा में 80 फीसदी तक की कमी आई है। तापमान सामान्य से 6 डिग्री तक ज्यादा दर्ज किया गया है। जनवरी के दौरान ठंड नहीं होने की वजह से गेहूं की फसल पर असर संभव है। पारा चढ़ने का असर गेहूं की फसल पर संभव है गेहूं के प्रोडक्शन में कमी आ सकती है। बता दें कि गेहूं की फसल के लिए 15 डिग्री का तापमान होना जरूरी है।
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