ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने भारतीय शेयरों में आवंटन को बढ़ाकर 20 पर्सेंट ओवरवेट करने और चीन का आवंटन घटाने का फैसला दिया है। ब्रोकरेज फर्म ने भारत के आर्थिक माहौल में स्थिरता और फिर से फॉरेन फ्लो तेज होने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह बात कही है। CLSA ने अपने नोट में कहा है, 'ट्रंप की वापसी से चीन और अमेरिका का ट्रेड वॉर तेज हो सकता है, क्योंकि चीन की ग्रोथ में एक्सपोर्ट का सबसे बड़ा योगदान है।'
यह फैसला भारत से चीन को लेकर CLSA के पुराने आवंटन को पलट देता है। हालांकि, अभी भी भारत से विदेशी निवेशकों का आउटफ्लो जारी है। कमजोर सितंबर तिमाही परिणामों और इनफ्लेशन में बढ़ोतरी के मद्देनजर फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स भारत से निवेश की निकासी कर रहे हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक अक्टूबर से अब तक कुल 1.14 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।
CLSA ने कहा कि कई ग्लोबल इनवेस्टर्स भारतीय शेयर बाजार में अपने निवेश को बढ़ाने के लिए इस तरह के करेक्शन का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी तरफ, चीन की आर्थिक चनौतियों में डिफ्लेशन का दबाव, रियल एस्टेट निवेश में सुस्ती और लगातार बढ़ रही बेरोजगारी शामिल हैं। CLSA ने अक्टूबर 2023 में भारत को बड़े स्तर पर अपग्रेड किया था और यहां के बाजार को 40 पर्सेंट अंडरवेट से 20 पर्सेंट ओवरवेट कर दिया था।
फर्म का कहना था कि भारत में क्रेडिट के लिए अनुकूल माहौल, एनर्जी कॉस्ट कम रहने है और मजबूत जीडीपी ग्रोथ की संभावनाओं के कारण यह फैसला लिया गया है। हालांकि, अक्टूबर 2024 तक CLSA ने अपनी रणनीति को बदलते हुए भारत के ओवरवेट को घटाकर 10 पर्सेंट कर दिया था, जबकि चीन में मार्केट रिकवरी के शुरुआती संकेतों को देखते हुए वहां का वेट बढ़ा दिया था। बहरहाल, चीन की बढ़ती आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर CLSA ने फिर से भारत को प्राथमिकता देनी शुरू की है।
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