राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों का ऐलान कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2024 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सालाना आधार पर गिरावट के साथ 5.4 पर्सेंट रही। पिछले साल की इसी अवधि यानी वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.1 पर्सेंट थी, जबकि इससे पिछली तिमाही में ग्रोथ 6.7 पर्सेंट रही थी। जीडीपी ग्रोथ का यह आकंड़ा पिछली 7 तिमाहियों में सबसे कम है। मनीकंट्रोल ने अपने पोल अनुमानों में सितंबर तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ (GDP) ग्रोथ 6.5 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया है। बाकी अर्थशात्रियों ने अपना यह अनुमान कम रखा था।हालांकि, सर्विस सेक्टर की ग्रोथ में इजाफा हुआ है।
सर्विस सेक्टर (जैसे व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट और प्रसारण सेवाएं) ने FY 2024-25 की दूसरी तिमाही में 7.1% की बढ़ोतरी दर्ज की, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 6.0% से ज्यादा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने देश में स्टील की खपत को बढ़ावा दिया है, जिससे FY 2024-25 की दूसरी तिमाही में 7.7% और पहली छमाही में 9.1% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
निजी उपभोग पर खर्च (PFCE) में दूसरी तिमाही के दौरान 6.0% और पहली छमाही में 6.7% की बढ़ोतरी रही, जो पिछले वर्ष की कम दरों (2.6% और 4.0%) से बेहतर है। सरकारी उपभोग पर खर्च (GFCE) ने 4.4% की बढ़ोतरी के साथ रिकवरी दिखाई, जबकि पिछली तीन तिमाहियों में इसमें न्यूनतम या नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 7.2 पर्सेंट जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया है जो कि 2023-24 के 8.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट से कम है। अर्थशास्त्रियों ने बताया कि खाद्य महंगाई में तेज उछाल, महंगा कर्ज और वेतन के कम बढ़ने के चलते शहरी इलाकों में लोगों ने अपने घरेलू खर्च को कम करना शुरू कर दिया है। इससे निजी खपत प्रभावित हुआ है जिसका जीडीपी में 60 पर्सेंट योगदान है। हालांकि, मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रामीण इलाकों में शहरी इलाकों के मुकाबले डिमांड में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6 पर्सेंट को पार करते हुए 6.21 पर्सेंट पर जा पहुंची है, जो रिजर्व बैंक के टोलरेंस बैंड से अधिक है। अक्टूबर महीने में खाद्य महंगाई दर में भी तेज उछाल देखने को मिला है और ये डबल डिजिट को पार करते हुए 10.87 पर्सेंट पर जा पहुंची है। इससे घरेलू परचेजिंग पावर पर असर पड़ा है।
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